इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस संकट से जूझ रही है. पूरा देश कोरोना से लड़ाई लड़ रहा. कोरोना संकट से देश कब तक मुक्त होगा, यह जानने के लिए सभी लोग बेचैन है. अगले महीने तीन बड़े ग्रहण लग रहा है. जून महीने में दो और जुलाई में एक ग्रहण लग रहा है. दिसंबर 2019 के सूर्य ग्रहण के बाद पहला सूर्य ग्रहण 21 जून 2020 को लग रहा है. ऐसे में इस ग्रहण से कोरोना के रिश्ते को लेकर कई तरह के ज्योतिषीय समीकरण समाने आ रहे हैं. एक वर्ष में तीन से अधिक ग्रहण घातक माने जा रहे हैं, जबकि इस वर्ष 2020 में कुल 6 ग्रहण लग रहे हैं, इनमें से 1 चंद्रग्रहण जनवरी 2020 में लग चुका है. इस साल 2020 में कुल दो सूर्य ग्रहण और 4 चंद्र ग्रहण लगेंगे. इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को लग रहा है, इसके बाद 14 दिसंबर को लगेगा. वहीं, चंद्रग्रहण 05 जून और 05 जुलाई को लग रहा है. इसके बाद फिर 30 नवंबर 2020 को चंद्रग्रहण लगेगा.
मई के बाद आने वाले माह जून में दो ग्रहण लग रहे है. फिर इसके तुरंत बाद 05 जुलाई को भी ग्रहण लग रहा है. जून और जुलाई में तीन बड़े ग्रहण लग रहे है. सबसे पहले चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) जून के पहले सप्ताह में 05 तारीख को लग रहा है., फिर इसके बाद सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) जून के आखिरी दस दिनों में यानि 21 जून को लगेगा, इसके ठीक बाद 05 जुलाई को फिर चंद्र ग्रहण लग रहा है. जून में लगने वाले दोनों ही ग्रहण भारत में दिखाई देंगे. वहीं, जुलाई में लगने वाला ग्रहण अमेरिका, दक्षिण पश्चिम यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्से में दिखाई देगा. 05 जून को जो चंद्रग्रहण लग रहा है, वे भारत समेत यूरोप के साथ ही साथ अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्से में दिखाई देगा, जबकि इसके बाद 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत, दक्षिण पूर्व यूरोप, हिंद महासागर, प्रशांत महासागर, अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के प्रमुख हिस्से में दिखाई देगा.
ज्योतिष अनुसार 21 जून को लगने वाला ग्रहण ज्यादा संवेदनशील होगा. जो मिथुन राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लग रहा है, इसलिए मिथुन राशि वालों पर इस ग्रहण का सबसे अधिक असर पड़ेगा. इस ग्रहण के दौरान कुल 6 ग्रह वक्री अवस्था में होंगे. मंगल जलीय राशि मीन में स्थित होकर सूर्य, बुध, चंद्रमा और राहु को देखेंगे, जिससे अशुभ स्थिति का सामना करने पड़ेगा. जिस कारण संपूर्ण विश्व में बड़ी उथल पुथल मचेगी. इस दोरान ग्रहों के वक्री होने से प्राकृतिक आपदाओं जैसे अत्याधिक वर्षा, समुद्री चक्रवात, तूफान, महामारी आदि से जन धन की हानि होने का खतरा है. भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश को जून के अंतिम माह और जुलाई में भयंकर वर्षा से जूझना पड़ सकता है. इस साल मंगल जल तत्व की राशि मीन में पांच माह तक रहेंगे, ऐसे में वर्षा काल में असामान्य रूप से अत्याधिक वर्षा और महामारी का भय रहेगा. शनि, मंगल और गुरु इन तीनों ग्रहों के प्रभाव से विश्व में आर्थिक मंदी का असर साल भर बना रहेगा.
