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Laal Singh Chaddha: आमिर खान के खिलाफ वकील ने दर्ज कराई शिकायत, धार्मिक भावनाएं आहत करने का लगा आरोप

Laal Singh Chaddha: विनीत जिंदल ने शिकायत में कहा है, "फिल्म में निर्माताओं ने दिखाया है कि एक मानसिक रूप से विकलांग व्यक्ति को कारगिल युद्ध में लड़ने के लिए सेना में शामिल होने की अनुमति दी गई थी. इस बात से सभी वाकिफ हैं कि सर्वश्रेष्ठ सैन्य कर्मियों को कारगिल युद्ध लड़ने के लिए भेजा गया था.

आमिर खान और करीना कपूर की फिल्म लाल सिंह चड्ढा रिलीज के बाद विवादों में फंस गई है. दिल्ली के एक वकील ने आमिर खान, पैरामाउंट पिक्चर्स और अन्य के खिलाफ फॉरेस्ट गंप की रीमेक लाल सिंग चड्ढा में “भारतीय सेना का अपमान करने और हिंदू भावनाओं को आहत करने” के लिए शिकायत दर्ज की है. इस बात की शिकायत दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा से की गई है.

वकील विनीत जिंदल ने की शिकायत

आमिर खान के खिलाफ शिकायत वकील विनीत जिंदल ने की है. दिल्ली पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया है कि फिल्म में आपत्तिजनक सामग्री थी और आमिर खान, निर्देशक अद्वैत चंदन और पैरामाउंट पिक्चर्स के खिलाफ आईपीसी की धारा 153, 153 ए, 298 और 505 के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है.

इस सीन को लेकर जताई आपत्ति

विनीत जिंदल ने अपनी शिकायत में कहा है कि, “फिल्म में निर्माताओं ने दिखाया है कि एक मानसिक रूप से विकलांग व्यक्ति को कारगिल युद्ध में लड़ने के लिए सेना में शामिल होने की अनुमति दी गई थी. इस बात से सभी वाकिफ हैं कि सर्वश्रेष्ठ सैन्य कर्मियों को कारगिल युद्ध लड़ने के लिए भेजा गया था और सेना के जवानों को कठोर रूप से प्रशिक्षित किया गया था और उन्होंने युद्ध लड़ा. लेकिन फिल्म निर्माताओं ने भारतीय सेना को हतोत्साहित करने और बदनाम करने के लिए जानबूझकर उक्त स्थिति को चित्रित किया है”

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भावनाओं को भड़काने वाला है

शिकायतकर्ता ने एक सीन पर भी आपत्ति जताई है. इसमें जहां एक पाकिस्तानी कर्मी लाल सिंह चड्ढा के किरदार से पूछता है – “मैं नमाज अदा करता हूं और प्रार्थना करता हूं, लाल तुम ऐसा क्यों नहीं करते?” लाल सिंह चड्ढा (आमिर खान द्वारा अभिनीत) ने उत्तर दिया, “मेरी माँ ने कहा कि यह सब पूजा पाठ मलेरिया है. इससे दंगे होते हैं.” शिकायतकर्ता ने कहा कि फिल्म में बयान और चित्रण न केवल धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाला है. शिकायत में आगे कहा गया है कि भारतीय संविधान प्रत्येक नागरिक को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है, लेकिन इसका दुरुपयोग करना अक्षम्य है जब यह देश के सम्मान और सद्भाव को खतरे में डालता है. यह नागरिकों को भड़काता है और सुरक्षा को खतरा देता है. राष्ट्र में इसे एक गंभीर अपराध के रूप में माना जाता है.

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