23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Jawan Movie Review: जवान बन शाहरुख़ खान ने एक बार फिर जीता दिल… दोहरी भूमिका में जमाया रंग

Jawan Movie Review: शाहरुख खान की जवान रिलीज हो चुकी है. फिल्म को दर्शकों के साथ-साथ क्रिटिक्स से ढेर सारा प्यार मिला. जवान कई मायनों में खास है क्योंकि यहां पर हिंदी सिनेमा के सबसे पावरफुल अभिनेताओं में शुमार शाहरुख़ खान के स्टारडम के साथ साउथ सिनेमा के निर्देशक एटली की दमकती प्रतिभा भी जुड़ी है.

फिल्म – जवान

निर्माता- गौरी खान

निर्देशक – एटली

कलाकार – शाहरुख खान, विजय सेतुपति, नयनतारा, सान्या मल्होत्रा, लेहर खान, संगीता भट्टाचार्य और अन्य

प्लेटफार्म – सिनेमाघर

रेटिंग – तीन

हिंदी सिनेमा में हीरोइज्म का दौर लौट आया है. पठान, ग़दर 2 के बाद जवान इसकी अगली कड़ी है. जवान कई मायनों में खास है क्योंकि यहां पर हिंदी सिनेमा के सबसे पावरफुल अभिनेताओं में शुमार शाहरुख़ खान के स्टारडम के साथ साउथ सिनेमा के निर्देशक एटली की दमकती प्रतिभा भी जुड़ी है, जिसका नतीजा पर्दे पैसा वसूल मास एंटरटेनर जवान सामने बनकर आया है. जिसमें एंटरटेनमेंट के साथ-साथ मैसेज भी है. फिल्म में कुछ खामियां भी हैं, लेकिन शाहरुख़ खान के जादू के सामने वे आसानी से नजरअंदाज हो जाते हैं.

कहानी है पुरानी लेकिन पेश करने का तरीका है खास

फिल्म की शुरुआत में दिखाया जाता है कि बुरी तरह से घायल एक शख्स को एक गांव के लोग बचाते हैं. कुछ महीनों बाद फिर वही अकेला शख्स पूरे गांव को बुरे लोगों से बचाता है एकदम सुपर हीरो की तरह और हमारे हीरो का चेहरा सामने आ जाता है, लेकिन उसे कुछ याद नहीं है. वह सबकुछ भूल गया है और कहानी आगे बढ़ जाती है. उसी शक्ल का एक शख्स सिस्टम के खिलाफ जाकर सरकार को वह सब करने को मजबूर कर रहा है,जो सिस्टम आम नागरिकों के लिए करना चाहिए. क्या ये दोनों इंसान एक ही हैं या अलग-अलग. अगर ये अलग-अलग हैं, तो इनके शक्ल एक जैसे क्यों है. इनके बीच का कनेक्शन क्या है. कहानी में इमोशन, ड्रामा, रोमांस और समाजिक सरोकार से जुड़ा कहानी के सब प्लॉट्स भी हैं. यह जानने के लिए आपको सिनेमाघरों का रुख करना पड़ेगा.