ग्रहण लगने से पहले ही सूतक काल शुरू हो जाते हैं. सूतक का अर्थ है, खराब समय या ऐसा समय जब प्रकृति ज्यादा संवेदनशील होती है. ऐसे में किसी अनहोनी के होने की संभावना बढ़ जाती है. सूतक चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों के समय लगता है. ऐसे समय में सावधान रहना चाहिए और ईश्वर का ध्यान करना चाहिए. वहीं, सूतक काल में हमें कुछ खास बातों का ध्यान रखाना होता है. ग्रहण के सूतक काल में किसी भी तरह का कोई शुभ काम नहीं किया जाता, यहां तक की कई मंदिरों के कपाट भी सूतक के दौरान बंद कर दिये जाते हैं. इस दौरान पूजा-पाठ भी नहीं किये जाते है. ऐसे में पहला ग्रहण 05 जून को चंद्र ग्रहण लग रहा है. उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण सूतक काल का प्रभाव कम रहेगा, लेकिन बहुत से लोग हर तरह के ग्रहण को गंभीरता से लेते हैं. जिस वजह से वो सूतक के नियमों का पालन भी करते हैं.
सूतक काल ग्रहण लगने पहले ही शुरू हो जाता है. सूतक काल में भूलकर भी तुलसी का पौधा नहीं छूएं जाते है. इस समय खाने पीने की मनाही होती है, लेकिन गर्भवती महिलाओं, बीमार व्यक्ति, छोटे बच्चों और वृद्ध लोगों पर ये नियम लागू नहीं होते हैं, साथ ही यह जरूर ध्यान रखें कि सूतक काल लगने से पहले ही भोजन में तुलसी के पत्ते जरूर डाल दें, जिससे ग्रहण काल में जरूरत पड़ने पर इसे खाने का इस्तेमाल किया जा सके. सूतक काल के समय ईश्वर की अराधना करनी चाहिए. इस दौरान मंत्र जाप कर सकते हैं. वहीं, सूतक काल के दौरान किसी भी स्थिति में भूलकर भी तुलसी के पौधे को छूना नहीं चाहिए.
सूतक काल में पूजा-पाठ नहीं की जाती है. भगवान की मूर्ति को स्पर्श करने की भी मनाही होती है, वहीं सूतक के समय मंदिरों के कपाट बंद कर दिये जाते हैं. गर्भवती महिलाओं के लिए सूतक काल विशेष रूप से हानिकारक माना जाता है. जिस कारण सूतक काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए. इसके साथ ही प्रेगनेंट महिलाओं चाकू, ब्लेड, कैंची जैसी चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. सूतक काल में काटने छाटने का काम भी नहीं करना चाहिए. ग्रहण के समय धार वाली वस्तुओं का प्रयोग करने से गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास पर इसका बुरा असर पड़ता है.
05 जून की रात्रि को 11 बजकर 16 मिनट से 6 जून को 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा, ये उपच्छाया ग्रहण होगा. ये ग्रहण भारत, यूरोप, अफ्रीक, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा. उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण सूतक काल का प्रभाव कम रहेगा. वहीं, 21 जून की सुबह 9 बजकर 15 मिनट से दोपहर 15 बजकर 04 मिनट तक रहेगा, यह वलयाकार सूर्य ग्रहण रहेगा. दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर इस ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव रहेगा. इसे भारत समेतदक्षिण पूर्व यूरोप, हिंद महासागर, प्रशांत महासागर, अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के प्रमुख हिस्सों में देखा जा सकेगा. इसके बाद फिर 05 जुलाई चंद्र ग्रहण लग रहा है. 05 जुलाई के सुबह 08 बजकर 38 मिनट से 11 बजकर 21 मिनट तक रहेगा, ये उपच्छाया ग्रहण होगा, जिसके कारण इसका प्रभाव भारत में बहुत कम रहेगा. इस दिन लगने वाला ग्रहण अमेरिका, दक्षिण-पश्चिम यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्से में दिखाई देगा.