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West Bengal News: कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार अधिवक्ता राजीव कुमार की अवैध संपत्ति मिलने का किया दावा

कोलकाता पुलिस ने छापेमारी के दौरान झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार के घर में मिली डायरी में अवैध संपत्ति का ब्योरा मिलने का दावा किया है. साथ ही नकद लेन-देन की भी जानकारी मिली है. कोलकाता और रांची में अधिवक्ता राजीव के कुछ करीबी लोगों से भी पूछताछ की तैयारी की जा रही है.

West Bengal News: कोलकाता पुलिस की ओर से बताया गया है कि छापेमारी में मिले दस्तावेज से राजीव की कई वैध-अवैध संपत्ति का खुलासा हुआ है. छापेमारी में हाथ लगे सबूतों के आधार पर कोलकाता पुलिस आगे की कार्रवाई की तैयारी कर रही है. कोलकाता पुलिस की टीम कोलकाता और रांची में अधिवक्ता राजीव कुमार के कुछ करीबी लोगों से भी पूछताछ की तैयारी कर रही है. इससे पहले झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार की गिरफ्तारी के बाद कोलकाता पुलिस ने गुरुवार को रांची में छापेमारी की थी.

घर के कमरे में मिली डायरी में कई ब्योरा

पुलिस सूत्र बताते हैं कि छापेमारी में राजीव के घर के कमरे में काली डायरी मिली है. इसमें राजीव ने वैध-अवैध सारी संपत्ति के बारे में विस्तृत जानकारी रखी है. पुलिस का दावा है कि राजीव ने किन-किन लोगों से नकद या चेक से रुपये लिये हैं, इसकी जानकारी डायरी में मौजूद है. पुलिस सूत्र बताते हैं कि छापेमारी में राजीव के घर से कई इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज भी जब्त हुए हैं.

गिरफ्तार अधिवक्ता राजीव कुमार से हो रही पूछताछ

पुलिस सूत्रों के अनुसार, राजीव कुमार ने रांची से 30 किमी दूर सात एकड़ जमीन फार्म हाउस बनाने के लिए खरीदी थी. राजीव का दिल्ली के ग्रेटर कैलाश और नोएडा में फ्लैट व ऑफिस हैं. रांची में तीन मंजिला मकान के अलावा भी 16 फ्लैट हैं. लाल बाजार पुलिस सूत्र बताते हैं कि छापेमारी में जो भी संपत्ति का पता चला है, उन्हें संदेह है कि PIL से छुटकारा दिलाने के बदले लोगों से वसूले गये रुपये से यह संपत्ति खरीदी गयी है. इन संपत्ति के बारे में राजीव कुमार से पूछताछ की जा रही है.

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मेरे पास 16 फ्लैट नहीं, 16 कमरों का मकान है : शर्मिला सिंह

इधर, अधिवक्ता राजीव कुमार की पत्नी शर्मिला सिंह ने शुक्रवार को अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि 16 फ्लैट की बात कही गयी है. लेकिन मेरे पास 16 फ्लैट नहीं, बल्कि 16 कमरों का एक मकान है. जो पौने तीन कट्ठा में बना हुआ है. हमारा कोई फार्म हाउस नहीं है. ठाकुरगांव के आड्रा इलाके में एक कृषि योग्य भूमि है, जो रांची से 50 किमी दूर है. जब्त डायरी के बारे में उन्होंने कहा कि उसमें सिर्फ मासिक घर खर्च का विवरण है. नोएडा का फ्लैट 10 वर्ष पूर्व खरीदा गया था. इसका भुगतान किस्तों में किया गया था. वहीं ग्रेटर कैलाश ऑफिस 2008 में खरीदा गया था, जो बेसमेंट में स्थित है. उसे तीन पार्टनर ने मिलकर खरीदा है.

Posted By: Samir Ranjan.

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