high manglik and non manglik marriage: लड़का मांगलिक था, इस कारण से लड़की मांगलिक ढूंढी गई. वधु के साथ वर पक्ष वालों ने सुख की सांस ली, हालांकि लड़का और लड़की को मांगलिक होने का अर्थ पता नहीं था. इस के ठीक विपरीत एक दूसरी लड़की का विवाह इसलिए टूट गया क्योकि वह मांगलिक थी. ऐसे में प्रश्न उठता है कि मांगलिक होना क्या दुर्भाग्य की निशानी है? उत्तर है नहीं. अमूमन दस में से चार जोड़े मांगलिक होते है. जिस प्रकार बीमार व्यक्ति डॉक्टर के पास जाता है.
उसी प्रकार ग्रह और नक्षत्रों की समस्या के लिए निवारण केवल ज्योतिष दे सकते है. आजकल की पीढ़ी किसी बात को मानने के लिए वैज्ञानिक आधार की आवश्यकता होती है. ज्योतिष एक विज्ञान है, जिसे सदियों से सिखाया जा रहा है. जंतर -मंतर आज भी ज्योतिष विज्ञान का प्रतीक है. खगोलीय ज्ञान के लिए भारत में आज भी प्रसिद्ध है, लाभान्वित कर रहा है.
भारतीय ज्योतिषों की कुंडली दो प्रकार की गणना पर आधरित होती है, सूर्य और चंद्र. ज्योतिष अंक गणित एक से नौ तथा का प्रतिनिधित्व करता है. एक सूर्य का दो चंद्र का तथा नौ मंगल का नंबर माना जाता है. भारतीय ज्योतिष में राहु और केतु को आठवां और नवा ग्रह माना गया है. जातक कुंडली में चन्द्र और सूर्य गणना के आधार पर प्रथम, चतुर्थ सप्तम अष्टम तथा बारहवें स्थान पर मंगल होने से “मांगलिक दोष” की कुंडली कही जाती है. दोष का अर्थ होता है जातक के स्वभाव में क्रोध, जिद्द, शासन करने की प्रवृति पाई जाती है.
वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो ऊर्जा का प्रवाह हमारे चारों ओर रहता है. हमारे जन्म के समय खगोलीय अवस्था से लेकर ग्रह हमारे आस-पास के वातावरण पर प्रभाव डालते है. इस प्रभाव के कारण हमारा प्राकृतिक व्यवहार निर्धारित होता है. ज्योतिष के अनुसार हमारे ग्रह जन्म लगन के अनुसार आचरण करते है, जो अच्छा और बुरा परिणाम दे सकते है. मंगल शुभ का कारक होता है.
जातक की कुंडली में, प्रथम भाव में मंगल शनि हो. ऐसे में राहु श्रीण चन्द्रमा के साथ हो. इसके साथ ही, शत्रु राशि कुंभ, मकर में हो. इस प्रकार की कुंडली मांगलिक दोष युक्त कही जाती है. ज्योतिषियों के अनुसार विवाह में अड़चन आती है. उसका विवाह देर से होता है. यदि मंगल चतुर्थ भाव में हो तो जातक का विवाह शीघ्र होता है. विवाह शीघ्र तो होता है पर ग्रहस्थी में क्लेश और दुख बना रहता है. भूमि, भवन निर्माण संबंधी मामलों में उलझन होती है. घर के बड़े बूढ़ों से अनबन होती है.
मांगलिक दोष विवाह में व्यवधान डालता है. सप्तम भाव में मंगल हो तो विवाह में बाधा व् कठिनाइयां विवाह के उपरांत भी बनी रहती है. इसी प्रकार अष्टम भाव में मंगल हो तो जातक के कुसंगति में पड़ने के योग बनते है. ज्योतिष के अनुसार मंगल के अष्टम भाव में होने के कारण जीवन- साथी की मृत्य के योग होते है. मांगलिक दोष केवल एक ग्रह दशा है जिसका निवारण सम्भव है.
बारहवें स्थान पर यदि मंगल हो तो जातक के विवाह उपरांत खर्च बढ़ जाते है, पारिवारिक संतुलन बिगड़ जाता है. इन सब लक्षणों के होने पर भी यदि चंद्रमा केंद्र में है तो कुंडली मांगलिक दोष मुक्त होती है. मंगल शुभ का प्रतीक है. मंगल की स्थिति से रोजी-रोटी कारोबार की सफलता से जुड़ी है. मंगल अगर शनि जैसे ग्रह के साथ है तब ही अनिष्टकारी लगता है. जीवन में समस्या है तो निवारण भी है. प्रश्न है तो समाधान भी है.
मांगलिक से मांगलिक जातक का विवाह होना मंगल दोष का निवारण है, जिस कन्या की कुंडली में मंगल 1, 4, 7, 8, 12 स्थान पर हो उसका विवाह ऐसे जातक के साथ करवाना चाहिए, जिसकी कुंडली में मंगल की सामान भाव की कुंडली में शनि बैठा हो.
मांगलिक दोष होने पर वधु पक्ष लड़की का पूर्व विवाह पीपल के साथ करता है. इसके अतिरिक्त शालिग्राम को पूजने और उस से सांकेतिक विवाह की रीत है. इसके अलावा शादी का मूल मन्त्र है, संयम जो किसी भी विवाह में काम आता है.
अशांत ना रखे. मंगल ग्रह लाल रंग कि और आकर्षित होता है, इस कारण से रक्त पुष्प रक्त चन्दन, लाल कपड़े में लाल मसूर दाल, मिष्ठान द्रव्य को साथ बांध कर नदी में बहा देना चाहिए.
संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ
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Posted by: Radheshyam Kushwaha