बंदगांव (पश्चिमी सिंहभूम) से अनिल तिवारी और खरसावां (सरायकेला-खरसावां) से शचिंद्र कुमार दाश : पश्चिमी सिंहभूम की कराईकेला पंचायत स्थित पुरनाडीह दुर्गा मंदिर से बुधवार को प्रभु जगन्नाथ की बाहुड़ा यात्रा निकाली गयी. महाप्रभु जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र एवं बहन देवी सुभद्रा के साथ गुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर के लिए निकले. जगह-जगह भक्तों ने पूजा अर्चना किया. भक्तों द्वारा प्रभु जगन्नाथ की जयकारे से पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो गया.
बता दें कि आठ दिनों तक मौसी बाड़ी में विराजमान प्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा संग वापस श्रीमंदिर को लौटने को लेकर रथ में सवार हुए. पंडित जगदीश चंद्र ठाकुर एवं भरत मिश्रा द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ करीब पांच बजे जय जगन्नाथ के उद्घोष के साथ रथ पर रखकर गुंडिचा मंदिर से निकाला गया. कराईकेला में श्रद्धा एवं उल्लास के साथ प्रभु जगन्नाथ की बाहुड़ा यात्रा निकली गई. पुरनाडीह, बंगाली टोला, महंती टोला, कालंदी टोला होते हुए देर शाम प्रभु का रथ हरि मंदिर पहुंचा. 29 जून को प्रभु जगरनाथ अपने धाम पहुचेंगे. रथयात्रा के मौके पर भक्तों में प्रसाद का भी वितरण किया गया. इस मौके पर मुख्य रूप से कान्हू किशोर साहू, प्रशांत साहू, डॉ विजय सिंह गागराई, ललित नारायण ठाकुर, तुलसी महतो, नितेश मंडल, गिरधारी मंडल, लोखनाथ सारंगी, बिट्टू मिश्रा, कुना मिश्रा, फाल्गुनी साहू, राजीव साहू,शंकर महापात्र,लिंगराज त्रिपाठी, राकेश त्रिपाठी,राजीव सारंगी,बाबनाथ सारंगी, राजेन्द्र मेलगांडी,गौरी शंकर साहू,दिलीप मंडल, दीप नारायण मंडल, परमेश्वर मंडल ,सुबोध रक्षित समेत रथयात्रा में कराईकेला जगन्नाथ पूजा कमेटी 64 मौजा के सभी सदस्य एवं भक्तगण उपस्थित थे.
सरायकेला-खरसावां में भक्तों के समागम, जय जगन्नाथ की जयघोष, शंखध्वनि और पारंपरिक हुल-हुली के बीच बुधवार को भाई-बहन के साथ प्रभु जगन्नाथ अपने मौसी के घर गुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर लौट आये. ओडिशा के पुरी की तर्ज पर हरिभंजा के जगन्नाथ मंदिर में भी रथ यात्रा के सभी धार्मिक रश्म रिवाजों को पूरा किया गया. इसके बाद काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने श्रद्धा व उत्साह के साथ भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष को खींच कर गुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर तक पहुंचाये. इस दौरान रास्ते में रथ से भक्तों के बीच प्रसाद स्वरूप लड्डू, कटहल समेत अन्य फलों को बांटे गये.
बुधवार को देर शाम प्रभु जगन्नाथ का रथ ‘नंदिघोष’ हरिभंजा के गुंडिचा मंदिर पहुंचा. रथ में पुरोहितों द्वारा 56 प्रकार के मिष्टान्न भोग चढ़ाया गया. इसके अलावे अधरपणा नीति को भी पूरा किया गया. इसके बाद चतुर्था मूर्ति को रथ से श्री मंदिर पहुंचा ले गर्भ गृह में लेकर रत्न सिंहासन में आरुढ़ कराया गया. रत्न हिंसासन में ही चतुर्था मूर्ति की महाआरती की उतारी गयी. बाहुड़ा यात्रा पर प्रभु जगन्नाथ का भव्य शृंगार किया गया. मौके पर प्रभु जगन्नाथ की ओर से मां लक्ष्मी को रसगुल्ला भेंट किया जाता है. बाहुड़ा रथ यात्रा के सभी धार्मिक रश्मों को मंदिर के मुख्य पुरोहित पं प्रदीप कुमार दाश ने संपन्न कराया. मौके पर हरिभंजा के जमीनदार विद्या विनोद सिंहदेव, संजय सिंहदेव, राजेश सिंहदेव, पृथ्वीराज सिंहदेव आदि ने उपस्थित हो कर सभी धार्मिक रश्मों को निभाया.
बाहुड़ा यात्रा के साथ आस्था, मान्यता एवं परंपराओं का त्योहार रथ यात्रा का समापन हो गया. अब श्रीमंदिर से एक साल बाद महाप्रभु भक्तों को दर्शन के लिए बाहर निकलेंगे. इधर, बाहुड़ा रथ यात्रा के मौके पर हरिभंजा में भंडारे का आयोजन कर भक्तों में प्रसाद का वितरण किया गया. हरिभंजा के गुंडिचा मंदिर में भक्तों के बीच प्रसाद का भी वितरण किया गया.