प्रदेश में ठंड का मौसम बढ़ने के साथ ही कानपुर के हैलट व उर्सला अस्पताल की ओपीडी में ब्रेन स्ट्रोक और सांस संबंधित रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है. जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल में मेडिसिन विभाग में करीब 500 मरीज इलाज करने को पहुंचे. इनमें अधिकांश खांसी, जुखाम, बुखार, शरीर में दर्द, सिर दर्द, उल्टी दस्त से पीड़ित थे. मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर जे एस कुशवाहा ने बताया कि ओपीडी में मधुमेह हृदय रोगियों के साथ ब्रेन स्ट्रोक की समस्या वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई है. चिकित्सकों के मुताबिक सर्दी के मौसम में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा अधिक बढ़ जाता है. यह मरीज को कोमा तक पहुंचाने वाली खतरनाक बीमारी है. इसका दूसरा बिगड़ा स्वरूप लकवा है. इस मौसम में ठंडे पेय पदार्थ व दही आदि से परहेज करना चाहिए. बिस्तर से अचानक नहीं उठे, क्योंकि बिस्तर और बाहर के तापमान में काफी अंतर होता है. इस वजह से चक्कर आने व ब्रेन स्ट्रोक की समस्या हो सकती है. सर्दी के मौसम में हल्का गुनगुना पानी जरूर पिए.
न्यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टर राघवेंद्र गुप्ता के मुताबिक ब्रेन स्ट्रोक में खून ब्लॉकेज होने से दिमाग की कोई एक नस फट जाती है. सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा इसलिए और बढ़ जाता है क्योंकि दिमाग को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है. इस कारण मस्तिष्क की नसें सिकुड़ जाती है और रक्त संचरण में बाधा के चलते फट जाती हैं. अगर समय पर उपचार नहीं किया जाता है, तो मरीज को लकवा पड़ सकता है और जान पर बन आती है.
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ब्रेन स्ट्रोक के पहले शरीर में कुछ तरह के बदलाव महसूस होने लगते हैं, जिन्हें अनदेखा नहीं करना चाहिए. अचानक आंखों की रोशनी में फर्क महसूस होना, चक्कर आना, सर दर्द की समस्या, बोलने और समझने में परेशानी, सर दर्द, चलने में दिक्कत व उल्टी होना ब्रेन स्ट्रोक के मुख्य लक्षण है.