17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

लॉकडाउन : बर्डमैन पन्ना लाल ने यूरेशियन इगल को दी नयी जिंदगी, अब दिन में ही दिखने लगे पर्पल सनबर्ड व वुड सैंडपाइपर

रजरप्पा : कोरोना वायरस के कारण आज दुनियाभर में कोहराम मचा है. बड़ी संख्या में लोगों की जान जा चुकी है. पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था चरमरा गयी है, लेकिन ऐसी विपरीत परिस्थिति में प्रकृति का सौंदर्य खिल उठा है. लॉकडाउन के कारण खुले आसमान और जंगलों में पक्षी प्रसन्न दिखने लगे हैं. रामगढ़ जिले के विभिन्न जंगलों में विलुप्त हो रहे पशु, पक्षी अब दिन में ही दिखने लगे हैं. आज बर्डमैन पन्ना लाल ने जंगल में चील के हमले से घायल यूरेशियन इगल का उपचार किया. अभी उसकी स्थिति अच्छी है. पढ़िए सुरेंद्र कुमार/शंकर पोद्दार की रिपोर्ट.

रजरप्पा : कोरोना वायरस के कारण आज दुनियाभर में कोहराम मचा है. बड़ी संख्या में लोगों की जान जा चुकी है. पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था चरमरा गयी है, लेकिन ऐसी विपरीत परिस्थिति में प्रकृति का सौंदर्य खिल उठा है. लॉकडाउन के कारण खुले आसमान और जंगलों में पक्षी प्रसन्न दिखने लगे हैं. रामगढ़ जिले के विभिन्न जंगलों में विलुप्त हो रहे पशु, पक्षी अब दिन में ही दिखने लगे हैं. आज बर्डमैन पन्ना लाल ने जंगल में चील के हमले से घायल यूरेशियन इगल का उपचार किया. अभी उसकी स्थिति अच्छी है. पढ़िए सुरेंद्र कुमार/शंकर पोद्दार की रिपोर्ट.

Also Read: Coronavirus in Jharkhand, Live Updates: कोरोना की रफ्तार क्या आज से बढ़ेगी? झारखंड में तेज किया जा रहा कोरोना टेस्ट
बर्डमैन ने दी नयी जिंदगी

कुंदरु सरैया गांव के जंगल में दोपहर में यूरेशियन इगल (उल्लू) नजर आया. इस पर जैसे ही ब्लैक काइट (चील) ने हमला किया. वह जमीन पर गिर गया. इस बीच गांव के उपेंद्र महतो व दिलीप महतो की नजर इस पर पड़ी और इसकी सूचना अविलंब कुंदरु सरैया निवासी बर्डमैन पन्नालान को दी. उन्होंने यूरेशियन इगल का उपचार किया. अभी इसकी हालत अच्छी है. बर्डमैन ने बताया कि इगल का भोजन चूहा, मेढ़क, मछली, सांप, चमगादड़ है. फिलहाल इसकी भोजन की व्यवस्था करायी गयी. ठीक होने के बाद रात्रि में इसे छोड़ दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि यह पक्षी विलुप्त के कगार पर है. यह दिन में दिखाई नहीं देता है. लेकिन ये लॉकडाउन का असर है कि वे दिन में दिखने लगे हैं. इसकी लंबाई 58 से 72 सेंटीमीटर होती है. रंग ब्राउन, वजन 2 किलो 700 ग्राम अधिकतम होता है. यह बंदर की आकृति जैसा भी दिखता है. इसका प्रजनन नवंबर से मार्च माह तक होता है. यह खुद अपने पैरों से रगड़ कर पहाड़ों में अपना आशियाना बनाता है.

Also Read: कोडरमा का इकलौता कोरोना पॉजिटिव युवक स्वस्थ, सम्मान के साथ घर भेजने की तैयारी
किसानों का मित्र है यूरेशियन इगल

बर्डमैन पन्नालाल ने बताया कि इस पक्षी को किसानों का मित्र कहा जाता है. धान की फसल के समय में किसान अपने-अपने खेतों में खूंटा गाड़ दिया करते थे. जहां यह घंटों बैठ कर चूहों का शिकार किया करता था. जिससे फसल भी बचती थी और खेत का मेढ़ भी नहीं टूटता था. यह पक्षी मां लक्ष्मी का दूत भी है.

Also Read: IRCTC/Indian railways News: Lockdown के दौरान रेलवे चला सकता है 300 स्पेशल ट्रेन! यह है शर्त
वुड सैंडपाइपर, गौरेया, यूरेशियन पक्षी आ रहे नजर

वातावरण अनुकूल होने से इन दिनों जंगलों में वुड सैंडपाइपर, यूरेशियन सीक-नी, गौरेया, ब्लैक वीरंड, स्टिल्ट जंगलों और जलाशयों के आस-पास दिखाई दे रहे हैं. बर्डमैन ने बताया कि लॉकडाउन के कारण पक्षी बेखौफ होकर घोंसला बना कर प्रजनन कर रहे हैं. इसमें ग्रीन बी इटर, स्प्रो लॉर्क, सिंगिंग बुस लॉर्क, हाउस स्पेरो, बगेरी, कॉमन मैना, बह्मानी स्टालिग, एशियन पाईड, नीलकंठ, ब्लैक आइबिस, कॉमन किंगफिशर, यूरेशियन कालार्ड, डव, रेड कालार्ड डब, लिटिल ब्राउन डब जैसे कई पक्षी शामिल हैं.

Also Read: पूरे देश में अंधेरा छाने का खतरा, नहीं मिलेगी बिजली अगर मोदी सरकार ने नहीं निकाला इसका हल
पशु, पक्षियों का शिकार बढ़ा

वर्तमान में झारखंड के विभिन्न जंगलों में ग्रे पैट्रीज (तीतर), जंगली सुअर, हिरन, खरगोश का शिकार बढ़ गया है. जंगल के बीच और इसके आस-पास में रहने वाले कुछ लोग इसका शिकार कर रहे हैं. बर्डमैन ने बताया कि यदि पक्षी की एक प्रजाति विलुप्त होती है, तो किट पतंग की 90 प्रजाति, पेड़-पौधे की 35 प्रजाति और मछली की तीन प्रजाति स्वतः विलुप्त हो जाती है. उन्होंने कहा कि जागरूकता अभियान से ही पशु, पक्षियों को बचाया जा सकता है.

Also Read: पुलित्जर पुरस्कार 2020 के विजेताओं की घोषणा, जानिए भारत के कितने पत्रकारों मिला सम्मान

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें