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गोड्डा : मल्टीप्लेक्स के दौर में लोगों के लिए मनोरंजन का साधन नहीं, सिनेमा घर विवाह भवन में तब्दील

गोड्डा जिला विकास की ओर लगातार अग्रसर है. हर दिन छोटे बड़े विभिन्न सामग्री के प्रतिष्ठान खुल रहे है. आये दिन करोड़ों रुपये का इन्वेस्टमेंट हो रहा है. व्यवसाय को लेकर लोग आगे बढ़ रहे हैं.

  • मल्टीप्लेक्स के दौर में गोड्डा में लोगों के लिए मनोरंजन का साधन नहीं

  • पहले थे चार सिनेमा हॉल, सभी हो गये हैं बंद

निरभ किशोर, गोड्डा : गोड्डा जिला विकास की ओर लगातार अग्रसर है. हर दिन छोटे बड़े विभिन्न सामग्री के प्रतिष्ठान खुल रहे है. आये दिन करोड़ों रुपये का इन्वेस्टमेंट हो रहा है. व्यवसाय को लेकर लोग आगे बढ़ रहे हैं. बड़े मॉल, अच्छे रेस्टोरेंट व सैकड़ों की संख्या में फास्ट फूड की दुकानें, देश भर के नामी-गिरामी डिश के फ्रेंचाइजी यहां के लोगों की थालियों में जायकेदार भोजन व नाश्ता परोसा जा रहा है. मगर चीजों के साथ लोगों के लिए मनोरंजन की सुविधा जो मन को शांति प्रदान करता है. गोड्डा इससे दूर है. शहरी क्षेत्र से लेकर राजमहल कोल परियोजना के बड़े कॉलोनी ऊर्जानगर तक एक भी परदे पर फिल्म देखे जाने की सुविधा नहीं है. गोड्डा शहर में सबसे ज्यादा जरूरत है, यहां के लोगों को छुट्टी या विकेंड के दिन परिवार के साथ फिल्म आदि के मनाेरंजन की. मगर ऐसी सुविधा से गाेड्डा के बाशिंदे दूर हैं. यहां के लोगों को परदे पर फिल्म देखने के लिए करीब सौ किमी दूर देवघर या फिर भागलपुर जाना पड़ता है. वहीं, कई रसूखदार व पैसे वाले लोग रांची जाकर फिल्म का आनंद लेने पहुंचते हैं.

सिनेमा घर विवाह भवन व गोदाम में तब्दील

गोड्डा के सिनेमा घरों के बंद हो जाने के बाद इसका स्वरूप भी बदल गया है. बडे़-बडे़ हॉल कई वर्षो तक यूं ही पड़ा रहा, या फिर ऐसे हॉल में कभी जादू का शो भी चला. बाहर के जादूगर भाड़े पर हॉल लेकर लोगों का मनोरंजन किया करते थे. पांच छह वर्ष पहले गोड्डा के शंकर टाॅकिज में पीसी सरकार के जादू का शो चला था, मगर धीरे-धीरे भवन के बेकार पडे़ रहने के कारण जीर्ण होता देख प्राॅपर्टी मालिक द्वारा इसके उपयोग का मोड़ ही बदल दिया. आज आनंद टाॅकिज व मीरा टाॅकिज विवाह भवन में तथा शंकर टाॅकिज बड़े गोदाम के रूप में तब्दील है. विवाह भवन में तब्दील हो जाने की वजह से सिनेमा हॉल के मालिकों को अच्छी खासी राशि की आमदनी के साथ भवन का सही मेंटेनेंस भी होने लगा है.

गोड्डा के लोगों का फिल्म व मनोरंजन के प्रति रहा है खास आकर्षण

गाेड्डावासियों में फिल्म के प्रति काफी आकर्षण रहा हैं. यहां के लोगों ने संगीत व अन्य मनोरंजन के लिए बड़े-बड़े आयोजन करते रहे हैं. छोटे से समारोह में भी कलाकारों को बुलाकर मनोरंजन करते है. लगभग सभी पूजा-महोत्सव में यहां बाहर के कालाकारों को बुलाया जाता हैं. साल भर की बात करें तो करीब 20 इवेंट्स के दौरान कोलकाता, मुंबई आदि के स्टेज कलाकार आकर लोगों का मनोरंजन करते हैं. यह परंपरा आज से करीब 40-50 साल से चली आ रही है. देश के नामी-गिरामी कलाकारों को गोड्डा में आकर कार्यक्रम प्रस्तुत करने का मौका मिला है. मगर यहां के लोगों को फिलहाल फिल्म देखने में हो रही परेशानी सबसे ज्यादा खलल डाल रही है.

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सिनेमा हॉल चौक के नाम से प्रसिद्ध है यह चौक

गोड्डा में सबसे पहले शंकर टाॅकिज नामक सिनेमा हाल खुला. वर्ष 1969 में इस हॉल का शुभारंभ हुआ. यह सिनेमा हॉल भागलपुर-महागामा मुख्य मार्ग रौतारा मुहल्ले से पहले है. यहां करीब 45 वर्षों तक लोगों को सिनेमा देखने को मिला. इसके बाद क्रमश गोड्डा के भतडीहा के नहर के समीप मीरा टाॅकिज एवं भागलपुर रोड में सिनेमा हॉल खोला गया. इन सभी सिनेमा हाॅल के खुलने के बाद गाेड्डा का सबसे बेहतर व अत्याधुनिक सिनेमा हॉल राजकचहरी चौक के पास खुला. इस सिनेमा हॉल को लोग आनंद टाॅकिज के नाम से जानने लगे. वर्ष 2007 में इस सिनेमा हॉल के खुलने के बाद लोगों को बाॅक्स व उपर के तल्ले पर बैठकर फिल्म देखने का आनंद मिलने लगा.

आज से करीब 12 साल पहले तक कुल चार सिनेमा हॉल लोगों को फिल्मों का आनंद देता था. लोगों के अंदर फिल्म देखने की जो ललक थी. इस बात का अंदाजा केवल इससे लगाया जा सकता है कि शंकर टाॅकिज के पास के चौक का नाम सिनेमा हॉल चौक के नाम से प्रसिद्ध हो गया. इस हॉल में प्राय: कई ऐसी फिल्में लगी जो महीनों तक चली थी. करीब दो माह तक चलने वाली फिल्म जय संतोषी मां अपार भीड़ के साथ सिनेमा हॉल के मालिक को मुनाफा देने का काम किया. वहीं, शोले भी करीब एक माह तक चला था. फिल्म के ऐसे कई शौकीन थे जो एक बार नहीं करीब पांच से छह बार एक ही फिल्म देखने आते थे. शंकर टॉकिज के मालिक मूल रूप से मोतिया गांव के रहने वाले थे स्व रामेश्वर चौधरी ने हॉल की आधारशिला रखी. उनके द्वारा गोड्डा के अलावा साहिबगंज एवं दरभंगा में भी सिनेमाघर बनाया गया था जो शंकर टॉकिज के नाम से था.

शहर में दर्जनों मॉल, व्यावसायिक हॉल और होटल हैं मगर मल्टीप्लेक्स नहीं

गोड्डा का विकास राज्य बनने के बाद से आरंभ हो गया. वर्ष 2009 के बाद गोड्डा में लगातार बदलाव आरंभ हो गया. वर्ष 2015 के बाद गोड्डा में हजारों हजार करोड़ का इंवेस्टमेंट होने लगा. यहां बेहतर सड़क के साथ बाहर से आने वाले लोगों की सुविधा को देखते हुए बड़े शहरों की तरह यहां भी वातानुकूलित बहुमंजिला होटल के अलावा, दर्जनों नर्सिंग हाॅल, करीब एक दर्जन मॉल एवं देश की बड़ी कॉर्पोरेट कंपनी के साथ कपड़े, इलेक्ट्रानिक्स आदि सामान की ब्रांडेड दुकानें शहर को चारों ओर से कवर कर लिया है. पहले जहां गोड्डा-भागलपुर मुख्य मार्ग पर रात के नौ बजे के बाद सन्नाटा छा जाता था. अब रात के 12 बजे भी चकाचक रहता है. कारण यहां आने वाले लोगों की सुविधा को देखते हुए शहर उसी दिशा में अपने को आगे बढ़ रहा है. मगर इन सभी सुविधाओं के अलावा अगर सबसे बड़ी कमी है तो वो है यहां परदे पर फिल्म देखने की. लोगों को परदे पर फिल्म देखने की सुविधा नहीं मिल पा रही हैं. ना तो यहां एलेक्स या अन्य कंपनियां ही बड़े परदे को लगा रही है और ना ही फिलहाल ऐसा कुछ वातावरण ही बनते देखा जा रहा है. इस परिस्थिति में गोड्डा के लोगों में मनोरंजन को लेकर चिंता बरकरार हैं.

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