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वाराणसी: ज्ञानवापी मामले में आज अहम दिन, सभी मामलों की सुनवाई एक साथ करने पर आएगा आदेश, जानें अब तक क्या हुआ?

वाराणसी: अधिवक्ताओं ने कहा कि ज्ञानवापी के सभी मामले एक ही प्रकार के हैं. इसलिए इनकी अलग-अलग सुनवाई उचित नहीं है. हालांकि, श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन व अन्य विग्रहों के संरक्षण से संबंधित याचिका से जुड़ी एक अन्य महिला राखी सिंह ने इसका विरोध किया.

Varanasi: वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई एक साथ किए जाने की मांग वाली याचिकाओं पर सोमवार को आदेश आने की संभावना है. इससे पहले जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई टलने की वजह से आदेश नहीं आ पाया था. कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुनाने की तारीख पहले इस महीने की शुरुआत में 1 मार्च, फिर 13 मार्च को तय की थी. हालांकि इन तारीखों में आदेश नहीं आ सका. अब इस पर आदेश सोमवार को आ सकता है.

चार महिलाओं ने दाखिल की है याचिका

वाराणसी में श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और अन्य विग्रहों के संरक्षण की मांग को लेकर चार महिलाओं ने याचिका दाखिल की है. इनकी मांग है कि ज्ञानवापी के सभी मामलों की सुनवाई एक साथ की जानी चाहिए. लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी, सुधीर त्रिपाठी ने मामलों की सुनवाई एक साथ किए जाने के पक्ष में कोर्ट में अपनी दलील दी.

एक प्रकार के मामलों में अलग सुनवाई उचित नहीं

अधिवक्ताओं ने कहा कि ज्ञानवापी के सभी मामले एक ही प्रकार के हैं. इसलिए इनकी अलग-अलग सुनवाई उचित नहीं है. हालांकि, श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन व अन्य विग्रहों के संरक्षण से संबंधित याचिका से जुड़ी एक अन्य महिला राखी सिंह ने इसका विरोध किया. उनके अधिवक्ता ने कहा कि वह सभी मामलों की सुनवाई एक साथ नहीं चाहती हैं. इसलिए इसके समर्थन में नहीं हैं.

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इन लोगों ने अलग-अलग सुनवाई की दी दलील

इसी तरह ज्ञानवापी परिसर में दूसरे समुदाय के लोगों का प्रवेश रोकने की मांग से संबंधित याचिका दाखिल करने वाली किरण सिंह, विश्व हिंदू सनातन संघ के संस्थापक जितेंद्र सिंह बिसेन की ओर से अधिवक्ता शिवम गौड़ ने सभी मामलों की सुनवाई अलग-अलग किए जाने के पक्ष में दलील दी.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की वकील ने की ये मांग

इसके साथ ही स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की तरफ से अधिवक्ता रमेश उपाध्याय व जन उद्घोष समिति के वादी कुलदीप तिवारी की तरफ से भी मामले की सुनवाई अलग-अलग किए जाने की मांग की गई. ज्ञानवापी के ज्यादातर मामलों में प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से अधिवक्ता रईस अहमद ने भी आपत्ति जताई. इसी तरह से शासन की तरफ से विशेष अधिवक्ता राजेश मिश्र ने न्यायोचित आदेश पारित करने का अनुरोध किया. अदालत ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद आदेश के लिए पत्रावली सुरक्षित रख ली है.अब सोमवार को कोर्ट के आदेश पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं.

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