Jharkhand Naxal News: गढ़वा जिले में नक्सलियों का सेफ जोन कहा जाने वाला बूढ़ा पहाड़ पर पिछले कई दिनों से चल रहे नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत सर्च अभियान के दौरान फिर एक बार बुधवार को CRPF कोबरा 203 के ई बटालियन को अबतक की सबसे बड़ी सफलता हाथ लगी है.
बंकर और उसमें रखे हथियार बरामद
मालूम हो कि बूढ़ा पहाड़ स्थित थलिया से मंगलवार को काफी मात्रा में नक्सलियों का जखीरा बरामद किया गया था. बुधवार को दोबारा झंडी मुंडी नामक जगह के पास जंगल में स्थित आसनपानी एवं जोकपानी स्थल के पास माओवादियों द्वारा बनाया गया एक बंकर मिला. बंकर में सर्च करने के बाद उसमें छुपा कर रखा हुआ भारी मात्रा में IED बम, हथियार एवं गोला-बारूद सहित काफी मात्रा में अन्य सामग्री भी बरामद किए गए हैं.
इन असलहों की हुई बरामदगी
बताया गया कि बुधवार को CRPF के कोबरा 203 बटालियन के डिप्टी कमांडेंट जितेंद्र कुमार के नेतृत्व में एवं झारखंड पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से बूढ़ा पहाड़ के जंगलों में लगातार सर्च अभियान चलाया जा रहा है. इसी क्रम में बंकर दिखने पर उसकी जांच के दौरान नक्सलियों द्वारा बंकर में छुपा कर रखे गए विभिन्न क्षमता के 52 IED बम सहित देसी ग्रेनेड दो पीस, कोरडेक्स 15 केजी,12 वाट बैटरी दो पीस, 9 एमएम मैगजीन एक पीस, तार तीन बंडल, विस्फोट में उपयोग होने वाला सेफ्टी फ्यूज आठ किलो, डेटोनेटर इलेक्ट्रॉनिक 250 पीस, डेटोनेटर नन इलेक्ट्रॉनिक दो पीस, विस्फोट में उपयोग होने वाला स्प्रिंग प्रेशर मशीन एक पीस, एमसीएल दस पीस सहित अन्य सामग्रियों की भी बरामदगी हुई है. सर्च अभियान में मुख्य रूप से इंस्पेक्टर अमर सिंह मीणा, जीडी जेफ्री, हेड कांस्टेबल राकेश कुमार, महेंद्र कुमार, महेंद्र कुमार, कमांडों लाल सिंह, अवधेश ओझा, बाल सिंह, बृजेश कुमार, कांस्टेबल विजय हदीया, विनोद कुमार, आकाश बंसल एवं धनन्जय आदि सहित अन्य जवान शामिल थे.
बड़े नक्सली नेताओं का आश्रय था झाउल डेरा
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले माह बूढ़ा पहाड़ को नक्सल मुक्त करने के लिए चलाए गए ऑक्टोपस नामक अभियान के दौरान जब से बूढ़ा पहाड़ के झाउल डेरा नामक स्थल पर कोबरा 203 बटालियन का अस्थाई कैंप स्थापित हुआ है. यह अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी मिली है. जहां से नक्सलियों का बम बारूद का भारी मात्रा में जखीरा बरामद हुआ है, वहां पहले भाकपा माओवादी केंद्रीय समिति सदस्य अरविंद जी जैसे कई बड़े नक्सलियों का डेरा रहता था. उसके संरक्षण में माओवादियों को हर तरह का प्रशिक्षण दिया जाता था. बरामद किए गए बम बारूद का इस्तेमाल नक्सलियों द्वारा सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था.
पुलिस का सर्च अभियान तेज
सुरक्षा बलों के दबिश के बाद नक्सली अपने सुरक्षित ठिकाने को छोड़कर बूढ़ा पहाड़ से भाग खड़े हुए हैं. बटालियन द्वारा काफी लंबे-चौड़े दायरा में फैले बूढ़ा पहाड़ के क्षेत्रों में सर्च अभियान चलाकर उनके द्वारा छुपा कर रखे गए. उनके बेस कैंपों को ध्वस्त करते हुए उनके द्वारा छोड़े गए बम बारूद एवं हथियार बरामद कर उनके सुरक्षित ठिकाने को अपने कब्जे में कर रही है.