डिजिटल लेनदेन के दौरान ठगी के साथ-साथ अब ठग क्रिप्टो के जरिये पैसे को कई गुना करने का लालच देकर लोगों को ठग रहे हैं. क्रिप्टो के जरिये ठगी का शिकार बनने वाले अधिकतर लोग पढ़े-लिखे और पेशेवर हैं. क्रिप्टो से ठगी करने वालों का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है. ऐसे नेटवर्क के अधिकतर सरगना चीन के शहरों या दुबई में रहकर ठगी को अंजाम दे रहे हैं. इसके लिए टेलीग्राम या व्हाट्सएप ग्रुप का भी इस्तेमाल हो रहा है. चीन के लोगों का क्रिप्टो से की जा रही ठगी में शामिल होने का एक प्रमुख कारण वहां कामगारों के वेतन में उल्लेखनीय कमी आना और बढ़ती बेरोजगारी है. क्रिप्टो ठग पहले एप या पोर्टल पर निवेशकों का खाता खुलवाते हैं. शुरू में निवेश की गयी छोटी रकम को दुगुना-तिगुना कर दिया जाता है. भरोसा जीतने के बाद निवेशकों को बड़ी रकम जमा करने को कहा जाता है. जैसे ही निवेशक ऐसा करते हैं, उसे तुरंत दूसरे खाते में अंतरित कर दिया जाता है या फिर होल्ड लगा दिया जाता है. आम तौर पर ठगी गयी रकम विदेश भेज दी जाती है.
वित्त मंत्रालय ने बाइनेंस समेत कई दोषी क्रिप्टो एक्सचेंज को नोटिस दिया है. ठगी के लिए इस्तेमाल हो रहे यूआरएल को ब्लॉक करने की दिशा में भी सरकार काम कर रही है. वैश्विक ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म चेनएनालिसिस के अनुसार, क्रिप्टो करेंसी के लेन-देन के मामले में अमेरिका के बाद ब्रिटेन, तुर्की, और रूस को पीछे छोड़ते हुए भारत दूसरा सबसे बड़ा बाजार बन गया है. भारत में क्रिप्टो करेंसी के क्वाइनडीसीएक्स, कॉइनस्विच, वजीरएक्स, बाययूकॉइन, जेबपे, गियोटस, उनोकॉइन आदि एक्सचेंज चल रहे हैं. क्रिप्टो एक्सचेंज स्टॉक एक्सचेंज की तरह काम करता है, जो निवेशकों को डिजिटल मुद्राओं में खरीदने और बेचने में मदद करता है. भारत में क्रिप्टो एक्सचेंज के परिचालन के लिए पंजीकरण कराना जरूरी है, लेकिन सिर्फ 31 क्रिप्टो एक्सचेंजों ने ही फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट में पंजीकरण कराया है. कई एक्सचेंज बिना पंजीकरण के गैरकानूनी तरीके से कारोबार कर रहे हैं.
क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज क्वाइनडीसीएक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार देश के 10 शहरों में क्रिप्टो करेंसी के लगभग 60 प्रतिशत निवेशक निवास करते हैं. क्रिप्टो में सर्वाधिक निवेश करने वाले पांच शहर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, लखनऊ और पटना हैं. उल्लेखनीय है कि लाभ पर 30 प्रतिशत आयकर के प्रावधान के बावजूद जुलाई 2022 से जून 2023 के दौरान भारत का क्रिप्टो में निवेश का वॉल्यूम लगभग 269 अरब डॉलर दर्ज किया गया है. भारत में अब क्रिप्टो के जरिये साइबर अपराध, डिजिटल धोखाधड़ी, टेरर फाइनेंस, कालाबाजारी और हवाला जैसे वारदातों को भी अंजाम दिया जा रहा है. क्रिप्टो करेंसी की बढ़ती लोकप्रियता ने गैरकानूनी चीजें खरीदने में इसके प्रयोग को बढ़ावा दिया है. क्रिप्टो करेंसी एक प्रकार की डिजिटल मुद्रा है, जो भौतिक रूप में उपलब्ध नहीं होती है. इसे किसी टकसाल में ढाला नहीं जा सकता है, इसलिए, इसका लेन-देन दूसरी मुद्राओं की तरह वैधानिक नहीं है. इस पर नियंत्रक का कोई नियंत्रण नहीं होता है. इसके अधिकतर उपयोगकर्ता गुमनाम रहकर लेन-देन करते हैं. क्रिप्टो करेंसी के लिए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है. क्रिप्टो करेंसी में कूटलेखन (कोड) का प्रयोग किया जाता है, जिसके इस्तेमाल में प्रणाली के जरिये धोखाधड़ी की आशंका बहुत कम होती है. क्रिप्टो करेंसी बिटक्वाइन, कारडानो, इथेरियम, रिपल, लिटेक्वाइन, स्टीम, डैश, डोजेक्वाइन आदि के रूप में मौजूद है.
क्रिप्टो करेंसी का सबसे पहले उपयोग तीन जनवरी 2009 में किया गया था, लेकिन इसकी लोकप्रियता में इजाफा होना 2012 से शुरू हुआ. आज दूसरी मुद्राओं, मसलन यूरो, डॉलर, पाउंड आदि की तुलना में क्रिप्टो करेंसी के मूल्य में तेजी से इजाफा हो रहा है. दुनिया भर में जिस रफ्तार से डिजिटलाइजेशन हो रहा है, क्रिप्टो करेंसी के प्रसार को रोका नहीं जा सकता है. हालांकि भारत जैसे अनेक देश हैं, जहां क्रिप्टो करेंसी की संकल्पना से ज्यादातर लोग अनजान हैं. फिर भी इसकी स्वीकृति बढ़ने की उम्मीद है. क्रिप्टो करेंसी के बाजार में विस्तार होते जाने से नियामक जांच की संभावना बढ़ी है. बदले परिवेश में सरकारें क्रिप्टो करेंसी को विनियमित करने के तरीकों की तलाश कर रही हैं. कुछ देशों में नये नियम-कानून बनाये गये हैं. कानून क्रिप्टो करेंसी के बाजार में स्थिरता ला सकता है और उसे वैधता देने के मार्ग को प्रशस्त करने में सहायक हो सकता है. आज डिजिटलाइजेशन के साथ-साथ क्रिप्टो से ठगी के मामलों में तेजी आ रही है और बहुत ही कम मामलों में ठगी की राशि की वसूली हो पा रही है. ऑनलाइन ठगी के शिकार अनपढ़ लोग आसानी से बन जाते हैं, लेकिन चिंता की बात यह है कि क्रिप्टो के जरिये ठगे जाने वालों में शिक्षित लोगों की संख्या अधिक है. आज जामताड़ा की तर्ज पर देश भर में क्रिप्टो के जरिये ठगी की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. इस तरह की ठगी को रोकने के लिए वित्तीय साक्षरता के अभियान को मुहिम की तरह पूरे देश में लगातार चलाने की जरूरत है
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)