Diwali (Deepavali) 2021Vrat Vidhi, Katha, Story, Kahani Procedure: आज दीपावली का त्योहार मनाया जा रहा है. मान्यता है कि दिवाली के दिन प्रदोष काल में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है दीपावली वाले दिन धन की देवी मां लक्ष्मी धरती पर विचरण के लिए आती हैं देवी लक्ष्मी ऐसे व्यक्ति के साथ हमेशा रहती हैं. कई लोग दिवाली की पूजा को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए इस दिन व्रत भी करते हैं.
पौराणिक कथा
दीपावली को लेकर हिन्दुओं में माता लक्ष्मी की एक कथा बहुत प्रचलित है. एक बार कार्तिक मास की अमावस को लक्ष्मीजी भ्रमण पर निकलीं, लेकिन पूरी दुनिया में चारों ओर अंधकार था. वे रास्ता भूल गईं तो निश्चय किया कि रात्रि वे मृत्युलोक में गुजार लेंगी और सूर्योदय पश्चात बैकुंठधाम लौट जाएंगी, मगर उन्होंने पाया कि सभी लोग अपने-अपने घरों में दरवाजा बंद करके सो रहे हैं. मगर इसी अंधेरे में उन्हें एक द्वार खुला दिखा, जिसमें एक दीपक की लौ टिमटिमा रही थी.
वे उस प्रकाश की ओर चल दीं, जहां एक वृद्ध महिला को चरखा चलाते देखा. रात्रि विश्राम की अनुमति लेकर वह उसी कुटिया में रुकीं. वृ्द्धा मां लक्ष्मीदेवी को बिस्तर आदि देकर दोबारा काम में जुट गई. चरखा चलाते-चलाते वृ्द्धा की आंख लग गई, अगली सुबह दूसरे दिन उठने पर उसने पाया कि अतिथि जा चुकी है, लेकिन कुटिया की जगह पर एक शानदार महल खड़ा हो चुका था, हर ओर धन-धान्य, रत्न-जेवरात बिखरे थे. तब से कार्तिक अमावस्या की रात दीप जलाने की प्रथा चली आ रही है, लोग द्वार खोलकर लक्ष्मीदेवी के आगमन की प्रतीक्षा करने लगे.
व्रत रखने वाले रखें इन बातों का ध्यान
दिवाली के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें, स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें.
पूरे घर की सफाई के बाद मंदिर की सफाई कर माता महालक्ष्मी के नाम की ज्योति जलाएं.
अब विधि पूर्वक माता महालक्ष्मी, भगवान गणेश की पूजा करें. आप कोई भी हिंसा न करें
दिवाली का पूरा दिन फल, दूध और सात्विक पदार्थों का सेवन कर व्यतीत करें.
दिवाली के दिन आप ज्यादा से ज्यादा नाम जाप या मंत्र जाप करें.
दिवाली शाम को शुभ मुहूर्त में महालक्ष्मी, गणेशजी की पूजा कर आशीर्वाद लें.
महालक्ष्मी, गणेश को भोग लगा भोग को प्रसाद रूप में लें. जरूरतमंद को दान-दक्षिणा दें.
लक्ष्मी सूक्त का पाठ
।। न क्रोधो न च मात्सर्य
न लोभो ना शुभामति:
भवन्ति कृत पुण्यानां
भक्तानां सूक्त जापिनाम्।।
अर्थात्
लक्ष्मी सूक्त का पाठ करने वाले की क्रोध, मत्सर, लोभ व अन्य अशुभ कर्मों में वृत्ति नहीं रहती. वे सत्कर्मों की ओर प्रेरित होते हैं.