19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

लॉकडाउन में आय का जरिया बना देसी मशरूम, जंगलों के किनारे बसे गांव हो रहे आत्म निर्भर

हजारीबाग जिले में बड़कागांव प्रखंड के लोगों को लॉकडाउन(Lockdown) में फुटका वा खुखरी वरदान साबित हुआ है. लॉकउड़ान के कारण जहां लोगों का आर्थिक तंगी उत्पन्न होने लगी थी,वही जंगलों के किनारे बसे गांवों के लिए फुटका वा खुखरी वरदान साबित हुआ है. बेरोजगार युवक व महिलाएं फुटका एवं खुखरी से आत्म निर्भर होने होकर बेरोजगारी दूर किया. इस कारण बड़कागांव फुटका व टेकनस ,खुखड़ी बाजार का विशिष्ट पहचान बन गया है .फुटका व मशरुम के लिए दूरदराज से लोग खरीद करने आते हैं. बड़कागॉव दैनिक बाजार में रुगड़ा फुटका का बाजार विक्रय विक्रय जोरों पर.

बड़कागॉव : हजारीबाग जिले में बड़कागांव प्रखंड के लोगों को लॉकडाउन में फुटका वा खुखरी वरदान साबित हुआ है. लॉकउड़ान के कारण जहां लोगों का आर्थिक तंगी उत्पन्न होने लगी थी,वही जंगलों के किनारे बसे गांवों के लिए फुटका वा खुखरी वरदान साबित हुआ है. बेरोजगार युवक व महिलाएं फुटका एवं खुखरी से आत्म निर्भर होने होकर बेरोजगारी दूर किया. इस कारण बड़कागांव फुटका व टेकनस ,खुखड़ी बाजार का विशिष्ट पहचान बन गया है .फुटका व मशरुम के लिए दूरदराज से लोग खरीद करने आते हैं. बड़कागॉव दैनिक बाजार में रुगड़ा फुटका का बाजार विक्रय विक्रय जोरों पर.

बड़कागांव में होता है रूगड़ा

यहां एक सप्ताह पहले ₹400 प्रति किलो बिक्री की जा रही थी,जो अब 300₹ में बिक्री हो रही है.जबकि खुखड़ी व टेक्नस 600 रुपये बेची जा रही है. मशरूम प्रजाति का रुगड़ा बड़कागॉव में बहुतायत में होता है.इसका स्वाद बिलकुल मटन जैसा ही होता है. अब तक बड़कागॉव के लोग ही इसका स्वाद लिया करते थे, लेकिन अब इसे देश के अन्य हिस्सों में भी चखा जा रहा है

सखुआ के पेड़ के नीचे होता है उत्पादन

झालो देवी , फूलों देवी ,पार्वती देवी सरिता देवी समेत दर्जनों महिलाएं बुढ़वा महादेव महोदय जंगल , डूमारो जंगल में हर सुबह खुखरी फुटका उठाने जाते हैं. इन लोगों ने बताया कि मशरूम प्रजाति का रुगड़ा दिखने में छोटे आकार के आलू की तरह होता है. आम मशरूम के विपरीत यह जमीन के भीतर पैदा होता है. वह भी हर जगह नहीं बल्कि साल के वृक्ष के नीचे. बारिश के मौसम में जंगलों में साल के वृक्ष के नीचे पड़ जाने वाली दरारों में पानी पड़ते ही इसका पनपना शुरू हो जाता है.परिपक्व हो जाने पर हमसब इन्हें एकत्र कर लेते हैं और बेचते हैं.ग्राम सिंदुवारी के प्रमोद कुमार दास ने बताया कि हम लोग भी अधिकांश युवा जंगलों में जाकर छत पर पेड़ के नीचे से खुखरी व फुट का को उठाते हैं और बाजारों में इसे बेचकर अपनी बेरोजगारी की समस्या को दूर करते हैं .

प्रोटीन से भरपूर होता है रूगड़ा

उन्होंने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अब इसकी खेती की तकनीक विकसित कर रहा है .ताकि इसका व्यावसायिक तौर पर उत्पादन किया जा सके.रुगड़ा में प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है, जबकि कैलोरी और वसा नाम मात्र का. बारिश के मौसम में इसकी जबर्दस्त डिमांड रहती है. जीसस मिशनरी सोसायटी ऑफ करणपुरा के सचिव नकुल महतो का कहना है कि अभी तो बरसात के दिनों में जंगल से मशरूम उठा कर लाया जाता है. जब बरसात खत्म हो जाता है ,तो हम लोग अपने घरों में मशरूम की खेती कर उत्पादन करते हैं .जिससे काफी आमदनी प्राप्त होती हैं .

इन जंगलों में होता है फुटका व खुखड़ी

बड़कागांव के डुमारो जंगल ,महोदी जंगल ,अंबाटोला जंगल ,बथनिया जंगल, लोटवा पहाड़ जंगल,जुगरा जंगल,बरसोपानी, झिकझोर जंगल, लौकरा,आदि जंगलो में फुटका निकलता है

Posted By: Pawan Singh

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें