Gorakhpur : जिला महाराजगंज के कोर्ट में शुक्रवार को माफिया सुधीर सिंह ने सरेंडर किया. माफिया सुधीर सिंह ने श्यामदेउरवा थाने में दर्ज 20 वर्ष पुराने मामले में गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट महाराजगंज के न्यायालय में आत्मसमर्पण किया है. सुधीर सिंह का नाम गोरखपुर जिले के टॉप 10 और उत्तर प्रदेश के माफिया की सूची में शामिल है. गोरखपुर पुलिस का खौफ माफियाओं में दिख रहा है.
सुधीर सिंह के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद पुलिस सरगर्मी से उसकी तलाश कर रही थी. सुधीर सिंह के सरेंडर करने के बाद कोर्ट ने उसे न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया है. हालांकि, महाराजगंज कोर्ट में सरेंडर के दौरान कचहरी परिसर से लेकर जेल के बाहर तक बड़ी संख्या में उसके समर्थकों का काफिला मौजूद रहा. गोरखपुर के गीडा थाना क्षेत्र के कालेसर गांव का निवासी सुधीर सिंह के विरुद्ध गोरखपुर, लखनऊ और महाराजगंज जिले की अलग-अलग थानों में 36 मुकदमे दर्ज हैं.
सुधीर सिंह साल 2003 में महाराजगंज जिले की श्यामदेउरवा थाने में हुई लूट के एक मुकदमे में वांछित चल रहा था. कोर्ट ने उसके खिलाफ 2008 में गैर जमानती वारंट जारी कर रखा था. जिसके बाद पुलिस लंबे समय से उसकी तलाश कर रही थी. महाराजगंज जिले के एसपी डॉक्टर कौस्तुभ ने बताया कि पुलिस ऑपरेशन शिकंजा के तहत पुराने मुकदमों में पैरवी कर आरोपियों को सजा दिलाने का अभियान चला रहे हैं. श्यामदेउरवा थाने में 20 वर्ष पुराने मुकदमें में माफिया सुधीर सिंह ने न्यायालय में सरेंडर किया है. वहां से उसे जेल भेज दिया गया है.
लेकिन बीते कुछ दिनों पहले अजीत शाही ने गोरखपुर कोर्ट में और गुरुवार को सुधीर सिंह ने महाराजगंज कोर्ट में सरेंडर कर पुलिस की पोल खोलकर रख दी है. आपको बता दें कि माफिया सुधीर सिंह शाहपुर थाना क्षेत्र में वर्ष 2004 में हुई लूट की घटना में आरोपी था. इस मामले में कोर्ट ने 24 अप्रैल 2023 को गैर जमानती वारंट जारी किया था. वारंट जारी होने के बाद से ही क्राइम ब्रांच और शाहपुर थाने की पुलिस उसकी तलाश में छापेमारी कर रही थी लेकिन उसे सफलता नहीं मिली.
वही कुछ दिन पहले को-ऑपरेटिव बैंक के सचिव व कर्मियों को जान से मारने की धमकी देकर जबरन वसूली करने के मामले में माफिया अजीत शाही गुरुवार को अपर मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट अमित कुमार के समक्ष पेश हुआ था. सीजेएम ने अभिरक्षा रिमांड पर लेकर 14 दिन के लिए माफिया को जेल भेज दिया. जबकि पुलिस अजीत शाही की तलाश में गोरखपुर और देवरिया जिले में लगातार छापेमारी कर रही थी, लेकिन उसके हाथ कुछ भी नहीं लगा था. जो पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान जरूर खड़ा करता है.
रिपोर्ट – कुमार प्रदीप