Sahitya Akademi Puraskar 2022 Winner: पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिला में रहने वाले संताली लेखक कजली सोरेन (72) को वर्ष 2022 का साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है. उनके कविता संग्रह ‘साबरनका बालिरे सानन पंजय’ को साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए चुना गया है. कजली सोरेन के इस कविता संग्रह में 350 कविताएं हैं. ‘प्रभात खबर’ (prabhatkhabar.com) को फोन पर श्री सोरेन ने बताया कि पुरस्कार मिला, तो उन्हें बेहद खुशी हुई.
पश्चिम बंगाल के कजली सोरेन ने कहा कि हर लेखक की यही इच्छा होती है कि उसकी लेखनी को सराहा जाये. उसे पुरस्कार मिले. साहित्य अकादमी पुरस्कार पाना हर लेखक-कवि का सपना होता है. मुझे भी बहुत खुशी हो रही है. कजली सोरेन ने बताया कि सुबह 11 बजे साहित्य अकादमी के संयोजक मदन मोहन सोरेन ने उन्हें फोन करके बताया कि उनके कविता संग्रह ‘साबरनका बालिरे सानन पंजय’ को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है. श्री सोरेन की खुशी का ठिकाना न रहा.
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कजली सोरेन की कविताएं संताली साहित्य की अनोखी रचना है. उनकी कविताओं को अलग-अलग विषय में बांटना बेहद मुश्किल है. अगर आप उनकी कविताएं पढ़ेंगे, तो पायेंगे कि इसमें हर्ष है, उल्लास है, तो गम भी है. उनकी रचनाओं में इमोशन है, तो इमेजिनेशन भी है. ईश्वर और प्रकृति के प्रति आस्था है, तो ईश्वर की रचना के प्रति प्रेम भी है. भाषा और संस्कृति के प्रति लगाव है, तो धर्म एवं अध्यात्म के प्रति झुकाव भी है.
उनकी कविताओं में मानवता के प्रति उनका समर्पण दिखता है, तो जीवन के प्रति उल्लास भी दिखता है. कवि ने अपनी रचना में गुस्से के भाव को प्रदर्शित किया है, तो उत्पीड़न पर भी कलम चलायी है. मान्यता एवं रूढ़ियों पर भी उन्होंने जमकर लिखा है. कुल मिलाकर कवि ने अपने मन के भावों को अपनी पुस्तकों में बखूबी पिरोया है.
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बता दें कि 72 वर्षीय कजली सोरेन की 10 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकीं हैं. उन्होंने उसी वक्त कविता लिखना शुरू कर दिया था, जब वह स्कूल में पढ़ते थे. वर्ष 1968-69 से ही वह कवि बन गये थे. श्री सोरेन के परिवार में उनकी पत्नी और तीन बेटियां हैं. संताली साहित्य जगत में कजली सोरेन के नाम से प्रसिद्ध इस कवि का असली नाम जगन्नाथ सोरेन है. उनका जन्म 19 अगस्त 1950 को हुआ. उनके पिता का नाम जगन्नाथ सोरेन और माता का नाम नीलमणि सोरेन है.
बता दें कि जगन्नाथ सोरेन उर्फ कजली सोरेन पश्चिम बंगाल के हल्दिया में इंडिय ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) के पूर्व कर्मचारी हैं. वहां से रिटायर हो चुके हैं. उनकी पुस्तकों की सूची इस प्रकार है:
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चाचो दीदी (कविता) – 1982
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गेगोम (कविता) – 1984
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दुली चेतन (कविता) – 1993
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लानदायमे चांपा बाहा (कविता) – 2009
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ओजोग काटे मानमी उमुल (कविता) – 2012
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लेतका (अनुवाद) -2013
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बुधी पारकोम हानासा (अनुवाद) – 2019
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सोबरनका बालिरे सानन पंजय (कविता) – 2019
ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष लक्ष्मण किस्कू कहते हैं कि उनकी इस पुस्तक में 350 कविताएं हैं. लेखक को स्वर्णरेखा नदी के बालू में सोना मिलता है. इस पुस्तक का यही थीम है. लेकिन, वह चाहते हैं कि मानवता और समाज दोनों का मानवीय तरीके से विकास हो. मुख्य रूप से कजली सोरेन संताली भाषा के महान कवि हैं.