फिल्म की खूबियां और खामियां

फिल्म की कहानी सीधी और सरल है. एक बेटा अपने पिता के नाम से देशद्रोही के कलंक को मिटाना और मां की मौत का बदला लेना चाहता है लेकिन फिल्म का स्क्रीनप्ले जिस तरह से परतदार बनाया है.वह इस कहानी को एंगेजिंग बना गया है. बेटा पिता का नाम और लुक लेकर ही लोगों की मदद कर रहा है. जिससे कहानी में शुरुआत में ही उत्सुकता जुड़ जाती है कि ये दोनों लोग एक ही हैं या अलग-अलग हैं.कहानी अतीत और वर्तमान में जाकर इस राज को इंटरवल में सामने ले आती है. फिल्म में सिर्फ मसाला और ड्रामा नहीं है बल्कि सन्देश भी है. आमतौर पर एक्शन वाली मसाला फिल्मों को देखते हुए दिमाग घर पर रख कर आने को कहा जाता है लेकिन यहां मामला ऐसा नहीं है. सिनेमैटिक लिबर्टी फिल्म में जमकर ली गयी है लेकिन फिल्म समाज में विभन्न स्तर पर फैले करप्शन को भी कहानी में बखूबी जोड़े हुए है. ट्रैक्टर का लोन प्रतिशत मर्सडीज कार से ज़्यादा है.यह पहलू झकझोरता है. फिल्म मतदान के अधिकार का सोच समझकर इस्तेमाल करने की पैरवी भी करती है. फिल्म तूफानी रफ़्तार से इंटरवल तक चलती है. सेकेंड हाफ में कहानी का ग्राफ थोड़ा नीचे आ गया है.कहानी प्रिडिक्टेबल हो गयी है. क्लाइमेक्स में भी थोड़े और ट्विस्ट एंड टर्न की ज़रूरत थी. विक्रम राठौड़ की यादाश्त वापस आने वाला सीन थोड़ा और प्रभावी बनाना चाहिए था. राठौड़ की टीम में छह लड़कियां हैं, लेकिन बैकस्टोरी सिर्फ दो की ही दिखाई गयी है. यह पहलू भी थोड़ा अखरता है. फिल्म में हर थोड़े अंतराल पर एक्शन है. जो फिल्म की खिंचती कहानी को गति देने के साथ -साथ सीटी और ताली बजाने को भी मजबूर करते हैं. पठान में शाहरुख़ खान के एक्शन का अंदाज स्टाइलिश था तो यहाँ रॉ और एजी है.जो इस फिल्म को एक अलग टच दे गया है.फिल्म के कमज़ोर पहलुओं में इसका गीत है. शाहरुख़ खान की फिल्मों के गाने एक अहम यूएसपी होते हैं,लेकिन इस फिल्म में एक भी गीत याद नहीं रह पाता है. साउथ के गानों का बेहद कमजोर हिंदी अनुवाद इस फिल्म के गानों के नाम पर सुनाई देता है. बैकग्राउंड म्यूजिक ज़रूर शानदार है. संवाद अच्छे बन पड़े हैं, जो कई बार शाहरुख़ खान की निजी ज़िन्दगी के प्रसंग की भी याद दिला गए हैं. संवाद में ह्यूमर को भी अच्छे से जोड़ा गया है. फिल्म में सीक्वल की गुंजाइश को भी रखा गया है.

Also Read: Shah Rukh Khan: ‘फौजी’ से ‘जवान’ तक…जानें शाहरुख खान का बॉलीवुड के बादशाह बनने तक का सफर
दोहरी भूमिका में शाहरुख़ ने जमाया रंग

अभिनय की बात करें तो यह शाहरुख़ खान की फिल्म है. शाहरुख़ खान एक मैजिक का नाम है. एक बार फिर वह इस फिल्म से साबित करते हैं. यह उनका व्यक्तित्व ही है, जो इस तरह की फिल्म के साथ अकेले अपने दम पर न्याय करता है. फिल्म में वह दोहरी भूमिका में है. दोनों ही किरदारों को उन्होंने अलग-अलग अंदाज में निभाया है.उन्होंने लुक, बॉडी लैंग्वेज और संवाद अदाएगी में फर्क रखा है.लेकिन शाहरुख़ खान का ओल्डर वर्जन दिल जीत ले जाता है. यह कहना गलत ना होगा.नयनतारा ने प्रभावी ढंग से अपनी भूमिका को निभाया है.विजय सेतुपति भी अपने रोल में जमे हैं. सान्या मल्होत्रा, प्रियमणि सहित बाकी की अभिनेत्रियों ने अपनी भूमिका के साथ बखूबी न्याय किया है. दीपिका पादुकोण छोटी भूमिका में भी याद रह जाती हैं. संजय दत्त का भी कैमियो रोचक है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें