यूपी सरकार द्वारा हलाल प्रोडक्ट को बैन करने के बाद फूड विभाग ने मुख्यमंत्री के शहर में विभिन्न मॉल, मार्ट में छापेमारी की कार्रवाई की है. छापामारी के दौरान पैडलेगंज स्थित एक मार्ट से भारी मात्रा में हलाल प्रोडक्ट को पकड़ा गया है. हालांकि, हलाल प्रमाणित उत्पादों के खिलाफ चले अभियान में पहले दिन कोई सफलता न मिलने पर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की भद पिटी तो अफसर एक्टिव हुए. महानगर के चार स्थानों पर छापेमारी कर 160 किलोग्राम भोजन की हलाल प्रमाणित खाद्य पदार्थों को टीम ने जब्त किया है. इसकी कीमत 40320 रुपए है. महानगर में अब भी भारी मात्रा में हल प्रमाणित खाद्य पदार्थों को बेचा जा रहा है. वहीं खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीम ने पिछले दो दिनों से विभिन्न मॉल, मार्ट, सुपर मार्केट में लगातार छापेमारी कर रही है. शहर के एक मार्ट में भारी मात्रा में हलाल लिखा हुआ विभिन्न प्रोडक्ट को फूड विभाग टीम ने जब्त किया है. असिस्टेंट कमिश्नर फूड कुमार गुंजन के नेतृत्व में की गई इस छापेमारी में मार्ट के अंदर से चिप्स, चॉकलेट, मिठाइयां व अन्य कई प्रकार के खाद्य सामग्री को बरामद किया गया है. जिन पैकेट पर हलाल लिखा हुआ था. इन सभी उत्पादों को नियम के तहत सील किया गया और अपनी कब्जे में लेकर जांच के लिए लैबोरेट्री भेजा गया है.
वहीं पादरी बाजार में स्पेंसर की मैनेजर सत्येंद्र कुमार पांडेय ने कहा कि शासन के निर्देश के बाद हलाल प्रमाणित उत्पाद हटा दिए गए थे लेकिन भूल बस कुछ सामान रह गया था इसे भी हटा दिया गया है. असिस्टेंट कमिश्नर का कहना है कि शासनादेश के मुताबिक अब इस तरह के प्रोडक्ट को ना बेचा जा सकता है ना ही बनाया जा सकता है और ना ही स्टॉक किया जा सकता है. ऐसा करने वालों पर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी. फिलहाल गोरखपुर में हलाल प्रोडक्ट पकड़े जाने का यह पहला मामला सामने आया है. अधिकारियों ने कहा कि आगे भी छापेमारी की कार्रवाई चलती रहेगी. इसके साथ ही उन्होंने व्यापारियों से अनुरोध किया कि अगर किसी के दुकान या गोदाम पर हलाल लिखा हुआ कोई भी प्रोडक्ट है तो वह तत्काल उसे वहां से हटा दें.
वही इस मामले में दुकान की देखरेख करने वाले एक युवक द्वारा बताया गया कि सरकार ने आनन-फानन में यह फैसला लिया है. जो न्याय उचित नहीं है. व्यापारियों का लाखों रुपए का माल दुकानों में भरा हुआ है. सरकार को इस प्रतिबंध लगाने से पहले कुछ समय सीमा तय करनी चाहिए थी. जिसके तहत व्यापारी अपने माल को बेच लेते या हटा लेते. लेकिन सरकार के इस रवैया को उन्होंने न्याय उचित नहीं बताया. उन्होंने बताया कि सरकार का यह फैसला पूरी तरीके से गलत है. जिसका खामयाजा आम व्यापारियों को भुगतना पड़ रहा है. छापेमारी की टीम में मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी हितेश मोहन त्रिपाठी, खाद्य सुरक्षा अधिकारी सूचित प्रसाद, संतोष कुमार तिवारी, स्वामीनाथ, कमल नारायण सिंह, राधेश्याम, उमाशंकर सिंह, डॉक्टर श्रीनिवास यादव, अंकुर मिश्रा शामिल रहे.
रिपोर्ट– कुमार प्रदीप, गोरखपुर