बरहरवा (साहिबगंज), अभिजीत कुमार : नये शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हो गयी है. सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में बच्चों का नामांकन भी हो रहा है. निजी स्कूलों में नामांकन में लगने वाले अतिरिक्त फीस के अलावा इन दिनों अभिभावकों पर बच्चों के लिए किताब, कॉपी व कवर खरीदने का भी बोझ बढ़ रहा है. निजी स्कूलों के संचालकों द्वारा पांच से छह गुना महंगी किताबें को बेची जा रही है. हालांकि, सरकार निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए तरह-तरह के नियम भी बनाती है. पर, निजी स्कूल अभिभावकों की जेब ढीली करने के लिए नये-नये तरीके खोज ही लेते हैं.
महंगी किताबों से अभिभावकों का बढ़ रहा आर्थिक बोझ
पिछले साल की तुलना में किताबों की कीमतें में बढ़ गयी है. एक प्राइवेट स्कूल में पहली कक्षा में कुल 13 किताबें और कॉपी खरीदनी हैं. उनकी कीमत 3447 रुपये है. इसके साथ 148 रुपये का बुक कवर भी सूची में शामिल है. छोटे बच्चों की किताबें और कॉपी के मूल्य देख कर अभिभावक परेशान हैं. सबसे अधिक आठवीं कक्षा की 17 किताबें व कॉपी खरीदने में लग रहे हैं. आठवीं में अभिभावक को 8290 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं, जबकि 10वीं कक्षा की 11 किताबें, कॉपी और कवर का खर्च 6285 रुपये ही आ रहा है. अचरज तो इस बात की है कि केजी के लिए भी किताब और कॉपी में 2890 रुपये लग रहे हैं, जबकि एनसीईआरटी के कक्षा नौवीं और दसवीं की किताबों का मूल्य महज 1000 से 1500 रुपये है.
चुनिंदा दुकान से किताब लेना मजबूरी
इन दिनों प्राइवेट स्कूलों के लिए मिलनेवाली किताबें निजी पब्लिकेशन की होने के कारण दाम काफी ज्यादा है. जानकारों का मानना है कि जितनी एमए, बीए के किताबों के दाम नहीं है, उतनी बच्चों के किताबों के दाम हैं. अभिभावकों ने बताया कि उनका एक पुत्र 10वीं कक्षा में प्राइवेट स्कूल में पढ़ता है, जहां अंग्रेजी की किताब की कीमत 362 रुपये ली गयी, तो वहीं दूसरों ने बताया कि पहली कक्षा में पढ़ने वाले एक बच्चे को इंग्लिश और इंग्लिश ग्रामर की किताब के लिए 865 रुपये चुकाने पड़ते हैं. इसके अलावा एक प्राइवेट स्कूल ने अभिभावकों से यहां तक कहा है कि उन्हें किताब, कॉपी, कवर सारी चीजें विद्यालय से ही लेनी है, तो वहीं दूसरे स्कूल द्वारा बरहरवा के स्थानीय किताब दुकान में से ही किताबें लेने को कहा गया है. जानकारी हो कि किसी भी दुकान में विद्यालय के उस प्रकाशन की किताबें नहीं बिक रही है, जिससे मनचाहा दाम दुकानदार भी वसूल रहे हैं.
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कुछ चैप्टर बदलने पर भी लेनी पड़ती है नयी किताबें
अभिभावकों का कहना है कि उनके दो बच्चे एक ही प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं. नये सत्र शुरू होने पर उन्हें लगता है कि एक के लिए तो किताबों का पूरा सेट लेना ही है. छोटे के लिए बड़े बच्चे की किताब उपयोग में लायी जा सकता है लेकिन इसी बीच एक दो चैप्टर बदल दिए जाने के कारण नयी किताब खरीदनी पड़ रही है. इस बार तो लगभग सारी किताबों के कुछ चैप्टर बदलने से ही नया किताब लेनी पड़ रही है. इससे उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है.
किताबों की कीमतों पर एक नजर
कक्षा : स्कूल ए (रुपये) : स्कूल बी (रुपये)
नर्सरी : 1,908 : 2,890
एलकेजी : 1,388 : 2,030
यूकेजी : 1,898 : —-
पहली : 3,933 : 4,510
दूसरी : 4,137 : 5,100
तीसरी : 4,135 : 6,130
चौथी : 4,349 : 5,445
पांचवी : 5,287 : 6,000
छठी : 5,003 : 7,245
सातवीं : 5,198 : 7,960
आठवीं : 4,335 : 8,290
नौवीं : 5,197 : 7,380
दशवीं : 5,197 : 6,285
अभिभावक शिकायत करें, आवश्यक कार्रवाई की जाएगी : जिला शिक्षा अधीक्षक
इस संबंध में जिला शिक्षा अधीक्षक राजेश पासवान का कहना है कि अगर कहीं जिले में इस प्रकार की समस्या है, तो अभिभावक इसकी शिकायत करें. तुरंत ही संज्ञान लेकर आवश्यक कार्रवाई की जायेगी.
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