11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बेटी को देखने से पहले ही चीन सीमा पर शहीद हो गये साहिबगंज के कुंदन ओझा, परिवार से कहा था : सीमा पर तनाव कम होगा तो गांव आऊंगा…

लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर शहीद हुए साहिबगंज जिला के जवान कुंदन ओझा अपनी पहली संतान को देख भी नहीं पाये. उन्हें यह मालूम था कि पहली संतान के रूप में उनके घर पुत्री आयी है. इससे वह बेहद खुश थे. बेटी के जन्म के बाद परिवार वालों से उनकी बात हुई थी. तब कहा था कि लॉकडाउन खत्म हो जाने और चीन सीमा पर तनाव कम होने के बाद वह गांव आयेंगे. लेकिन, उनकी शहादत की खबर आयी. इससे पूरा गांव ही नहीं, उनके ससुराल में भी मातम पसरा है.

रांची : लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर शहीद हुए साहिबगंज जिला के जवान कुंदन ओझा अपनी पहली संतान को देख भी नहीं पाये. उन्हें यह मालूम था कि पहली संतान के रूप में उनके घर पुत्री आयी है. इससे वह बेहद खुश थे. बेटी के जन्म के बाद परिवार वालों से उनकी बात हुई थी. तब कहा था कि लॉकडाउन खत्म हो जाने और चीन सीमा पर तनाव कम होने के बाद वह गांव आयेंगे. लेकिन, उनकी शहादत की खबर आयी. इससे पूरा गांव ही नहीं, उनके ससुराल में भी मातम पसरा है.

परिजनों ने बताया कि कुंदन की पत्नी नेहा ने जब पुत्री को जन्म दिया, उसके बाद आखिरी बार उन लोगों की बात हुई थी. लद्दाख में टेलीफोन का नेटवर्क सही काम नहीं करता. इसलिए कुंदन वहां से सेटेलाइट फोन से बात करते थे. 10-12 दिन में एक बार बात होती थी. पुत्री के जन्म के बाद जब परिवार के सदस्यों से बात हुई थी, वह बेहद खुश थे. जल्द से जल्द अपनी बेटी को देखना चाहते थे. लेकिन, ईश्वर को शायद यह मंजूर नहीं था. कुंदन अपने देश के लिए सीमा पर कुर्बान हो गये.

हालांकि, गांव के लोगों के साथ-साथ परिवार के सदस्यों को भी इस बात की खुशी है कि उनका लाल देश के लिए शहीद हुआ. सभी चाहते हैं कि अब भारत सरकार चीन से बदला ले. चीन को उसकी इस कायराना हरकत के लिए माकूल जवाब दे, ताकि भारत के शहीद 20 जवानों की आत्मा को शांति मिले. सीमा पर कुंदन के शहीद होने की खबर जैसे ही सुल्तानगंज स्थित उसके ससुराल पहुंची, पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गयी.

Also Read: ‘मां चिंता छोड़ दो, हमारी गरीबी दूर होगी, अपनी जमीन व मकान होगा’, LAC पर शहीद गणेश हांसदा ने कही थी ये बात

साहिबगंज जिला के हाजीपुर स्थित पश्चिम पंचायत के डिहारी गांव निवासी कुंदन कुमार ओझा की 18 फरवरी, 2018 को सुल्तानगंज के मिरहट्टी वार्ड नंबर 5 में नेहा दुबे से हुई थी. नेहा के पिता संजय दुबे भी कुंदन के पिता की तरह एक किसान हैं. अभी हाल ही में नेहा अपने मायके सुल्तानगंज पहुंची थी. पति के शहीद होने की मनहूस खबर उसे यहीं मिली. इसके बाद से रो-रोकर उसका बुरा हाल है. परिवार के सदस्य और अन्य रिश्तेदार उसे ढाढ़स बंधा रहे हैं, लेकिन नेहा के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे.

उधर, कुंदन ओझा के पिता रविशंकर ओझा ने कहा कि उनके ऊपर इतनी बड़ी विपत्ति आन पड़ी है. उनका बेटा सीमा पर शहीद हो गया. सरकार चुप क्यों है. शहीद के पिता ने कहा कि उनका बेटा शहीद हो गया. अब उसकी पत्नी और मासूम बच्ची की जिम्मेवारी उनके ऊपर आ गयी है. समझ नहीं आ रहा कि क्या करें. सामने घना अंधेरा छा गया है. फिलहाल बेटे के पार्थिव शरीर का इंतजार कर रहे हैं. वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि झारखंड के वीर सपूतों के बलिदान को याद किया जायेगा.

Also Read: Galwan Valley, LAC, Ladakh: चीन के सैनिकों को सबक सिखाते हुए सीमा पर शहीद हुआ बहरागोड़ा का गणेश हांसदा

Posted By : Mithilesh Jha

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें