वीर मीरा– 16वीं सदी की हिंदू रहस्यवादी कवयित्री और कृष्ण भक्त मीरा बाई से प्रेरित संगीत, महिला, स्वतंत्रता, सशक्तिकरण पर एक भव्य संगीतमय प्रस्तुति ने पिछले दिनों चंडीगढ़ में दर्शकों का मन मोह लिया. एक गैर-लाभकारी संगठन सुमधुर हंसध्वनि ट्रस्ट और संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से तैयार इस संगीतमय प्रस्तुति का उद्देश्य साहसी मीरा की योद्धा भावना को प्रदर्शित कर महिला जागृति और मुक्ति का संदेश फैलाना है. पद्मश्री और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेता हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका विदुषी सुमित्रा गुहा, और उनकी प्रमुख शिष्या सामिया मेहबूब अहमद की संकल्पित और संगीतबद्ध इस प्रस्तुति में, मीरा बाई और उनके भजनों को जीवंत करने वाले गीतों को समाहित किया गया है. इस प्रस्तुति को इस तरह लिपिबद्ध किया गया है, कि यह उपलब्धि हासिल करने वाली महिलाओं का सम्मान करते हुए उनकी कहानी बताती है.
इसमें गीत विदुषी सुमित्रा गुहा ने गाये और कथक प्रतिपादक पंडित बिरजू महाराज की पोती शिंजिनी कुलकर्णी ने नृत्य प्रस्तुति के माध्यम से इन्हें प्रस्तुत किया. विदुषी सुमित्रा गुहा का कहना है कि वह बचपन से ही मीरा की भक्ति, साहस, दृढ़ता और समर्पण से प्रभावित रही हैं. वह कहती हैं,’मीरा की जब भी बात होती है तो उसमें कृष्ण के प्रति उनकी भक्ति और प्रेम व जीवन में उनके लक्ष्य की ही बात होती है. पर मीरा के अंदर छिपी वीर नारी जिसने 15वीं-16वीं शताब्दी में एक रानी होने के बावजूद कैसे उन्होंने भगवान को अर्पित करने के लिए पशु-वध और सती प्रथा का विरोध जताया. उनकी इस निर्भीकता और विशेषताओं का कभी उल्लेख नहीं किया गया.’ वह कहती हैं कि इस प्रस्तुति के माध्यम से वह महिलाओं को यह संदेश देना चाहती हैं कि जब मीरा उस शताब्दी में ऐसे ठोस और निर्भीक कदम उठा सकती हैं, तो आज की महिलाएं क्यों नहीं.
विदुषी ने कहा,’मैं देखती हूं कि स्त्रियां किसी न किसी वजह से हार मान लेती हैं, अपने सपनों को छोड़ देती हैं, चाहे विवाह हो जाने की वजह से या परिस्थितिवश. मेरे विचार से मीरा हर स्त्री के लिए एक आदर्श हैं. जब वह उस जमाने में दृढ़ता से समाज में बदलाव ला सकती हैं तो आज की स्त्री क्यों नहीं.’ वीर मीरा संगीत, भक्ति और प्रेरणादायक गीत, नृत्य और महिला उपलब्धियों के उत्सव का एक भावपूर्ण और प्रेरणादायक मिश्रण वाली प्रस्तुति है. कथक नृत्यांगना शिंजिनी कुलकर्णी का मानना है कि यह संगीत और नृत्य के मिश्रण का एक ऐसा प्रारूप है, जो पहले कभी किसी ने नहीं देखा होगा. इस प्रस्तुति को ऐसे तैयार किया गया जिसमें लोग न केवल शास्त्रीय संगीत और नृत्य की अनुभूति से सराबोर हुए, बल्कि मंच सज्जा, पोशाक और रोशनी का भी उन्होंने आनंद लिया. यह संगीतमय प्रस्तुति वर्तमान और बीते समय की साहसी महिलाओं का सम्मान करती है और इसका जश्न मनाती है. इस प्रस्तुति में मीरा बाई की कहानी को उनके स्वतंत्रता के संदेश, उत्पीड़न के बावजूद, कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति और अपनी आध्यात्मिक मान्यताओं को आगे बढ़ाने के संकल्प और अधिकार पर केंद्रित कर पेश किया गया.