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लक्ष्मण गिलुवा के निधन की बात सुन बचपन के मित्र सुखलाल सोय के नहीं निकल रहे शब्द

Jharkhand News (चक्रधरपुर/ पश्चिमी सिंहभूम) : झारखंड बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सह पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुवा के निधन की खबर सुनकर हर कोई हतप्रभ है. दिवंगत लक्ष्मण गिलुवा के बचपन के घनिष्ठ एवं परम मित्र सुखलाल सोय इतने शोक में हैं कि उनके मुंह से शब्द ही नहीं निकल रहा है. उनसे जब संपर्क किया गया, तो वह बस इतना ही कहे कि आज का दिन मेरे जीवन का सबसे खराब दिन है. मैंने आज अपने सबसे परम मित्र को, जो मेरे बड़े भाई के समान थे, खो दिया. उनके साथ एक पत्तल पर खाना खाया था. एक चटाई, एक बिस्तर में रात गुजारा था. घर से लेकर खेल का मैदान और खेल के मैदान से लेकर स्कूल कॉलेज तक साथ साथ रहे थे.

Jharkhand News (चक्रधरपुर/ पश्चिमी सिंहभूम) : झारखंड बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सह पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुवा के निधन की खबर सुनकर हर कोई हतप्रभ है. दिवंगत लक्ष्मण गिलुवा के बचपन के घनिष्ठ एवं परम मित्र सुखलाल सोय इतने शोक में हैं कि उनके मुंह से शब्द ही नहीं निकल रहा है. उनसे जब संपर्क किया गया, तो वह बस इतना ही कहे कि आज का दिन मेरे जीवन का सबसे खराब दिन है. मैंने आज अपने सबसे परम मित्र को, जो मेरे बड़े भाई के समान थे, खो दिया. उनके साथ एक पत्तल पर खाना खाया था. एक चटाई, एक बिस्तर में रात गुजारा था. घर से लेकर खेल का मैदान और खेल के मैदान से लेकर स्कूल कॉलेज तक साथ साथ रहे थे.

सुखलाल साेय ने एक पुरानी तस्वीर साझा करते हुए लिखा है कि माघे पर्व में बड़े भाई लक्ष्मण गिलुवा के साथ नृत्य किये थे. बचपन से खेलकूद किये. मारवाड़ी स्कूल में पढ़ाई की. चक्रधरपुर के आदिवासी होस्टल में कई यादगार पल बिताया. एक साथ कोल्हान की संघर्ष वाले दिन में राजनीतिक में कदम रखा. साथ में दिल्ली, पटना, रांची, जमशेदपुर, सरायकेला, चाईबासा में राजनीतिक करना अब सब यादगार बन गया है. वह कहते हैं कि असमय बड़े भाई का इस दुनिया से चले जाना, इसकी कमी मुझे सदैव खलेगी.

गिलुवा जी के साथ 1985 से मेरा व्यक्तिगत संबंध रहा : सुखराम

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सह पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुवा के निधन पर चक्रधरपुर के विधायक सुखराम उरांव ने शोक व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि 1985 से गिलुवा जी के साथ मेरा व्यक्तिगत संबंध रहा है. जब 1990 में वह बाल्टी चुनाव चिह्न से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे तो मैंने उनका पूरा साथ दिया था. 1995 से हमारी राजनीतिक प्रतिद्वंदिता शुरू हुई, लेकिन व्यक्तिगत संबंध कभी भी खराब नहीं हुआ. 1995 में वह भाजपा प्रत्याशी और मैं निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर सेब छाप से चुनाव लड़ा था. इस चुनाव से ही हमारे बीच राजनीतिक दूरी बनी, लेकिन व्यक्तिगत संबंध कायम रहा. 2004 के लोकसभा चुनाव में मैं आजसू प्रत्याशी और गिलुवा जी भाजपा प्रत्याशी थे. मेरे 87000 वोट लाने के कारण कांग्रेस प्रत्याशी बागुन सुंब्रुई इस चुनाव में जीत हासिल किये थे. गिलुवा जी को शिकस्त का सामना करना पड़ा था. 2005 के विधानसभा चुनाव में मैंने गिलुवा जी को पराजित कर जीत हासिल किया. 2009 में गिलुवा जी ने मुझे पराजित कर दिया. 2019 में पुनः मैंने गिलुवा जी को पराजित किया.

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शिक्षा प्रेमी थे गिलुवा जी : संजय

झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार महतो ने कहा है कि गिलुवा जी के निधन से मैं मर्माहात हूं. शिक्षक समाज को इससे बड़ा नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि गिलुवा जी शिक्षा प्रेमी सांसद एवं विधायक थे. हमने जब भी शिक्षकों की समस्याएं लेकर उनसे संपर्क किया, वह हमेशा समाधान की दिशा में पहल करते है. टोकलो क्षेत्र में जितने कार्यक्रम हमारे द्वारा आयोजित किए गए, सभी में गिलुवा जी शामिल होते और बच्चों का उत्साहवर्धन करते थे.

Posted By : Samir Ranjan.

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