Kali Puja 2020 : खरसावां (शचिंद्र कुमार दाश) : सरायकेला- खरसावां जिला अंतर्गत खरसावां के पदमपुर स्थित मां काली मंदिर की प्रसिद्धि चहुंओर है. यहां वर्ष 1897 से मां काली की आराधना हो रही है. लेकिन, इस बार कोरोना वायरस संक्रमण के कारण सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन होगा, वहीं लोगों की भीड़ अधिक न उमड़े इसको देखते हुए इस बार मेले के आयोजन नहीं करने का फैसला किया गया है.
शनिवार (14 नवंबर, 2020) की रात करीब साढ़े दस बजे पूरे विधि-विधान से मां काली की आराधना होगी. पूजा समिति की ओर से इसकी सारी तैयारी पूरी कर ली गयी है. यहां आजादी के पूर्व से ही वर्ष 1897 से मां काली की पूजा हो रही है. पूरे कोल्हान में यह शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध है. यहां अगले 7 दिनों तक माता की पूजा की जायेगी. पूजा में कोल्हान के विभिन्न क्षेत्रों के अलावे पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल एवं ओड़िशा से भी काफी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.
पदमपुर का काली मंदिर सिर्फ खरसावां ही नहीं, बल्कि पूरे कोल्हान के लोगों के आस्था का केंद्र है. 7 दिवसीय पूजा के दौरान इस वर्ष कोविड-19 को लेकर सरकार की ओर से जारी गाइड लाइन का अनुपालन किया जायेगा. भक्त सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए मास्क पहन कर पूजा के लिए मंदिर में प्रवेश करेंगे. काली मंदिर में पूजा के लिए महिला एवं पुरुषों के लिए अलग-अलग कतार बनाया गया है.
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पदमपुर में काली पूजा के दौरान इस वर्ष मेला का आयोजन नहीं होगा. 123 साल में पहली बार ऐसा होगा जब यहां काली पूजा के दौरान मेला का आयोजन नहीं होगा. सिर्फ मंदिर में पूजा अर्चना की जायेगी. मालूम हो कि यहां हर वर्ष 7 दिनों तक भव्य मेला का आयोजन होता है, जिसमें हजारों- हजार की संख्या में लोग पहुंचते हैं. लेकिन, इस वर्ष कोविड-19 को लेकर मेला का आयोजन नहीं होगा. पूजा समिति के सुब्रत सिंहदेव ने भी पूजा के दौरान सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन का अनुपालन करने की बात कही है. उन्होंने बताया कि इस बार मेला का आयोजन नहीं करने का निर्णय लिया गया है.
खरसावां के पदमपुर का काली मंदिर क्षेत्र के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. पहले यहां छोटे आकार के मंदिर में मां काली की पूजा की जाती थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यहां पुराने मंदिर की जगह भव्य मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ है. मंदिर के साथ- साथ मुख्य द्वार का निर्माण कार्य पूर्ण कर इस वर्ष रंगाई-पुताई के कार्य को भी पूरा कर लिया गया है. कलिंग वास्तुशिल्प पर आधारित इस मंदिर के बाहरी क्षेत्र में दीवारों पर उकेरे गये मूर्ति, चित्र एवं हस्तशिल्प लोगों को खूब आकर्षित करते हैं. मंदिर के मुख्य गेट पर ओडिशा के प्रसिद्ध कोणार्क मंदिर की तर्ज पर बनाये गये चक्र भी आकर्षित कर रहे हैं. मंदिर के बाहरी क्षेत्र में किये गये चित्रकारी मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगा रही है.
Posted By : Samir Ranjan.