ललन सिंह, घाटशिला : घाटशिला प्रखंड की आठ पंचायतों की करीब एक लाख आबादी बीते 12 साल से सरकारी योजनाओं से वंचित है. दरअसल, वर्ष 2011 की सामाजिक आर्थिक और जातिगत जनगणना (एसइसीसी) में आठ पंचायत छूट गयी. इसका खामियाजा वहां के लोग 12 सालों से भुगत रहे हैं. उन्हें न नगरपालिका क्षेत्र की सुविधा मिल रही, न पंचायत की. यहां के लोग पंचायती राज व्यवस्था के तहत मुखिया का चुनाव करते हैं, लेकिन उनसे सुविधा नहीं ले पा रहे हैं. हालांकि जमीन की रजिस्ट्री शहरी दर से कराते हैं. हेमंत सोरेन सरकार ने अबुआ आवास की घोषणा की है, इससे आठ पंचायतों के लोगों में उम्मीद जगी है.
झुग्गी-झोपड़ी व कच्चे मकान में रहने को विवश 50 प्रतिशत आबादी
घाटशिला की आठों पंचायत की करीब 40 से 50 प्रतिशत की आबादी झुग्गी-झोपड़ी व कच्चे मकान में रहने को विवश है. पीएम आवास के लिए आवेदन देकर थक गये हैं. गरीब परिवार टूटे घर या प्लास्टिक व तिरपाल देकर गुजारा कर रहे हैं. यहां बड़ी आबादी के पास जमीन के कागजात तक नहीं हैं.
बरसात में प्लास्टिक व तिरपाल ही सहारा
आठ पंचायत में झोपड़ी व कच्चे मकान में रहने वालों को सबसे ज्यादा तकलीफ बरसात में होती है. ऐसे में प्लास्टिक वह तिरपाल ही सहारा है. इन बस्तियों में चालकडीह, चुनुडीह, मनोहर कॉलोनी, कुष्ट कॉलोनी, धरमबहाल, कृष्णानगर, रेलवे किनारे बसे लोग हैं.
पीएम आवास के 10 हजार आवेदन आ चुके हैं, एक भी स्वीकृति नहीं
पिछली बार सरकार आपके द्वार में आठ पंचायतों से पीएम आवास के लिए करीब 3500 आवेदन मिले थे. वहीं, 2011 से अबतक करीब 10 हजार से अधिक गरीब प्रखंड कार्यालय में आवास का आवेदन सौंप चुके हैं. इस दिशा में आज तक सार्थक पहल नहीं हुई. इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों ने आंदोलन जरूर किया.
इन पंचायतों के लोग सुविधा से वंचित
1. मऊभंडार पूर्वी. 2. मऊभंडार पश्चिम. 3. उत्तरी मऊभंडार. 4. गोपालपुर. 5. धरमबहाल. 6. घाटशिला. 7. काशीदा और 8. पावड़ा पंचायत
आठ पंचायतों में 10 राजस्व गांव
मऊभंडार, गोपालपुर, धरमबहाल, पावड़ा, सांड़पुरा, नयाग्राम, घाटशिला, चालकडीह, विक्रमपुर, काशिदा शामिल है.