Jharkhand News: पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत घाटशिला प्रखंड में वर्ष 2020-21 से आम बागवानी मनरेगा योजना से शुरू हुई. इस योजना के तहत प्रखंड की विभिन्न पंचायतों में करीब 100 किसानों के 100 एकड़ जमीन पर आम के कई किस्म जैसे आम्रपाली, लगड़ा, दशहरी, फजली की बागवानी की है. एक-दो वर्ष तो पेड़ों में आम नहीं आये, पर इस वर्ष सभी पेड़ों में आम लदे हैं. इस योजना के तहत एक एकड़ में 112 पेड़ लगाये गये हैं. आम के साथ अमरूद, नींबू के पौधे भी लगाये गये हैं. इस योजना के तहत किसान की जमीन और सरकार आम बागवानी के लिए प्रति किसान करीब साढ़े तीन लाख की राशि दी है. इस राशि को जमीन तैयार करने, पौधे खरीदने, ट्रेंच खोदने आदि पर खर्च किया गया है. इस बार आम के पेड़ों में फल लगने से किसानों को अच्छी आमदनी की उम्मीद बंधी है.
ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनीं भानुमति महतो
घाटशिला प्रखंड के गिधिबिल की एक साधारण परिवार में पली-बढ़ीं भानुमति महतो अपनी बेकार पड़ी दो एकड़ बंजर भूमि पर 2018 में 550 आम के पौधे लगाकर आज सालाना डेढ़ लाख रुपये से ज्यादा मुनाफा कमा रही हैं. ऐसा कर ये दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणास्रोत बनी हैं. इन्हें मनरेगा योजना के तहत 4,25,000 रुपये की स्वीकृति मिली. इस फंड से पौधे लगाने की प्रक्रिया शुरू की. सिंचाई के लिए खुद के तालाब का उपयोग किया. आमों की विभिन्न प्रजातियां लगायीं, जिनमें दशहरी, आम्रपाली, हिमसागर, लंगड़ा, फजली, सीता भोग आदि हैं. तीन साल बाद से फल आना शुरू हो गया. आमों को जमशेदपुर की मंडी में बेचने ले जाती हैं. इस साल इनके आम के पेड़ों में काफी फल लगे हैं, जिससे आमदनी में भी बढ़ोतरी की उम्मीद है.
गालूडीह के मजहर हुुसैन ने लगाये आम के 188 पेड़
गालूडीह सुवर्णरेखा नदी तट पर अपनी रैयती जमीन पर किसान मजहर हुसैन ने आम समेत कई तरह के फलों की खेती की है. मनरेगा के तहत आम बागवानी की गयी है. इसमें 188 आम के पौधे लगाये गये हैं, जिसमें आम्रपाली, लगड़ा और तोता फल्ली है. सभी पेड़ों में फल आ गये हैं. वृक्ष कलम किये हैं, जिसके कारण फलों से लद गये हैं. इन्होंने बताया कि आम की पैदावार से सालाना करीब एक लाख रुपये की आमदनी हो जाती है.
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गिधिबिल के योगेंद्र महतो आम बेचकर सालाना कमा रहे एक लाख
बड़ाखुर्शी के गिधिबिल टोला के किसान योगेंद्र महतो ने अपनी बेकार पड़ी दो एकड़ भूमि पर 2020 में 112 आम के पौधे लगाकर सालाना एक लाख रुपये से अधिक आमदनी कर रहे हैं. इन्हें मनरेगा योजना के तहत 3 लाख 67 हजार रुपये की स्वीकृति मिली थी. इन्होंने दशहरी, आम्रपाली, हिमसागर, लंगड़ा, फजली, सीता भोग आदि के पौधे लगाये, जो तीन साल में फल देना शुरू कर दिये हैं. ये आमों को जमशेदपुर के मंडी में बेचने ले जाते हैं. उन्होंने बताया कि इस साल आम के फलों में काफी वृद्धि हुई है.
दारीसाई में आम्रपाली, फजली, दशहरी, लंगड़ा, कृष्णा भोग के बेहतर किस्म
दारीसाई क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र के बड़े भू-भाग में सैकड़ों आम के वृक्षों में फल लदे हैं. यहां लंगड़ा, फजली, आम्रपाली, कृष्णा भोग, दशहरी आदि कई बेहतर किस्म के आम के पेड़ हैं. आम पकने लगे हैं. दारीसाई अनुसंधान केंद्र के सह निदेशक डॉ एन सलाम ने आम की बागवानी की निविदा निकाली, जिसका दर 1.80 लाख है.