अभिनेत्री रवीना टंडन इन दिनों हॉटस्टार की वेब सीरीज ‘कर्मा कॉलिंग’ में नजर आ रही हैं. यह पहला मौका है, जब रवीना टंडन नकारात्मक भूमिका में हैं. रवीना बताती हैं कि इंद्राणी कोठारी का किरदार मेरे व्यक्तित्व से बिल्कुल ही अलग है. इसलिए शुरुआत में मैं थोड़ी झिझक रही थी कि इस सीरीज में काम करूं या नहीं, लेकिन बाद में मैंने इसे चुनौती के रूप में लिया. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.
छल, विश्वासघात और बदले की कहानी है वेब सीरीज ‘कर्मा कॉलिंग’. हालांकि, निजी जिंदगी में मैं इस शब्द में यकीन नहीं करती हूं. अगर कोई मेरे साथ गलत करता है, तो मैं उसे माफ कर देती हूं, पर मैं इसे कभी नहीं भूलती. मैं बदला लेकर खुद को बुरा नहीं बना सकती हूं. मैं कर्म पर सब कुछ छोड़ देती हूं. मेरा मानना है कि यदि सही और गलत जैसी कोई चीज है, तो लोगों को उनके कर्म के अनुसार फल अवश्य मिलेगा. जीवन में चाहे जो कुछ भी हो. मैं अच्छा करूंगी और मैं ईमानदारी के रास्ते से कभी नहीं हटूंगी.
निर्देशक की बात मानने वाली कलाकार हूं
मैंने इतनी सारी फिल्में की हैं. तीन दशक का अनुभव है. निर्देशक नये हैं, ये सब नहीं सोचती हूं. मैंने हमेशा खुद को निर्देशक की बात मानने वाला कलाकार माना है. निर्देशकों ने मुझे वैसा बनाया है, जैसा वे चाहते हैं. उन्हें पूरे प्रोजेक्ट के बारे में पता है. मैंने अपने पिताजी से सीखा कि निर्देशक सेट पर बॉस होते हैं. इसलिए मेरा मानना है कि हर अभिनेता को खुद को पूरी तरह से निर्देशक के हवाले कर देना चाहिए.‘कर्मा कॉलिंग’की शूटिंग के दौरान मैं शॉट देने के बाद सीधे निर्देशक रुचि की तरफ देखती थी. मैं उनके इशारों से बता सकती थी कि शॉट ठीक था या मुझे और बेहतर करना होगा.
जिन्होंने मेरा साथ नहीं दिया, उन्हें भी धन्यवाद कहूंगी
इंडस्ट्री में 33 साल गुजर चुके हैं. अपनी अब तक की सफलता का श्रेय मैं कई लोगों को दूंगी. मेरे जीवन के सबसे बुरे समय में मेरे माता-पिता मेरी सबसे बड़ी ताकत थे. पापा को मैं बहुत मिस करती हूं. यही वजह है कि उनकी घड़ी को हमेशा पहनती हूं, ताकि लगे कि वो मेरे साथ ही हैं. अपने परिवार के अलावा मैं उन लोगों को भी श्रेय देना चाहती हूं, जो उस कठिन समय में मेरे साथ खड़े नहीं थे. मैं उन्हें किसी भी तरह का सहयोग न देने के लिए धन्यवाद देना चाहती हूं, क्योंकि इस वजह से मुझमें खुद को और अधिक साबित करने की चाहत महसूस हुई. जब हर चीज आसानी से मिल जाती है, तो उसकी कीमत कभी समझ नहीं आती है. जब लोगों ने मुझे फिल्में नहीं दीं, मुझे अपनी फिल्मों में रिप्लेस कर दिया, तो मैंने हिम्मत और आत्मविश्वास जुटाकर फिर संघर्ष किया और अपना खास मुकाम बनाया. इस सफलता का श्रेय मैं खुद को भी दूंगी.
मां बनने के बाद मातृत्व का दर्द हुआ महसूस
बदलाव अपरिहार्य है. हर पीढ़ी पिछली पीढ़ी से भिन्न होगी, यह स्वाभाविक है. आप समय के साथ कितने विकसित हुए हैं और आप अपने मूल्यों, शिक्षा, संस्कृति को कितना बचाये रख पाये हैं, यही महत्वपूर्ण है. मैंने अपने बच्चों को अपने माता-पिता से मिले मूल्यों व शिक्षा के साथ बड़ा करने की कोशिश की है. मैं ये भी कहूंगी कि मां बनने के बाद मुझे पहली बार अपनी मां के मातृत्व का दर्द महसूस हुआ. राशा के जन्म की पहली रात मुझे एहसास हुआ कि अगर मेरी बेटी मेरे साथ वही करेगी, जो मैंने अपने माता-पिता के साथ किया, तो मुझे कैसा लगेगा. राशा के जन्म के बाद मुझे वो सब याद आने लगा, तो उस रात मैंने अपनी मां को फोन किया और माफी मांगी.
बच्चों को उनका जीवन खुद तय करने की आजादी दें
मैं इंडस्ट्री में तीन दशक से ज्यादा समय से हूं. मेरी बेटी भी अब अभिनय में आ रही है, पर इसका मतलब ये नहीं है कि उसके सारे फैसले मैं लूंगी. मैं अपने बच्चों के साथ कभी भी अत्यधिक प्रोटेक्टिव नहीं रही हूं, क्योंकि जब वो गिरेंगे तो ही उठना सीखेंगे, तो उन्हें गिरने दीजिए. एक अभिभावक के रूप में आपको यह सिखाना चाहिए कि क्या गलत है और क्या सही है. फिर मैंने उन्हें अपना जीवन तय करने दिया, क्योंकि अगर अच्छा कुछ हुआ तो इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा. गलत हुआ तो उन्हें सीख मिलेगी, जो किताबें नहीं सीखा सकतीं.