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Exclusive: साउथ सुपरस्टार विजय देवरकोंडा ने बिहार के लोगों की तुलना खुद से की…जानिए क्या कहा और क्यों ?

साउथ सुपरस्टार विजय देवरकोंडा की फ़िल्म लाइगर को लेकर जबरदस्त क्रेज है. फिल्म के प्रमोशन में विजय और अनन्या पांडे जोर-शोर से लगे है. बिहार को लेकर उन्होंने कहा कि, बिहार के लोग कमाल के हैं. वे लोग मुझे मेरी तरह ही बहुत मस्त लगे.

साउथ सुपरस्टार विजय देवरकोंडा की पैन इंडिया फ़िल्म लाइगर जल्द ही सिनेमाघरों में दस्तक देने जा रही है. वह इस फ़िल्म को अपने करियर की सबसे चुनौतीपूर्ण फ़िल्म करार देते हैं. उन्हें उम्मीद है कि उनकी यह फ़िल्म टिकट खिड़की पर सफलता के झंडे गाड़ेगी. उनकी इस फ़िल्म,लव लाइफ सहित कई पहलुओं पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत.

लाइगर को आप अपबे करियर की सबसे चुनौतीपूर्ण फ़िल्म क्यों कह रहे है?

शारीरिक और परफॉर्मेंस के लिहाज से यह सबसे कठिन फिल्म है. जब मैंने स्क्रिप्ट सुनी तो मैंने निर्देशक से पूछा कि क्या मुझे शारीरिक बदलाव की जरूरत है. उन्होंने कहा कि ज़रूरत नहीं है,लेकिन मुझे 2 महीने चाहिए थे. हमेशा सुनता आया हूं कि दो महीने में अपनी बॉडी को ऐसे बदलें. मैं बहुत अनुशासित था. मैंने कड़ी मेहनत की, लेकिन 2 महीने के बाद कोई फर्क नहीं पड़ा. समझ आया कि लोग बोलने के लिए बोलते हैं कि दो महीने में बॉडी बदलें. मैं और रुक नहीं सकता था, मैंने निर्देशक को कहा कि शूटिंग शुरू करते हैं,और ऐसे दृश्य करते हैं. जहां मेरा शरीर दिखाई नहीं दे रहा हो. उसके साथ मैंने अपनी ट्रेनिंग जारी रखी. उसी में लॉक डाउन हो गया. जो भी बॉडी बनी है. इसमें डेढ़ साल लग गए.

फ़िल्म में माइक टायसन आपके साथ हैं,उनके साथ शूटिंग का अनुभव कैसा था?

माइक टायसन उन चुनिंदा लोगों में से हैं,जिन्हें पूरी दुनिया जानती हैं. वह फ़िल्म के शूटिंग के दौरान सिर्फ अपनी पत्नी और एक बॉय के साथ आते थे. उनके साथ कोई भीड़ नहीं होती थी. वो आज भी सुबह 4 बजे उठते हैं और अपना वर्कआउट करते हैं. लाइगर का यूएस शेड्यूल सुबह 9 से शाम 4 बजे तक रहता था. हमें लगा कि माइक टायसन 11 बजे भी आएंगे तो चलेगा लेकिन वो सेट पर 8 बजे ही पहुंच जाते थे चूंकि वो 8 बजे आते थे तो मुझे भी साढ़े आठ तक पहुंचना पड़ता था. शूटिंग 9 बजे शुरू हो जाती थी. अपना शॉट होने के बाद भी वैन में नहीं जाते थे. उन्हें लगता था कि कोई ज़रूरत हुई तो,उन्हें हमलोग बोलते कि सर आप जाइए, ज़रूरत हुई तो हम आपको वैन में से बुला लेंगे.

यह एक पैन इंडिया फ़िल्म और करण जौहर इससे जुड़े हैं इसलिए फ़िल्म को हां कहना आसान था?

