पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के बचाव से जुड़े मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस जय सेनगुप्ता की बेंच में राज्य को कई सवालों का सामना करना पड़ा. मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने राज्य सरकार से पूछा कि सत्तारूढ़ पार्टी के साथ रहते हुए क्या उन्होंने कोई अपराध किया? और पार्टी बदलने के बाद इतने अपराध कर दिये. इस पर राज्य सरकार ने कहा कि शुभेंदु अधिकारी उस समय दायरे में रहते थे. यदि आप आज कोई अपराध नहीं करते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप इसे कल नहीं करेंगे.
इस पर न्यायाधीश ने कहा कि पार्टी बदलने से पहले केवल एक आपराधिक शिकायत और पार्टी बदलने के बाद थोड़े समय के भीतर 27 शिकायतें दर्ज हो गयीं. न्यायाधीश ने राज्य सरकार से कहा कि ये आंकड़े आपके ख़िलाफ़ जा सकते हैं. राज्य का कहना है कि यह तर्क कि शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जायेगी, क्योंकि वह विपक्षी खेमे में चले गए हैं, यह स्वीकार्य नहीं है. लेकिन जज ने कहा कि इतने कम समय में जिसके खिलाफ इतनी शिकायतें हों, उसे अपराधी कहा जाना चाहिए. राज्य का कहना है कि अगर शुभेंदु अधिकारी विपक्ष के नेता के तौर पर पांच जगहों पर जाएंगे और पांच बार गड़बड़ी करेंगे तो हम क्या करें. हालांकि, मामले में हाईकोर्ट ने कोई फैसला नहीं सुनाया. इस मामले की अगली सुनवाई 13 सितंबर को होगी.
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कलकत्ता हाईकोर्ट ने अवैध निर्माण को लेकर दायर जनहित याचिकाकर्ता की पिटाई के मामले की जांच सीआईडी को सौंपने का आदेश दिया है. जस्टिस जय सेनगुप्ता ने यह आदेश काशीपुर पुलिस स्टेशन की निष्पक्षता की कमी और अदालत में विश्वास की कमी के कारण दिया. आरोप है कि इस जनहित का मुकदमा दर्ज कराने पर शिकायतकर्ता को न सिर्फ पीटा गया, बल्कि काशीपुर थाने की पुलिस उस पर मुकदमा वापस लेने का दबाव बना रही है. सिर्फ यही नहीं, पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की बजाय याचिकाकर्ता के परिवार वालों को बिना किसी नोटिस के गिरफ्तार कर लिया. मामले की सुनवाई हुई.
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मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश जय सेनगुप्ता ने आदेश दिया कि इस मामले की जांच काशीपुर थाने की बजाय सीआईडी को सौंपी गयी है. न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता के परिवार पर लगातार हमलों के बावजूद, अदालत के हस्तक्षेप तक पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. सीआईडी को कुल तीन मामलों की जांच का जिम्मा सौंपा गया है. कोलकाता पुलिस जल्द से जल्द मामले की फाइल सीआईडी को देगी. मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने कहा कि दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ मामला दर्ज कराया है. फिर दोनों पक्षों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए था, यहां एक पक्ष तो है, लेकिन दूसरा पक्ष क्यों नहीं. कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर पुलिस ने पारदर्शिता से जांच की होती और आरोपियों को समय पर गिरफ्तार कर लिया होता व आज कोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना पड़ता. हाईकोर्ट ने मामले की जांच का जिम्मा अब सीआईडी को सौंप दिया है.
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मालदा के धर्मांतरण मामले में सीबीआई ने जांच की प्रगति रिपोर्ट कलकत्ता हाईकोर्ट को सौंप दी है. मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सीबीआई को जांच में तेजी लाने का आदेश दिया. हालांकि सीबीआई ने कहा कि इस जांच में अभी कुछ वक्त लगेगा. कोर्ट ने पहले ही आदेश दिया था कि जिन परिवारों को दिक्कत है, उन्हें पुलिस सुरक्षा मुहैया करायी जाये. लेकिन याचिकाकर्ता के वकील का दावा है कि परिवार की सुरक्षा के लिए सिविक वॉलिंटियर को तैनात किया गया है. वहीं, सरकारी वकील ने सुरक्षा की जानकारी देने के लिए समय मांगा. अगली सुनवाई सोमवार को है. जस्टिस जय सेनगुप्ता ने निर्देश दिया कि अगर अभी तक सुरक्षा मुहैया नहीं करायी गयी है तो एसपी मालदा तुरंत वहां दो सशस्त्र गार्ड तैनात करेंगे. गौरतलब है कि सीबीआई ने कहा कि इस जांच में अभी कुछ वक्त लगेगा सुरक्षा को लेकर पूरी व्यवस्था की जाएगी.
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