झारखंड का हिल स्टेशन नेतरहाट समुद्रतल से 3,622 फीट ऊंचाई पर स्थित है. नेतरहाट आजादी पूर्व अंग्रेज अफसरों की और अब फिल्म डायरेक्टरों की पसंदीदा जगह स्पॉट बनता जा रहा है. पर्यटक नेतरहाट में सूर्योदय व सूर्यास्त का नजारा देखने आते हैं. इसके साथ नेतरहाट के लोवर घघरी एवं अपर घघरी जलप्रपात भी प्रसिद्ध है. नैना फॉल की खूबसूरती भी देखते बनती है.
नेतरहाट के मोहनापाठ गांव से 8 किमी दूर वन प्रक्षेत्र के जंगल में मौजूद नैना जलप्रपात के आस-पास प्रकृति ने सौंदर्य की अद्भुत संरचना की है. चारों तरफ साल वृक्ष के झुरमुट एवं चट्टानों के अनुपम सौंदर्य और उस पर स्टेप बाई स्टेप कलकल कर बहता झरना सबको मंत्रमुग्ध कर देता है.
प्रकृति के कैनवास पर कुदरत ने बेहतरीन चित्रकारी की है. 40 फीट की ऊंचाई से गिरता झरना का नज़ारा पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है. नेतरहाट आने वाले पर्यटक अपर घघरी एवं लोवर घाघरी के साथ अब नैना जलप्रपात का सौंदर्य भी निहारेंगे. इको टूरिज्म के तहत वन विभाग जलप्रपात को विकसित कर रहा है.
नैना वाटरफॉल तक पहुंच पथ बनाया गया है. रास्ते में पड़ने वाले नाले में लकड़ी पुल का निर्माण किया गया. नैना फॉल का प्रवेश द्वार बनाया जा रहा है. पर्यटकों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए फॉल के पास बाथरूम समेत अन्य सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है.
वन क्षेत्र पदाधिकारी वृंदा पाण्डेय ने कहा कि वन विभाग लोध फॉल, सुग्गा बांध, मिरचइया फॉल की तरह अब नैना वाटरफॉल को इको टूरिज्म के तहत विकसित किया जा रहा है. लगभग कार्य पूरा होने को है. सड़क कच्ची है. प्रवेश द्वार बनकर तैयार हो जायेगा. आने वाले नववर्ष 2024 में इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया जायेगा.