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माफिया अतीक अहमद और उसके रिश्तेदारों के खंगाले जाएंगे बैंक लॉकर, कराची कनेक्शन की भी होगी पड़ताल

माफिया अतीक अहमद और उसके रिश्तेदारों के बैंक लॉकर की जानकारी जुटाई जा रही है. बैंक लॉकर में करोड़ों के जेवरात और अवैध संपत्ति के दस्तावेज होने की भी आशंका है. साथ ही माफिया के रिश्तेदारों पर कैंट थाने में दर्ज मुकदमे में दस्तावेजों की जांच करते हुए पुलिस कराची कनेक्शन की जांच कर रही है.

माफिया अतीक अहमद और उसके रिश्तेदारों के बैंक लॉकर की जानकारी जुटाई जा रही है. बैंक लॉकर में करोड़ों के जेवरात होने की आशंका है. लॉकर में अवैध संपत्ति के दस्तावेज होने की भी आशंका है. इसके लिए पुलिस प्रयागराज के बैंकों के लॉकर की पड़ताल में जुट गई है. साथ ही माफिया के रिश्तेदारों पर कैंट थाने में दर्ज मुकदमे में दस्तावेजों की जांच करते हुए पुलिस कराची कनेक्शन की जांच कर रही है. फिलहाल यह बात सामने आई है कि जिस बेशकीमती संपत्ति पर कब्जा किया गया, उसके मूल स्वामी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर को पॉवर ऑफ अटार्नी जारी करने वाले ने अपना दादा बताया था. पॉवर ऑफ अटार्नी में इसका जिक्र है. पुलिस जांच पड़ताल में जुटी है. दरअसल, एक दिन पहले कैंट थाने में माफिया अतीक के रिश्तेदार मो. उमर समेत तीन पर इस मामले में केस लिखाया गया है. वादी राजेन्द्र कुमार उर्फ राज शुक्ला निवासी म्योर रोड राजापुर ने पुलिस को बताया है कि उसके पिता भाईलाल को प्लॉट नंबर 01 व 02 का संपूर्ण क्षेत्रफल व उसमें स्थित मकान मुस्लिम सिद्दीकी निवासी राजापुर ने पंजीकृत वसीयतनामा प्रदान किया. आरोप है कि प्लाट नंबर 02 में स्थित मकान को भूमाफिया गिरोह के सदस्य सुहैल सिद्दीकी निवासी पाकिस्तान व सईदउद्दीन निवासी बेली रोड ने कूटरचित अभिलेख तैयार करके असलहों से लैस होकर जबरन मकान में घुस आए और सामान में तोड़फोड़ कर दी. विरोध करने पर पीटा और मकान से बाहर कर दिया.

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पॉवर ऑफ अटार्नी जालसाजी कर तैयार की गई

मकान को गिरोह सरगना सईदउद्दीन के भतीजे मो. उमर ने कब्जाया है. जान से मारने की धमकी देने के साथ ही मकान खाली करने के एवज में एक करोड़ की रंगदारी मांगी जा रही है. पुलिस सूत्रों का कहना है कि उमर अतीक का ममेरा साढू है. प्रारंभिक जांच पड़ताल में यह बात सामने आई है कि पॉवर ऑफ अटार्नी में उक्त संपत्ति का स्वामी इविवि के अरेबियन व परसियन विभाग के पूर्व अध्यक्ष अब्दुल सत्तार सिद्दीकी व उनके बेटे मुस्लिम सिद्दीकी को बताया गया है. इसी दावे के आधार पर सुहेल सिद्दीकी निवासी कराची, पाकिस्तान, जिन्होंने खुद को इलाहाबाद विश्वविद्यालय पूर्व प्रोफेसर को अपना दादा बताया है, ने पॉवर ऑफ अटार्नी अपने परिचित सईदउद्दीन सिद्दीकी के नाम की थी. पुलिस फिलहाल इस पॉवर ऑफ अटार्नी की जांच पड़ताल में जुटी है. दरअसल, आरोप है कि पॉवर ऑफ अटार्नी जालसाजी कर तैयार की गई. कैंट इंस्पेक्टर रुकुमपाल सिंह ने बताया कि मामला दस्तावेजों की कूटरचना से संबंधित है. ऐसे में अभिलेखीय साक्ष्यों को जुटाया जाएगा.

अशरफ ने जैनब के नाम किया था 12 बीघा जमीन का सौदा

माफिया अतीक अहमद की 12.5 करोड़ की बेनामी संपत्ति कुर्क करने के बाद कमिश्नरेट टास्क फोर्स ने एक और बड़ी सफलता हासिल की है. टीम ने माफिया के भाई अशरफ की 12 बीघा जमीन पर बनाई गई करोड़ों की बेनामी संपत्ति का पता लगाया है. उसकी पत्नी जैनब के घर की कुर्की की कार्रवाई के दौरान पुलिस को इससे जुड़े कुछ दस्तावेज हाथ लगे हैं. हटवा स्थित इस संपत्ति को भी गैंगस्टर एक्ट में कुर्क किया जाएगा. दो दिन पहले पुलिस उमेश पाल हत्याकांड में वांछित चल रही जैनब के खिलाफ पुलिस ने कुर्की की कार्रवाई की थी. अकबरपुर स्थित उसके आलीशान मकान को कुर्क किया गया. इससे पहले तलाशी के दौरान पुलिस को अशरफ की बेनामी संपत्ति से जुड़े अहम सुराग मिले. जिसमें पता चला कि अशरफ ने पत्नी जैनब के नाम पूरामुफ्ती के हटवा गांव में ही 12 बीघा जमीन का सौदा तय कर लिया था. जिन किसानों से यह जमीन खरीदी जानी थी, उन्हें उसके लिए रुपये भी दे दिए गए थे. अब महज जमीन का बैनामा होना था.

वहीं पुलिस सूत्रों का दावा है कि यह जमीन भी हूबलाल की तरह किसी गुमनाम व्यक्ति के नाम लिखवाई जानी थी. बाद में इसे माफिया जब चाहता, अपने नाम करा लेता या किसी अन्य के नाम बैनामा करवाकर बेच देता. पुलिस ने इनमें से कुछ किसानों से पूछताछ की तो पुष्टि भी हो गई. किसानों ने बताया कि उनकी जमीनों को खरीदने के लिए माफिया अशरफ ने सौदा किया था और सभी को पैसे भी दे दिए थे. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जमीन से जुड़े दस्तावेज निकलवाए जा रहे हैं. इसे भी गैंगस्टर एक्ट के तहत कुर्क करने के लिए अनुमति मांगी जाएगी.

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हटवा में ही है जैनब का मायका

बता दें कि अशरफ ने जिस हटवा में 12 बीघा जमीन का सौदा किसानों से किया था, उसी गांव में उसकी पत्नी का मायका भी है. हटवा स्थित ससुराल से ही अशरफ को 2020 में पुलिस ने गिरफ्तार किया था. पुलिस सूत्रों का दावा है कि जीजा अशरफ के लिए इस सौदे को पूरा कराने में उसका साला सद्दाम जी-जान से लगा था. अशरफ ने उसके ही जरिए किसानों को रकम भी दिलवा दी थी. हालांकि इसी दौरान उमेश पाल की हत्या हो गई और फिर प्लानिंग पर पानी फिर गया.

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