पूर्वी सिंहभूम, अशोक झा : प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का पूर्वी सिंहभूम जिले में शुभारंभ किया गया. इस अवसर पर सिदगोड़ा स्थित बिरसा मुंडा टाउन हॉल में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय राज्य मंत्री मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय और सूचना और प्रसारण मंत्रालय एल मुरुगन, मंत्री बन्ना गुप्ता स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण तथा आपदा प्रबंधन विभाग, सांसद विद्युत वरण महतो, निदेशक उद्योग अरवा राजकमल आदि शामिल हुए.
कार्यक्रम की शुरुआत में सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ भेंट कर किया गया. जिसके बाद अंतिम व्यक्ति तक विकास का प्रकाश पहुंचाने के उदेश्य से मंचासिन सभी गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई.
उप विकास आयुक्त मनीष कुमार ने कहा कि यह योजना पारंपरिक शिल्पकारों और कारीगरों को आर्थिक सहायता और उन्नत उपकरण प्रदान करने के लिए शुरू की जा रही है. योजना के लाभों की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि योजना के तहत लाभार्थियों को आधारभूत कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा. योजना के अंतर्गत चलने वाले प्रशिक्षण के दौरान उन्हें 500 रुपये प्रति दिन का स्टाइपेंड दिया जायेगा.
प्रशिक्षण पूरा होने के बाद, उन्हें 15,000 रुपये का टूल किट दिया जाएगा. इसके अलावा, उन्हें पहले चरण में 1 लाख रुपये का ऋण और दूसरे चरण में 2 लाख रुपये तक का ऋण 5 प्रतिशत ब्याज दर से दिया जायेगा. यह ऋण कोलेटरल फ्री ऋण के रूप में दिया जाएगा. साथ ही पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान पत्र उपलब्ध कराये जायेंगे. योजना के अंतर्गत 18 पारंपरिक विधाओं में कार्य करने वाले कारीगर और शिल्पकार सम्मिलित है. जिसमें कारपेंटर, नाव बनाने वाले, अस्त्र बनाने वाले, लोहार, ताला बनाने वाले, हथोडा और टूल किट बनाने वाले, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, मोची, राजमिस्त्री, डालिया, चटाई, झाड़ू बनाने वाले, गुडिया और खिलौना बनाने वाले सहित कई लोग हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह पूर्वी सिंहभूम PMFME योजना अंतर्गत कार्य करने में राष्टीय स्तर पर अव्वल नंबर पर रहा है, उसी तरह विश्वकर्मा योजना के तहत श्रेष्ठ कार्य करने का प्रयास किया जायेगा.
निदेशक उद्योग अरवा राजकमल ने प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के बारे में बताते हुए कहा कि योजना के तहत कारीगरों को मुफ्त ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके बाद विश्वकर्मा आईडी कार्ड प्रदान किया जाएगा. पहली ट्रेनिंग बेसिक ट्रेनिंग रहेगी. जिसके दौरान 5 से 7 दिन का प्रशिक्षण दिया जायेगा. बेसिक ट्रेनिंग के बाद लाभुक 1 लाख रुपए तक का ऋण प्राप्त करने के योग्य रहेंगे. उसके बाद दूसरी ट्रेनिंग एडवांस्ड ट्रेनिंग रहेगी. जिसके दौरान 15 दिन/120 घंटे का प्रशिक्षण दिया जायेगा. योजना के तहत कारीगरों के उत्पादों को देशभर में विक्रय हेतु सहायता भी प्रदान की जाएगी. डिविजनल कमिश्नर मनोज कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत कारीगरों को प्रशिक्षण के दौरान स्टाइपेंड दिया जाना कारीगरों के लिए अत्यंत हितकारी है. इस योजना के द्वारा प्रत्येक हाथ को काम मिलेगा.
कार्यक्रम में माननीय सांसद विद्युत वरण महतो ने कहा कि भगवान विश्वकर्मा के सम्मान में शुरू की जा रही प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना एक ऐतिहासिक योजना है. यह योजना भारत के पारंपरिक शिल्प और कारीगरों को नई पहचान दिलाएगी. बन्ना गुप्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना पूर्वी सिंहभूम जिले के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है. उन्होंने कहा कि जिस तरह मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना व फूलो झानों योजना के अंतर्गत राज्य स्तर में उन्नत कार्य किया गया है उसी तरह इस योजना के तहत भी श्रेष्ठ कार्य कर जिले के पारंपरिक शिल्पकारों और कारीगरों को विकास की नई ऊंचाईयों तक ले जाने में कार्य किया जायेगा.
बता दें कि नई दिल्ली से प्रसारित लाइव कार्यक्रम को उपस्थित पदाधिकारीयों, कर्मियों और सभी कारीगरों द्वारा ध्यानपूर्वक देखा गया. यह लाइव प्रसारण नई दिल्ली के द्वारका स्थित इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन और एक्सपो सेंटर से किया जा रहा था. जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का शुभारंभ किया गया. इसके साथ-साथ प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना पोर्टल, 18 कस्टमाइज्ड डिजिटल टिकट और टूलकिट ई–बुक का भी उद्घाटन किया गया. प्रधानमंत्री के अभिभाषण में कारीगरों के लिए हितकारी, प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के बारे में विस्तृत रूप बताया गया जिसको सुनकर सभी अभिभूत हुए.
केंद्रीय राज्यमंत्री एल मुरुगन ने कहा कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना पारंपरिक शिल्पकारों और कारीगरों के लिए एक वरदान है. यह योजना उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और उनके कौशल को बढ़ाने में मदद करेगी. योजना के तहत 18 तरह के कामगारों को शामिल किया गया है. जिसमे लोहार, कुम्हार, राज मिस्त्री, धोबी, फूलों का काम करने वाले, मछली का जाल बुनने वाले, ताला-चाबी बनाने वाले, मूर्तिकार आदि को लाभ दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि कामगारों के लिए सरकार ने इस योजना के तहत पांच साल (FY24-28) की अवधि के लिए 13,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है. जिसमे 18 तरह के कामगारों को शामिल किया गया है.
एल मुरुगन ने बताया कि डिजिटल ट्रांजेक्शन में हमारा देश नंबर एक स्थान पर रहा है, इसी दिशा में कार्य करते हुए विश्वकर्मा योजना के तहत कारीगरों को हर महीने अधिकतम 100 ट्रांजेक्शन के लिए हर ट्रांजेक्शन पर 1 रुपये प्रोत्साहन स्वरूप दिया जाएगा. सभी उत्पाद को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग, पैकेजिंग, मार्केटिंग उपलब्ध कराया जाएगा. जिससे कि विक्रय क्षमता का अधिकतम विस्तार हो सके.
कार्यक्रम के अंत में उप विकास आयुक्त द्वारा सभी गणमान्य अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर आभार व्यक्त किया गया. अनुमंडल पदाधिकारी धालभूम पीयूष सिन्हा ने अपना धन्यवाद ज्ञापन देते हुए आए सभी गणमान्य अतिथियों, पदाधिकारिओं, मीडिया बंधुओं, कारीगरों और कर्मियों का धन्यवाद दिया गया.
कार्यक्रम से पहले सभी गणमान्य अतिथियों द्वारा बिरसा मुंडा टाउन हॉल परिसर में वृक्षारोपण किया गया और परिसर में लगाए गए विभिन्न स्टॉल का भी अवलोकन किया गया. इन स्थलों में जिले भर के कारीगरों द्वारा उनके कारीगरी की प्रदर्शनी की गई. प्रदर्शनी में विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प और कलाकृतियां प्रदर्शित की गईं.