अर्जुन रेड्डी के कामयाब होने बाद मैं करण [जौहर] से मिलने मुंबई आया था. वह पहले ऐसे निर्माता थे,जिनसे मैं मिला था, वह एक अभिनेता के तौर पर मेरे काम को पसंद करते हैं. उनकी सोच थी कि हमें साथ काम करना चाहिए. उस समय मैं तैयार नहीं था. मैंने कहा थोड़ा टाइम लेते हैं. लाइगर की स्क्रिप्ट सुनने के बाद मुझे लगा कि यह फ़िल्म करनी चाहिए. मैंने करण को कॉल किया. उन्होंने स्क्रिप्ट सुनी. इसके बाद उन्होंने कोई सवाल नहीं किया. मैंने उससे वादा किया कि यह फ़िल्म उन्हें प्राउड महसूस करवाएगी और यह भी कि उन्होंने सही व्यक्ति पर दांव लगाया है. करण अभी पूरे भारत की प्रतिभाओं को एक साथ लाने के लिए जुनूनी है.

लाइगर से उम्मीदें बढ़ती जा हैं, क्या अब आप कोई दबाव महसूस कर रहे हैं?

मैं अपनी फिल्म को लेकर बहुत आश्वस्त हूं. मुझे अपनी फिल्म को लेकर कोई टेंशन नहीं है. मैं केवल एक चीज के बारे में सोचता हूं: मैं सभी तक कैसे पहुंच सकता हूं. मैं हैदराबाद से ताल्लुक रखता हूं और यह फिल्म पूरे भारत में रिलीज होने के लिए तैयार है. अभी मुझे चिंता है कि दर्शक मेरी फिल्म देखें. फ़िल्म देखेंगे,तो वह उन्हें ज़रूर पसंद आएगी.

आप इस फ़िल्म का प्रमोशन जमकर कर रहे हैं, हाल ही में आप बिहार भी गए थे?

बिहार के लोग कमाल के हैं. वे लोग मुझे मेरी तरह ही बहुत मस्त लगे. मैंने सोचा था कि इस फ़िल्म के प्रमोशन के लिए जब मैं सिटी टूर पर रहूंगा तो सब जगह जाकर कहूंगा कि मेरा नाम विजय देवरकोंडा है. मैं हैदराबाद से हूं. मैंने एक पैन इंडिया फ़िल्म बनायी है,आप उसे देखने जाइएगा, लेकिन मैं जिस भी शहर गया फिर चाहे बिहार हो या गुजरात मुझे सभी लोग जानते हैं. मेरा नाम लेकर चिल्ला रहे थे. जो मेरे लिए बहुत खास है. मेरी मां को जब ये सब पता चला तो उनकी आंखों में आंसू आ गए थे कि पटना और मुम्बई के लोग मुझे इतना प्यार कर रहे हैं.

आपकी फैन फॉलोविंग महिलाओं में काफी है,किस फ़िल्म को आप इसका क्रेडिट देंगे?

मुझे याद नहीं कि यह पहली बार कब और कौन सी फ़िल्म से हुआ था. मुझे लगता है कि यह धीरे-धीरे हुआ है. अर्जुन रेड्डी निश्चित रूप से मेरे करियर की टर्निंग पॉइंट फ़िल्म थी,जिसने मुझ पर बहुत लोगों का ध्यान आकर्षित किया.

क्या स्कूल कॉलेज के समय से ही आप लड़कियों में पॉपुलर थे?

सच कहूं तो मुझे लड़कियों से डर लगता था. मेरी शुरुआती शिक्षा बॉयज स्कूल में हुई है. होस्टल भी बॉयज वाला ही था. जब मैंने हैदराबाद के इंटरमीडिएट कॉलेज में दाखिला लिया, तो मेरे आस-पास सुंदर लड़कियां थीं ,लेकिन उन्हें देखने की हिम्मत नहीं थी. चाहता था बात करूं, देखूं लेकिन हिम्मत कभी नहीं हुई. इस डर को दूर करने में मुझे दो से तीन साल लग गए.

आपके जीवन की महत्वपूर्ण महिलाएं कौन सी रही हैं?

महिलाओं ने हमेशा मेरे जीवन में एक बड़ी भूमिका निभायी है. मेरी नानी ने मेरे जीवन में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है. मुझे उनसे बहुत लगाव था. मेरी मां ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है. मेरी पहली निर्माता दो महिलाएं थीं, जिन्होंने मुझे एक बड़ा ब्रेक दिया. मेरे व्यक्तिगत संबंधों में महिलाओं ने भावनात्मक रूप से मेरे जीवन में बहुत योगदान दिया है. मुझे बहुत सारा प्यार और स्पोर्ट दिया है.

