Maa Saraswati Aarti: हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है, इस दिन ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा करने का विधान है. मां सरस्वती को भगवती, चंद्रघंटा, वाणिश्वरी, बुद्धिदात्री, सिद्धिदात्री, भुवनेश्वरी, गायत्री और ब्राह्मणी समेत कई अन्य प्रमुख नामों से जाना जाता है. इस वर्ष बसंत पंचमी का त्योहार 14 फरवरी को मनाया जाएगा. पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी तिथि की शुरुआत हो चुकी है, जो 14 फरवरी 2024 को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के अधार पर बसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी 2024 को मनाया जाएगा. बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजन का शुभ मुहूर्त बुधवार की सुबह से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा. बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधिवत पूजा करने के साथ मां शारदा का पूजा मंत्र, वंदना के साथ आरती पढ़कर आराधना करें. आइए जानते है सरस्वती पूजा मंत्र, सरस्वती वंदना और आरती…
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सरस्वती वंदना
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं,
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्,
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥
जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता ॥
जय जय सरस्वती माता…
चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी ।
सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥
जय जय सरस्वती माता…
बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला ।
शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला ॥
जय जय सरस्वती माता…
देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया ।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥
जय जय सरस्वती माता…
विद्या ज्ञान प्रदायिनि, ज्ञान प्रकाश भरो ।
मोह अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो ॥
जय जय सरस्वती माता…
धूप दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो ।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥
जय जय सरस्वती माता…
माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे ।
हितकारी सुखकारी, ज्ञान भक्ति पावे ॥
जय जय सरस्वती माता…
जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता ॥
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ॐ जय वीणे वाली, मैया जय वीणे वाली
ऋद्धि-सिद्धि की रहती, हाथ तेरे ताली
ऋषि मुनियों की बुद्धि को, शुद्ध तू ही करती
स्वर्ण की भाँति शुद्ध, तू ही माँ करती॥
ज्ञान पिता को देती, गगन शब्द से तू
विश्व को उत्पन्न करती, आदि शक्ति से तू॥
हंस-वाहिनी दीज, भिक्षा दर्शन की
मेरे मन में केवल, इच्छा तेरे दर्शन की॥
ज्योति जगा कर नित्य, यह आरती जो गावे
भवसागर के दुख में, गोता न कभी खावे॥