लोहरदगा जिला के पहाड़ी इलाकों में उग्रवादियों की गतिविधियों के बढ़ने से विकास योजनाएं प्रभावित हो रही है.लोहरदगा, गुमला एवं लातेहार जिला के सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंक का पर्याय बना भाकपा माओवादी का दुर्दांत नक्सली 15 लाख रुपये का इनामी रीजनल कमांडर रविंद्र गंझू अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर है. सुरक्षाबलों की विशेष टीम ने बुलबुल जंगल आठ फरवरी से लगातार 10 दिनों तक नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाया.
इस अभियान में कई माओवादी पकड़े गये तथा एक नक्सली मारा भी गया. नक्सलियों के कई बंकर ध्वस्त किये गये. भारी मात्रा में हथियार और अन्य सामान भी बरामद हुए. लेकिन रवींद्र गंझू पुलिस की पकड़ से बाहर बाहर है. सुरक्षाबलों की विशेष टीम द्वारा लगातार कार्रवाई के बाद कहा जाने लगा कि अब लोहरदगा जिला का पेशरार क्षेत्र उग्रवादियों से मुक्त हो गया है.
लेकिन यह सच्चाई से परे है. रवींद्र गझू पहाड़ी क्षेत्र में बीच-बीच में अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर साबित कर देता है कि पहाड़ी क्षेत्र अभी भी नक्सलियों के हाथों में है. बगैर नक्सलियों के समर्थन यहां कोई काम नहीं हो सकता. 20 मार्च को इनामी नक्सली रवींद्र गंझू अपने 10_15 सदस्यों के साथ पेशरार थाना क्षेत्र के पुनदाग नदी में पुल निर्माण कार्य लगे दो ट्रैक्टरों को आग के हवाले कर दिया.
इसके बाद हुसुरू नदी में बन रहे पुल निर्माण कार्य में भी अपनी धमक दिखाया. मजदूरों को बगैर परमिशन के काम नहीं करने का फरमान जारी कर पेशरार की ओर चला गया. घटना की जानकारी मिलने के बाद अभियान एसपी दीपक पांडे के नेतृत्व में पुलिस लगातार अभियान चलाया जा रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार रवींद्र गंझू का पुलिस के पास फोटो ना होना, उसके लिए पुलिस से बच पाना कारगर साबित हो रहा है. उग्रवाद के कारण विकास योजनाएं प्रभावित हो रही है.