आपकी लव लाइफ जमकर सुर्खियां बटोरती हैं, फिलहाल आप किसके साथ डेटिंग कर रहे हैं?

मुझे अपने निजी संबंधों के बारे में बात करना पसंद नहीं है. मैं अपने जीवन में जिस किसी के साथ भी रिश्ते में हूं, मुझे लगता है कि मुझे प्राइवेसी को बनाए रखने की जरूरत है. मैंने इस सार्वजनिक जीवन को चुना है, लेकिन जरूरी नहीं कि वह भी यह सब पसंद करे. मुझे जज किया जा रहा है, लेकिन हर किसी को जज किया जाना पसंद नहीं है.

आप सिंगल हैं या किसी के साथ रिश्ते में हैं?

(हंसते हुए)मैं अपनी मां और पिताजी के साथ रिश्ते में हूं.

लाइगर की शूटिंग मुम्बई में हुई है,मुम्बई पहली बार कब आए थे?

मैं शुरुआत में सपोर्टिंग वाले किरदार ज़्यादा करता था. मेरी एक फ़िल्म आयी थी येवदु सुब्रमण्यम, उसमें मेरी भूमिका अच्छी थी और फ़िल्म सफल भी हुई थी. उन दिनों मैं मुंबई आया था. यह आज से चार-पांच साल पहले की बात है. मैं परिवार के कुछ सदस्यों से मिलने के लिए यूरोप जाने की योजना बना रहा था. जो यूरोप में रहते हैं. मैं हैदराबाद से मुंबई स्लीपर बस में आया था. हालांकि, मेरा वीज़ा रिजेक्ट कर दिया गया था,क्योंकि मेरे सेविंग एकाउंट में पर्याप्त पैसा नहीं था, हालांकि मेरे पिता ने वीजा के लिए मेरे खाते में कुछ पैसे जमा किए थे, लेकिन वीजा देने वालों को विश्वास नहीं हुआ कि मैं भारत वापस आऊंगा. उन्होंने सोचा कि मैं वहां बसने के लिए यूरोप भाग रहा हूं और इस तरह मेरा वीजा खारिज कर दिया. मेरे मामा यूरोप में रहते हैं और वे मेरे उस सफर को स्पॉन्सर कर रहे थे लेकिन शायद मेरी किस्मत में अपने दम पर यूरोप टूर और दुनिया भर घूमना लिखा था. मेरी पासपोर्ट में दुनिया भर के स्टैम्प लग चुके हैं.

आपकी प्रेरणा कौन रहे हैं?

सच कहूं तो मेरी प्रेरणा कभी कोई नहीं रहा है. मेरा सबसे बड़ा मोटिवेशन पैसा कमाना था. लोग मेरा सम्मान करें. जब रिश्तेदारों के किसी फंक्शन में दूसरे रिश्तेदारों को देखकर लोग खड़े हो जाते थे,लेकिन हमारे लिए कोई खड़ा नहीं होता था, तो बुरा लगता था. मैं वो सम्मान चाहता था. मेरी प्रेरणा पैसा नाम और प्रसिद्धि कमाना था. मैं हमेशा से पहचाना जाना चाहता था. हर मध्यम वर्ग की महिला की तरह मेरी मां भी खूब सारे गहने पहनना चाहती थी,लेकिन उसके पास नहीं थे,किसी फंक्शन में वह दूसरों से मांग कर पहनती थी. मैं मिडिल क्लास के उस संघर्ष से ऊपर उठना चाहता था.

इसके बाद आपकी और कौन सी और पैन इंडिया फ़िल्म कर रहे हैं?

मैं कोई और फिल्म साइन करने की सोच नहीं रहा हूं. मैं फिलहाल फ़िल्म की रिलीज चाहता हूं. सफलता का थोड़ा आनंद लें. मैं जन गण मन और कुशी कर रहा हूं, मैं जल्दबाजी में प्रोजेक्ट नहीं लेना चाहता हूं. मैं कुछ महीनों के बाद स्क्रिप्ट सुनूंगा और उसके बाद ही फ़िल्म चुनूंगा.

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