अलीगढ़. वह मजदूर की बेटी है. नाम गुड़िया और उम्र भले ही 13 साल है. लेकिन, कारनाम ऐसा कर दिया है कि बड़े बड़े बहादुर कांप जाएं. खिलौने से खेलने वाली उम्र में गुड़िया शुक्रवार को मगरमच्छ के साथ जिंदगी को खेल गयी. काली नदी में दरांती की दम पर मगरमच्छ से भिड़ गयी. मां को उसके मुंह से सुरक्षित निकाल लायी. बहादुरी का यह अदम्य साहस दिखाने वाली गुड़िया की जांबाजी का किस्सा उसका गांव अहमदपुरा ही नहीं पूरा अतरौली क्षेत्र सुना रहा है.
अहमदपुरा निवासी शोभाराम और उसकी पत्नी सत्यवती के खेत काली नदी के किनारे हैं. सत्यवती शुक्रवार को खेत से चारा लेने गई थी. उसके साथ कक्षा 7 में पढ़ने वाली 13 वर्षीय बेटी गुड़िया भी गई थी. सत्यवती काली नदी के किनारे हरी घास काट रही थी, अचानक काली नदी से मगरमच्छ निकला और सत्यवती पर हमला कर दिया. मगरमच्छ ने अपने जबड़े में उसका हाथ दबा लिया. सत्यवती को घसीटते हुए नदी में खींच ले गया.
मां सत्यवती के चिल्लाने की आवाज सुनकर गुड़िया बचाने को दौड़ी . मां को बचाने के लिए इस बेटी ने नदी में छलांग लगा दी. जिस दराती से घास काट रही थी उसे ही हथियार बना लिया. मां को छुड़ाने के लिए दरांती से मगरमच्छ की आंख पर प्रहार कर दिया., बेटी को मगरमच्छ से लड़ते देख सत्यवती में भी हिम्मत दौड़ गई. उसने भी दूसरे हाथ में लगी दरांती से मगरमच्छ के मुंह पर जोर से मारना शुरू कर दिया. शिकार करने की जगह खुद शिकार होता देख मगरमच्छ ने अपनी पकड़ ढीली कर दी. गुड़िया ने हमला जारी रखा तो घायल मगरमच्छ अपनी जान बचाने के लिए सत्यवती को छोड़कर नदी की गहराई में उतर गया.
बेटी मां सत्यवती लेकर किनारे आई. गांव के लोग भी इस बीच पहुंच गए. बदहवास स्थिति में सत्यवती को अस्पताल पहुंचाया. सत्यवती घर पर आ गई है. बहादुर बेटी ने जिस तरीके से मां को मगरमच्छ से बचाया है उसके साहस की गांव में प्रशंसा हो रही है. लोगों ने गुड़िया को सम्मानित किए जाने की मांग जिला प्रशासन से की है. गांव के लोगों का कहना है कि बेटी ने हिम्मत और दिलेरी से मां की जान बचाई है.