Karma Puja 2022: इस साल करमा पर्व 6 सितंबर मंगलवार को है. करमा पर्व झारखंड के प्रमुख त्यौहारों में से एक है और काफी लोकप्रिय है. यह पर्व सिर्फ झारखंड में ही नहीं मनाया जाता बल्कि बंगाल, असम, ओड़िशा, तथा छत्तीसगढ़ में भी पूरे हर्षोल्लास एवं धूमधाम से मनाया जाता है. इस पर्व को मनाये जाने का मुख्य उद्देश्य है बहनों द्वारा भाईयों के सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना की जाती है. झारखंड के लोगों की परंपरा रही है कि धान की रोपाई हो जाने के बाद यह पर्व मनाया जाता रहा है.
तीज का डाला अहले सुबह नदियों व तालाबों में विसर्जन किया जाता है. वहीं शाम को कुंवारी बहनों के द्वारा करमा का डाला स्थापित किया जाता है. कुंवारी बहनें अपने-अपने घरों से गीत गाते हुए बांस के डाला लेकर नदी व तालाब पहुंचती हैं. जहां वे स्नान कर नदियों व तलाबों से डाला में बालू लाकर अखाड़ों में सारी बहनें बैठती हैं. उसी दौरान डाला में विभिन्न तरह के बीजों को जौ के साथ बुनती हैं.
घर के आंगन में जहां साफ-सफाई किया गया है वहां विधिपूर्वक करम डाली को गाड़ा जाता है. उसके बाद उस स्थान को गोबर में लीपकर शुद्ध किया जाता है. बहनें सजा हुआ टोकरी या थाली लेकर पूजा करने हेतु आंगन या अखड़ा में चारों तरफ करम राजा की पूजा करने बैठ जाती हैं. करम राजा से प्रार्थना करती है कि हे करम राजा! मेरे भाई को सुख समृद्धि देना. उसको कभी भी गलत रास्ते में नहीं जाने देना. यहां पर बहन निर्मल विचार और त्याग की भावना को उजागर करती है. यहां भाई-बहन का असीम प्यार दिखाई देता है. यह पूजा गांव का बुजुर्ग कराता है.
पूजा समाप्ति के बाद करम कथा कही जाती है. कहानी में करमा और धरमा की कथा सुनायी जाती है. कथा का मुख्य उद्देश्य यह रहता है कि अच्छे कर्म करना. इस संदर्भ में डॉ गिरिधारी राम गौंझू कहते हैं कि क, ख, ग, घ, ङ तबे रहबे चंगा. अर्थात क से कर्म करो, ख से खाओ, ग से गाओ फिर घूमो तब तुम चंगा रहोगे. काम कर अंग लागाय कन आर डहर चले संग लागाय कन. कहने का तात्पर्य है कि कोई भी काम करो तो पूरे मन से करो और रास्ता पर चलो तो मित्र के साथ चलो. कथा समाप्त होने के बाद सभी युवतियां करम डाली को गले लगाती हैं. उसके बाद रात भर नृत्य गीत चलता है.