धनबाद उपायुक्त वरुण रंजन ने कहा कि धनबाद में किसी भी व्यवसायी या आम व्यक्ति को भयभीत होने की जरूरत नहीं है. जिला प्रशासन एवं पुलिस द्वारा अपराध नियंत्रण के लिए कई योजनाएं बनायी गयी हैं. अपराधियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई हो रही है. जेल से अपराध संचालित करनेवाले अपराधियों पर अंकुश लगेगा. पुलिस को अपना खुफिया तंत्र मजबूत करने को कहा गया है. सोमवार को प्रभात खबर कार्यालय में आयोजित संवाद कार्यक्रम में पहुंचे उपायुक्त ने विभिन्न विषयों पर खुलकर अपनी बात रखी. पेश है संवाद में पूछे गये सवाल और उनके जवाब.
धनबाद के व्यवसायी भयभीत हैं. लगातार मिल रही धमकियों से लोग पलायन की बात कर रहे हैं. विधि-व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए क्या कदम उठाये जा रहे हैं?
पुलिस की टीम लगातार कार्रवाई कर रही है. प्राथमिकियां दर्ज की जा रही हैं. धमकी देने के मामले में कई अपराधी गिरफ्तार भी हुए हैं. जेल भी गये हैं. पुलिस को कोर्ट में सरकारी वकील के माध्यम से अपना पक्ष मजबूती से रखने को कहा गया है, ताकि ऐसे अपराधियों को जल्दी बेल नहीं मिले. उन्हें सजा मिल सके. जेल से संचालित होनेवाले अपराध पर नियंत्रण लगाने की तैयारी चल रही है. शहर में खराब पड़े सीसीटीवी कैमरों को दुरुस्त कराने को कहा गया है, ताकि अपराध की घटनाओं में पुलिस को पुख्ता सबूत मिल सके. आने वाले समय में इसका रिजल्ट देखने को मिलेगा. पुलिस को अपना खुफिया तंत्र मजबूत करने के लिए भी कहा गया है.
माइनिंग टास्क फोर्स की मासिक बैठक में कोयला चोरी रोकने पर बातें होती हैं, लेकिन इस पर रोक नहीं लग पा रही है. सभी एक-दूसरे पर दोष मढ़ कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं. क्या कार्रवाई हो रही है?
ऐसा नहीं है. पहली बात, माइनिंग लीज होल्ड एरिया में कोयला चोरी रोकने की पहली जिम्मेदारी कोयला कंपनियों की है. माइनिंग टास्क फोर्स की बैठक में लिये गये निर्णयों का अनुपालन होता है. बीसीसीएल, इसीएल सहित विभिन्न कोयला कंपनियों को सीसीटीवी कैमरा लगाने को कहा गया है. कई स्थानों पर लगा भी है. ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल करने को कहा गया है. कोयला कंपनियों के पास सीआइएसएफ भी है. सीआइएसएफ को नियमित अंतराल पर पेट्रोलिंग करने को कहा गया है. कोयला चोरी के मामलों में नामजद प्राथमिकी दर्ज कराने को कहा गया है. जिला प्रशासन से जो भी कानूनी मदद की जरूरत होगी, दी जायेगी. अगर किसी सरकारी भूमि पर कोयला का अवैध खनन या कारोबार होता है, तो वहां के राजस्व कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई होगी, क्योंकि सरकारी भूमि पर खनन रोकना राजस्व कर्मी की जिम्मेदारी है. इसी तरह अगर किसी रैयती जमीन पर कोयला का अवैध कारोबार होता है, तो रैयत के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जायेगी. कोयला चोरी में गिरफ्तार होनेवालों को सजा दिलवाने तथा बेल रिजेक्ट करवाने के लिए भी कोर्ट में पुलिस मजबूती से अपना पक्ष रखेगी.
कोेयले की अवैध ढुलाई रोकने के लिए जिला प्रशासन क्या कार्रवाई कर रहा है?
कोयला का अवैध परिवहन रोकने के लिए कई कदम उठाये जा रहे हैं. सभी आउटसोर्सिंग कंपनियों को एक एंट्री एवं एक एग्जिट प्वाइंट बनाने को कहा गया है. बिना एंट्री के किसी भी वाहन को कंपनी के अंदर प्रवेश नहीं देने को कहा गया है. औचक जांच करायी जायेगी. अगर बिना एंट्री वाला कोई वाहन मिला, तो संबंधित आउटसोर्सिंग कंपनी पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी. साथ ही सभी कंपनियों को कोयला चोरी रोकने में ड्रोन कैमरा नियमित रूप से इस्तेमाल करने को कहा गया है.
झरिया पुनर्वास योजना देश की एक महत्वाकांक्षी योजना है. इसके क्रियान्वयन खासकर विस्थापितों को पुनर्वासित करने में क्या समस्या आ रही है?
झरिया पुनर्वास योजना के तहत विस्थापितों का पुनर्वास एक बड़ी चुनौती है. इसके तहत जेआरडीए की जिम्मेदारी आवास निर्माण की है, जबकि विस्थापितों को शिफ्ट कराने की जिम्मेदारी बीसीसीएल की है. अगर शिफ्टिंग में विधि-व्यवस्था की कोई समस्या आती है, तो उसमें सहयोग की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है. शिफ्टिंग में एक बड़ी चुनौती कट ऑफ डेट है. अभी वर्ष 2004 के सर्वे के अनुसार शिफ्टिंग करानी है. बीसीसीएल से कहा गया है कि शिफ्टिंग में अगर कोई परेशानी आ रही है तो बतायें. शिफ्ट नहीं करने वालों का आवंटन रद्द किया जायेगा.
संप हाउस बनाकर जल निकासी पर हो रहा मंथन
रानीबांध के पास जलजमाव को लेकर जिला प्रशासन गंभीर है. वहां मुख्य सड़क पर आरसीडी द्वारा आरसीसी बनाया जा रहा है. पिछले 15 दिनों से मौसम भी लगातार खराब है, इसलिए काम बाधित हो रहा है. वहां चार विकल्पों पर चर्चा हो रही है. पहला पानी को रानीबांध में गिराया जाये. इसका स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं. दूसरा वहां से नाली बना कर बड़ा नाला में मिलाया जाये. इसमें रैयती भूमि से नाली को ले जाना होगा, जिसका रैयत विरोध कर रहे हैं. तीसरा वहां से एक नाला बना कर सिंफर गेट के समीप नाला में मिलाने की योजना. इसमें तकनीकी समस्या आ रही है. चौथा विकल्प वहां संप हाउस बना कर जल निकासी का है. वहां एक बड़ा संप हाउस बना कर जल निकासी के प्रस्ताव पर मंथन हो रहा है. इसके लिए वहां राज्य सरकार की जमीन नहीं है. आइआइटी आइएसएम प्रबंधन से जमीन को लेकर बात हो रही है. फिलहाल नगर निगम द्वारा तीन पंप लगा कर पानी निकासी की जा रही है. लेकिन लगातार बारिश से परेशानी हो रही है. दो-तीन दिन मौसम ठीक रहा तो वर्तमान संकट से राहत मिल जायेगी.
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