प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सरकारी तंत्र में जनता के भरोसे को बढ़ाना सभी सरकारी कर्मचारियों की जिम्मेदारी है. उन्होंने रविवार को दिल्ली में पहले राष्ट्रीय प्रशिक्षण सम्मेलन का उद्घाटन करते हुये कहा कि सरकार के भीतर कभी भी योग्य, समर्पित और प्रतिबद्ध अधिकारियों की कमी नहीं रही. उन्होंने सेना का उदाहरण देते हुए कहा कि सेना ने आम लोगों के बीच एक अटूट विश्वसनीयता की छवि बनायी है और ऐसा ही प्रयास सरकारी कर्मचारियों को भी करना चाहिए. प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी दर्शाती है कि उन्हें यह एहसास है कि सरकारी व्यवस्था को लेकर जनता में विश्वसनीयता की कमी है.
दरअसल, सरकारी तंत्र की छवि आम जनों के बीच बहुत आदर्श नहीं रही है. सरकारी कार्यालयों को ऐसी जगह होना चाहिए जहां जाते ही आम व्यक्ति को ऐसा प्रतीत हो कि वह ऐसी जगह पहुंच गया है जहां उसकी शिकायतों, मांगों और आवेदनों को सुना जायेगा. सरकारी अधिकारियों या कर्मचारियों के पास जाकर आम जनता को यह लगना चाहिए कि वह सरकार के एक ऐसे प्रतिनिधि के पास पहुंच गया है जो उसके हितों की ईमानदारी से रक्षा करेगा. मगर, आम लोगों में सरकारी कार्यालयों और सरकारी कर्मचारियों को लेकर अभी तक ऐसा भरोसा नहीं बन पाया है. सरकारी व्यवस्था के बारे में एक और धारणा यह है कि लालफीताशाही की वजह से सरकारी काम समय पर नहीं हो पाते. और, यह समस्या केवल आम लोगों को ही प्रभावित नहीं करती, इसके प्रभाव दूरगामी और व्यापक हो सकते हैं.
पिछले महीने क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने चेतावनी दी थी कि भारत में लालफीताशाही की वजह से कारोबार के लिए लाइसेंस मिलने में देरी होती है और देश में निवेश पर असर पड़ सकता है. मूडीज ने भारत के महत्व को स्वीकार करते हुए कहा कि विनिर्माण और बुनियादी ढांचे से जुड़े विकास की बदौलत भारत अगले पांच साल तक जी-20 देशों में सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा. लेकिन, उसने चेतावनी भी दी है कि यदि सरकारी विभागों से मंजूरी के काम में तेजी नहीं आयी तो इससे निवेशकों में भारत के लिये आकर्षण घटेगा. प्रधानमंत्री ने सरकारी कर्मचारियों के प्रशिक्षण के बारे में कहा कि हर कर्मचारी की क्षमता को निखारने का प्रयास होना चाहिए. सरकारी कर्मचारियों का समुचित प्रशिक्षण बहुत जरूरी है. इससे वे अपना काम पेशेवर तरीके से कर पायेंगे और जनता में उनकी विश्वसनीयता बढ़ेगी.