वेब सीरीज-जामताड़ा 2
निर्देशक-सौमेन्द्र पाधि
कलाकार- स्पर्श श्रीवास्तव,मोनिका पंवार,अंशुमान पुष्कर,अमित सियाल,देबएन्दु भट्टाचार्य,सीमा पाहवा, रवि बहल और अन्य
रेटिंग-ढाई
प्लेटफार्म- नेटफ्लिक्स
Jamtara Season 2 Review: नेटफ्लिक्स की पॉपुलर क्राइम थ्रिलर सीरीज जामताड़ा के पहले सीजन ने, जब दस्तक दिया था,तो ना उसमें ए लिस्टर एक्टर थे,ना किसी बड़े प्रोडक्शन हाउस का मेगा बजट वाला सपोर्ट मगर दमदार कहानी और शानदार अभिनय ने इस सीरीज को दर्शकों के बीच काफी पॉपुलर बना दिया था. जिस वजह से नए सीजन का दर्शकों का बेसब्री से इंतज़ार था. इस सीजन भी यह अपराध की दुनिया लुभाती है,लेकिन वो प्रभाव छोड़ नहीं पायी है कि जो दूसरे सीजन को पहले की तरह यादगार बना दें.
जिस मोड़ पर पहला सीजन खत्म हुआ था. उससे आठ महीने आगे कहानी बढ़ गयी है. गुड़िया और सनी ने इस दौरान मानसिक और शारीरिक तौर बहुत कुछ झेला है. जिस वजह से गुड़िया(मोनिका)और सनी मंडल(स्पर्श) के बृजेश भान से बदले की कहानी इस सीजन की अहम धुरी है. जिसमें रॉकी (अंशुमान) बृजेश भान के लिए काम करते हुए भी इस बार सनी के साथ है. इस बदले की नींव साइबर क्राइम पर ही आधारित है. साइबर स्कैम की पहुँच पूरे देश तक पहुंच गयी है. जामताड़ा में बाकायदा इसकी क्लासेज चल रही हैं. नए युवक -युवतियों को ट्रेनिंग दी जा रही है. साइबर क्राइम को लेकर पुलिस और आम लोग सतर्क हो चुके हैं,लेकिन जामताड़ा के ये फिशिंग मास्टर्स कहाँ रुकने वाले हैं. ठगी के लिए वह नए-नए तरीकों को अपना रहे हैं. नए सीजन में स्कैम की इस दुनिया में स्कूल के बच्चों को भी शामिल कर लिया गया है. उनके साथ कैसे संगठित अपराध को अंजाम दिया जा रहा है. क्या कैसे होता है।इसके लिए आपको सीरीज देखनी होगी.
इस बार सीरीज में फिशिंग के अलावा और कई मुद्दे हैं,जो कहानी में जोड़े गए हैं. मुद्दों की इतनी अधिकता है कि किसी भी एक मुद्दे के साथ न्याय नहीं हो पाया है, जैसे जाति विभाजन, बीफ बैन और नोट बंदी का मुद्दा. जिस तरह से नोटबन्दी के मुद्दे की शुरुआत सीरीज में हुई थी,लगा था कि यह कहानी में अहम ट्विस्ट एंड टर्न लाएगा,लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. ऐसा ही बीफ बैन और जाति विभाजन मुद्दा भी आए गए से रह गए. वह कहानी में ज़्यादातर प्रभाव नहीं जोड़ पाए. अचानक रिश्तों के बदलते समीकरण भी कहानी को सवालों में ले आते हैं. पहले सीजन में दोनों भाई जो एक दूसरे को पसंद नहीं करते थे. वो अचानक से एक दूसरे के लिए मरने- मारने को कैसे तैयार हो जाते हैं खासकर अंशुमान का किरदार, यह समझ नहीं आता है. साइबर स्कैम पर केंद्रित कहानी वाली इस सीरीज में अलग अलग तरह के फिशिंग को इस बार कहानी से जोड़ा गया है. जैसे एडमिट कार्ड,केबीसी,डेटिंग एप और बस की सीट बुकिंग वाला स्कैम लेकिन वह भी कहानी को कुछ खास प्रभावित नहीं करते हैं. बस एक घटनाक्रम की तरह घटते चले लगते हैं.
बीते सीजन में कलाकारों के अभिनय ने जमकर तारीफ बटोरी थी. इस सीरीज के ज़्यादातर चेहरे उस वक़्त अपरिचित थे,लेकिन उन्होंने गहरी छाप छोड़ी थी. इस सीजन भी स्पर्श,अंशुमान और मोनिका पवार एक बार फिर से अपने किरदार में पूरी तरह से रचे बसे नज़र आए हैं. अमित सियाल को तो ऐसे किरदार में महारत हासिल है,ये कहना गलत ना होगा और वे एक बार फिर इस सीजन भी अपने ही अंदाज में नज़र आए हैं. सीमा पाहवा की नए किरदार के तौर पर एंट्री हुई है और वह अपनी सशक्त मौजूदगी सीरीज में दर्शाने में कामयाब हुई हैं. नए चेहरों में रिंकू मंडल का किरदार निभाने वाले अभिनेता भी याद रह जाते हैं. बाकी के कलाकारों ने भी अपनी मौजूदगी के साथ न्याय किया है.
बीते सीजन की तरह संवाद इस बार भी कहानी और किरदारों को गहराई देते हैं. इस सीजन सीरीज के शूटिंग लोकेशन में भले ही बदलाव आया है,लेकिन सिनेमेटोग्राफी इस बार भी उम्दा रही है. जामताड़ा 2 के गीत-संगीत में भी झारखंड की खुशबू महसूस होती है।.
स्क्रीनप्ले की खामियों के बावजूद जामताड़ा 2 एंटरटेनिंग है,इसके साथ ही यह फिशिंग से बचने की अहम सीख भी दे जाती है ,इसलिए 8 एपिसोड वाली ये सीरीज देखी चाहिए.