13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड पंचायत चुनाव: समाज सेवा के लिए कन्हाई राम ने छोड़ी थी रेलवे की नौकरी, दो बार बने मुखिया,ऐसी थी छवि

Jharkhand Panchayat Chunav 2022: कन्हाई राम वर्ष 1950 के आसपास धनबाद रेल डिवीजन में कार्यरत थे. सामाजिक कार्यों के कारण उन्होंने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था. वर्ष 1972 में पहली बार उन्होंने हजारी पंचायत से मुखिया का चुनाव लड़ा था और चुनाव जीता था.

Jharkhand Panchayat Chunav 2022: झारखंड के बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड के चर्चित मुखिया में स्वर्गीय कन्हाई राम का नाम आज भी सम्मान से लिया जाता है. वह हजारी पंचायत से दो बार मुखिया बने थे. गोमिया प्रखंड के प्रमुख व उप प्रमुख भी रहे. गोमिया प्रखंड कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के अलावा जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी भी रहे. गोमिया प्रखंड के लोग बताते हैं कि उनके सामाजिक कार्यों, गांधीवादी विचारधारा और सरल स्वभाव के कारण लोग उनका सम्मान करते थे. आपको बता दें कि झारखंड पंचायत चुनाव की घोषणा के साथ ही लोग चुनावी रंग में रंगे नजर आने लगे हैं.

इनकी छवि थी अलग

सामाजिक कार्यों में सक्रियता के कारण पूर्व मुखिया कन्हाई राम की गोमिया प्रखंड ही नहीं, बल्कि पूरे गिरिडीह जिला (अब बोकारो जिला) में अलग छवि थी. एकीकृत बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री केबी सहाय, बिंदेश्वरी दुबे सहित पूर्व सांसद डॉ सरफराज अहमद, सदानंद प्रसाद, कृष्ण मुरारी पांडेय और बेरमो प्रखंड के उप प्रमुख रहे कपिलदेव सिंह के साथ उनके करीबी संबंध थे. उत्तरी छोटानागपुर के तत्कालीन आयुक्त एके पांडेय, तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी अनीता अग्निहोत्री तथा सीसीएल कथारा एरिया के तत्कालीन महाप्रबंधक एसपी वर्मा से भी गहरे ताल्लुकात थे.

Also Read: झारखंड का त्रिकूट पहाड़ रोपवे हादसा: 46 लोगों को मिली नयी जिंदगी, 3 लोगों की मौत, रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म

चुनाव में खर्च हुए थे 500 रुपये

कन्हाई राम वर्ष 1950 के आसपास धनबाद रेल डिवीजन में कार्यरत थे. सामाजिक कार्यों के कारण उन्होंने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था. वर्ष 1972 में पहली बार उन्होंने हजारी पंचायत से मुखिया का चुनाव लड़ा था तथा अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी दुलारचंद पटवा को करीब 192 मतों के अंतर से पराजित किया था. इस चुनाव में मोहन गंझू सरपंच बने थे. इसके बाद वर्ष 1978 के पंचायत चुनाव में फिर कन्हाई राम विजयी रहे. इस चुनाव में दुलारचंद पटवा, रामचंद्र ठाकुर, केदारनाथ मिश्रा, अवधेश पटवा आदि भी मुखिया पद के उम्मीदवार थे. कन्हाई राम के पक्ष में उस वक्त शंकर सिंह, सुरेश सिंह, बीएन सिंह, बैजनाथ ठाकुर, साधुराम पासवान, भगवान सिंह, जगदीश पांडेय आदि ने खुल कर चुनाव प्रचार किया था. कन्हाई राम पैदल टोला और मुहल्लों में घूम-घूम कर वोट मांगा करते थे. उस जमाने में मात्र 500 रुपया खर्च कर वह मुखिया का चुनाव जीत गये थे. वर्ष 1978 के बाद जब दस साल पहले झारखंड में पहला पंचायत चुनाव हुआ तो हजारी पंचायत की मुखिया अनिता देवी बनी. अगले चुनाव में चंद्रदीप पासवान मुखिया बने. इस बार यहां कई लोग मुखिया पद का चुनाव लड़ने की रेस में हैं.

Also Read: देवघर रोपवे हादसा: त्रिकूट पहाड़ रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म, 46 लोग निकाले गये सुरक्षित, 3 लोगों की मौत

लेटर पैड पॉकेट में लेकर चलते थे

ग्रामीण बताते हैं कि कन्हाई राम मुखिया बनने के बाद पॉकेट में ही मुहर, लेटर पैड और जनवितरण प्रणाली के तहत दी जाने वाली चीनी का कोटा परमिट लेकर चलते थे. किसी गरीब के घर शादी-ब्याह होने पर खुद कोटा से आवंटित चीनी लेकर उनके घर पहुंच जाते थे. कोई किसी तरह का आवेदन लेकर उनके पास जाता था तो वह निश्चित रूप से उस पर हस्ताक्षर करते थे. रिश्वत की बात करने पर भड़क जाते थे. स्व राम को-ऑपरेटिव सोसाइटी के मेंबर तथा व्यापार मंडल के चेयरमैन भी रहे थे. कल्याण विभाग का सदस्य होने के कारण उन्होंने पूरे अनुमंडल में छात्रवृत्ति शुरू करायी थी. मुखिया रहते उन्होंने हजारी पंचायत में उस वक्त उन्होंने चार कमरों के पंचायत भवन का निर्माण मात्र 27 सौ रुपये में श्रमदान से कराया था. स्व राम के चार पुत्र हैं. बड़े पुत्र भुवनेश्वर पासवान नाबार्ड के डीडीएम पद से सेवानिवृत्त हुए. दूसरे पुत्र नागेश्वर राम पत्रकार हैं. तीसरे पुत्र विकास राम पासवान मेकन में पीआरओ से सेवानिवृत्त हुए. चौथे पुत्र राजेश पासवान नाबार्ड में कर्मचारी हैं.

Also Read: झारखंड पंचायत चुनाव: कभी मुखिया की हनक थी ऐसी कि बिना उनकी अनुमति के गांव में एंट्री नहीं करते थे ऑफिसर

रिपोर्ट: राकेश वर्मा

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें