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लोहरदगा में बोले लोबिन हेम्ब्रम- बिहारियों से घिरे हैं हेमंत सोरेन, आदिवासी का भला कहां करेंगे

लोबिन हेम्ब्रम ने कहा कि आदिवासी मुख्यमंत्री होते हुए भी अब तक न स्थानीय नीति बनी, न नियोजन नीति बनी. विस्थापन आयोग का भी गठन नहीं हुआ. सरकार रोजगार देने की बात कह रही है, लेकिन सरकार यह तो बताये कि किस प्रखंड में किस कंपनी में अब तक 75 फीसदी स्थानीय लोगों को नौकरी दी गयी है.

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के विधायक लोबिन हेम्ब्रम एक बार फिर अपनी ही सरकार पर बरसे हैं. उन्होंने कहा कि जनता से जिस वादे और संकल्प के साथ हेमंत सोरेन सत्ता में आये थे, आज उन वादों और संकल्प को भूल गये हैं. अगर यहां के आदिवासी और मूलवासी के पास जमीन ही नहीं बचेगी, तो ये कहां जायेंगे. 2019 में चुनाव प्रचार हो रहा था, उस समय हेमंत सोरेन ने कहा था कि हमारी सरकार बनेगी, तो सीएनटी और एसपीटी एक्ट और पेशा एक्ट को लागू करेंगे, लेकिन सत्ता में आने के बाद हेमंत सोरेन उस वादे को भूल गये हैं. हेमंत बिहारियों से घिरे हैं, आदिवासियों का भला कहां से करेंगे. श्री हेम्ब्रम बुधवार को लोहरदगा में झारखंड आंदोलनकारी महासभा द्वारा आयोजित एक दिवसीय धरना में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि आज आदिवासी मूलवासी समाज अपने ही राज्य में उपेक्षित होता जा रहा है. जल, जंगल और जमीन की लूट जारी है. सीएनटी, एसपीटी एक्ट में संशोधन कर सरकार इसे कमजोर करने में लगी है. आंदोलनकारी एवं झारखंड बचाओ मोर्चा इसे बर्दाश्त नहीं करेगा.

सरकार बताए कि अब तक कितने प्रखंडों में 75 फीसदी स्थानीय को मिली नौकरी

लोबिन हेम्ब्रम ने कहा कि आदिवासी मुख्यमंत्री होते हुए भी अब तक न स्थानीय नीति बनी, न नियोजन नीति बनी. विस्थापन आयोग का भी गठन नहीं हुआ. सरकार रोजगार देने की बात कह रही है, लेकिन सरकार यह तो बताये कि किस प्रखंड में किस कंपनी में अब तक 75 फीसदी स्थानीय लोगों को नौकरी दी गयी है. उन्होंने कहा कि अभी भी समय है, दोनों कानून को सख्ती के साथ लागू करें. लोबिन ने कहा कि हेमंत सोरेन चुनाव के वक्त स्मार्ट गांव बनाने की बात की थी, लेकिन अब वह स्मार्ट सिटी बनाने में लग गये हैं.

पहचान के लिए भटक रहे झारखंड आंदोलनकारी

पूर्व मंत्री सधनू भगत ने कहा कि आदिवासी मुख्यमंत्री होते हुए भी अब तक न स्थानीय नीति बनी, न नियोजन नीति बनी और न ही आंदोलनकारियों के लिए विशेष नीति बनी. आज आंदोलनकारी अपनी पहचान के लिए सड़कों पर भटक रहे हैं. आज आदिवासी मूलवासी समाज अपने ही राज्य में उपेक्षित होता जा रहा है. आदिवासी मूलवासियों को उनके ही जमीन से बेदखल करने की साजिश रची जा रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. सभा को राजू महतो, कयूम खान, अश्विनी कुजूर, किशोर किस्कू, लाल अजय नाथ शाहदेव, अरुण कुमार दुबे, आजम अहमद, शंखनाद सिंह, वीनिता खलखो आदि ने भी संबोधित किया.

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