उत्तराखंड के शहर जोशीमठ में तबाही का मंजर दिख रहा है. यहां दीवारें दरक रहीं हैं. जमीन धंस रही है. घरों की दीवारों को चीरकर पानी बह रहा है. लोग दहशत में जीने को मजबूर है. लोग अपना आशियाना छोड़कर पलायन कर रहे हैं.
जोशीमठ में धंस रही जमीन को लेकरआज यानी शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उच्च स्तरीय बैठ बुलाई. बैठक में उत्तराखंड के सीएम ने निर्देश दिए हैं कि जोशीमठ में सुरक्षित स्थान पर तत्काल एक बड़ा अस्थाई पुनर्वास केंद्र बनाया जाए. उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि डेंजर जोन को तत्काल खाली किया जाए और आपदा नियंत्रण कक्ष को सक्रिय किया जाए.
वहीं, जिला प्रशासन ने जोशीमठ क्षेत्र के प्रभावितों को 6 महीने तक मकान का किराया देने का ऐलान किया है. अधिकारियों ने कहा है कि लोगों का घर खतरे की जद में हैं या रहने लायक नहीं है उन्हें 4000 रुपये प्रति परिवार सहायता दी जाएगी.
वहीं, जोशीमठ में प्रभावित लोगों को रैन बसेरों में शिफ्ट किया जा रहा है. भूस्खलन से क्षतिग्रस्त होटलों में पर्यटकों के ठहरने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. कुछ इलाकों में जमीन के नीचे से पानी आने से दरारें आ गई हैं.
विभिन्न इलाकों में अब तक 561 मकानों में दरारें आ चुकी हैं, जिनमें रविग्राम में 153, गांधीनगर में 127, मनोहरबाग में 71, सिंहधार में 52, परसारी में 50, अपर बाजार में 29, सुनील में 27, मारवाड़ी में 28 और लोअर बाजार में 24 मकान शामिल हैं.
गढवाल कमिश्नर सुशील कुमार, आपदा प्रबंधन सचिव रन्जीत कुमार सिन्हा सहित विशेषज्ञों की पूरी टीम द्वारा जोशीमठ में भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया जा रहा है.
उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में कई मकानों में दरारें आने के बाद बृहस्पतिवार को परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए जाने के बीच लोगों ने जमकर प्रदर्शन किया. वहीं, चमोली प्रशासन ने डूबते शहर में और उसके आसपास सभी निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है.
जिला प्रशासन ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की ओर से हेलांग बाईपास के निर्माण, तपोवन-विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना के कार्य और नगर पालिका द्वारा किए जाने वाले अन्य निर्माण कार्यों पर तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक रोक लगा दी है.
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एन के जोशी ने कहा कि अब तक घरों में दरारें पड़ने के बाद जोखिम में रह रहे कई परिवारों को अस्थायी रूप से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है.
राज्य के चमोली जिले में, बदरीनाथ तथा हेमकुंड के मार्ग पर 6,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित शहर भूकंप के अत्यधिक जोखिम वाले ‘जोन-पांच’ में आता है.