गोरखपुर : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में अवकाश के दिन घटेंगे. कक्षाएं 180 दिन संचालित होंगी. प्रत्येक सेमेस्टर में 90 दिन शिक्षण कार्य दिवस सुनिश्चित किए जाएंगे. विश्वविद्यालय प्रशासन कार्य कर रहा है. वही विश्वविद्यालय में 52 दिन से अवकाश को घटाकर 29 दिन किया जाएगा. विद्यार्थियों के पठन-पाठन को और बेहतर करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह कदम उठाया है. इसको लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्य शुरू कर दिया है. गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने बताया कि विद्यार्थियों का समय से कोर्स पूरा करना व पठन-पाठन व्यवस्था दुरुस्त करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है.यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार शैक्षणिक सत्र में 180 दिन शैक्षणिक कार्य दिवस सुनिश्चित किया जाएगा.प्रत्येक सेमेस्टर में 90 दिन कक्षा का संरक्षण कराया जाएगा.इसको लेकर विश्वविद्यालय में पूर्व निर्धारित 52 दिन के अवकाश की समीक्षा कर घटाने की तैयारी की जा रही है. विश्वविद्यालय प्रशासन इसको लेकर कार्य शुरू कर दिया है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी के अनुसार एक शैक्षणिक सत्र में कम से कम 180 दिन शिक्षण कार्य होना चाहिए.प्रदेश की अन्य विश्वविद्यालयों की तुलना में गोरखपुर विश्वविद्यालय में सबसे अधिक कुल 52 दिन अवकाश है. जबकि राज्य सरकार के आदेश की अनुसार सिर्फ 29 दिन अवकाश होना चाहिए.वर्तमान सत्र में लखनऊ व मेरठ विश्वविद्यालय में 29 दिन ही अवकाश है. इसको देखते हुए यहां भी अवकाश की सूची को तर्कसंगत बनाया जा रहा है. जिससे छात्रों को कम से कम एक सेमेस्टर में 90 शिक्षण कार्य दिवस सुनिश्चित हो जिससे पाठ्यक्रम को समय से पूरा किया जा सके.
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विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत विद्यार्थियों की समग्र विकास पर जोर दिया गया है.इसे सुनिश्चित करने के लिए अधिक शैक्षणिक कार्य दिवस की आवश्यकता है. जिसमें शिक्षक के साथ शैक्षणिक व खेलकूद की गतिविधियों को संचालित किया जा सके. विश्वविद्यालय प्रशासन इसको ध्यान में रखते हुए मिड सेमेस्टर की परीक्षाओं को समाप्त कर दिया है. मिड सेमेस्टर परीक्षा को करने में 21 दिन लगते थे. ऐसे में मिड टर्म की सेमेस्टर परीक्षाओं को करने में शैक्षणिक सत्र में करीब 40 दिन लगते थे. जिससे शैक्षणिक कार्य प्रभावित होता था. इसके साथ ही गैर आवश्यक अवकाशों को समाप्त करने पर भी कार्य किया जा रहा है.
रिपोर्ट : कुमार प्रदीप