लेखक और निर्देशक इम्तियाज़ अली ने हिंदी सिनेमा में प्यार को नयी परिभाषा दी है। सोचा न था, जब वी मेट ,रॉकस्टार जैसी फिल्मों ने इम्तियाज अली को युवाओं के पसंदीदा निर्देशक बना दिया हैं. उनकी फिल्मों का दर्शकों का इंतजार रहता है. आज अपना 50 वां जन्मदिन मना रहे इम्तियाज अली के बारे में यह बात लोगों को कम ही पता होगी कि उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अभिनेता बनने के बारे में सोचा था, लेकिन वह निर्देशक बन गए. इम्तियाज ने थिएटर में एक्टिंग भी की थी.
इम्तियाज अपने एक साक्षात्कार में बताते हैं कि मैं जमेशदपुर से हूं. वहां कभी फिल्मों की शूटिंग हुई ही नहीं तो मैं निर्देशक बनने के बारे में मैं कैसे सोच सकता था. मैं भी आम भारतीयों की तरह सिनेमाघरों में फिल्में देख देखकर बड़ा हुआ हूं तो मेरा भी झुकाव एक्टर्स की तरफ ही था और मैं एक्टिंग ही करना चाहता था लेकिन कई बार हमारे फैसलों पर हालातों के फैसले ज़्यादा सटीक साबित होते हैं. मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ. इम्तियाज स्टोरी टेलर शुरुआत से रहे हैं.
उन्होंने इंडस्ट्री में जगह बनाने के लिए एक्टिंग में मौका ना मिलते देख राइटिंग से शुरुआत की. उन्होंने परंपरा नामक टीवी शो के लिए लेखन का काम किया था. बाद में कुछ फिल्मों का लेखन किया और फिर उन्हें धर्मेंद्र के प्रोडक्शन के बैनर तले वर्ष 2005 फिल्म सोचा न था बनाने का मौका मिला, हालाँकि फिल्म कामयाब नहीं हुई. लेकिन दर्शकों को रिलीज के कुछ सालों के बाद यह फिल्म बेहद पसंद आई थी। उनको बड़ी कामयाबी मिली 2007 में बनी फिल्म जब वी मेट से. उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
गौरतलब है कि फ़िल्म ब्लैक फ्राइडे में इम्तियाज़ अली याकूब मेनन की छोटी से भूमिका में नजर आए थे. ब्लैक फ्राइडे का निर्देशन अनुराग कश्यप ने किया था.
Posted By: Shaurya Punj