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डीजल ना पेट्रोल… गाय के गोबर से चलती है Maruti Suzuki की ये पॉपुलर कार!

पारंपरिक तौर पर ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला गोबर भारत के प्रत्येक शहर और गांवों में उपलब्ध है. इसके अलावा, दक्षिण-पूर्व एशिया के कई देशों में भी गोबर भारी मात्रा में उपलब्ध है. मारुति सुजुकी ने इस पारंपरिक ईंधन को कार में इस्तेमाल करने के लिए वैगनआर सीबीजी को तैयार किया है.

CBG-Powered Maruti Suzuki Wago-R: भारत समेत पूरी दुनिया में पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं. ओपेक देशों के नखरे और पेट्रोलियम पदार्थ के लिए हो रहे झगड़े से क्रूड ऑयल की कीमतों में भी लगातार इजाफा हो रहा है. पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों की वजह से आम आदमी को गाड़ी चलाना मुश्किल हो गया है. हालांकि, पेट्रोल-डीजल के विकल्प के तौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि आम आदमी कम खर्च में गाड़ी चला सके. इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के पीछे सबसे बड़ी वजह पर्यावरण प्रदूषण को कम करना है. पेट्रोल-डीजल के प्रयोग से वातावरण में वायु प्रदूषण की मात्रा बढ़ रही है. इसके साथ ही, पेट्रोल-डीजल के वैकल्पिक ईंधन के तौर पर देश-दुनिया में अब भी शोध किए जा रहे हैं. इसी क्रम में भारत की वाहन निर्माता कंपनी मारुति की जापानी सहयोगी कंपनी सुजुकी ने पारंपरिक ईंधन गोबर और कचरे से चलने वाली कार बनाई है. मारुति सुजुकी ने अपने पुराने मॉडल वैगनआर को ही कंप्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) से चलने वाली कार बना दिया है. कंपनी ने पिछले साल के अक्टूबर महीने में टोक्यो में आयोजित जापान मोबिलिटी शो में प्रदर्शित भी किया है. इस कार को भारत समेत एशियाई देशों के उपभोक्ताओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है. आइए, सीबीजी से चलने वाली वैगनआर कार और कंप्रेस्ड बायो गैस के बारे में जानते हैं.

गोबर और कचरे से चलेगी मारुति सुजुकी वैगन आर

जापान मोबिलिटी शो में प्रदर्शित मारुति सुजुकी की वैगनआर कार कंप्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) से चलती है. सीबीजी को कचरे और गोबर से तैयार किया जाता है. इस कार को चलाने के लिए पेट्रोल-डीजल अथवा सीएनजी की जरूरत नहीं है. पारंपरिक तौर पर ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला गोबर भारत के प्रत्येक शहर और गांवों में उपलब्ध है. इसके अलावा, दक्षिण-पूर्व एशिया के कई देशों में भी गोबर भारी मात्रा में उपलब्ध है. जापानी कार निर्माता कंपनी सुजुकी ने इस पारंपरिक ईंधन को कार में इस्तेमाल करने के लिए वैगनआर को सीबीजी पावर्ड इंजन में तैयार किया है.

कैसे तैयार होती है सीबीजी

कंप्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) भी कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) की तरह इस्तेमाल किया जाने वाला ईंधन है. सीएनजी पेट्रोलियम स्रोतों से प्राप्त किया जाता है. वहीं, सीबीजी को गाय के गोबर, खेती से निकलने वाले कचरे, सीवेज और नगपालिकाओं से निकलने वाले कचरे से तैयार किया जाता है. मूल रूप से सीबीजी को कार्बनिक पदार्थों को डीकंपोज करने के बाद तैयार किया जाता है. सीबीजी को पारंपरिक ईंधन के विश्वसनीय विकल्प के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इस कार्बनिक पदार्थ की अपघटन प्रक्रिया के बाद बायोगैस कार्बन डाइऑक्साइड सामग्री को कम करने और मीथेन के स्तर को बढ़ाकर इसे सीएनजी की तरह गैस के रूप में तैयार किया जाता है. सीएनजी और सीबीजी के बीच मुख्य अंतर ईंधन का स्रोत है, क्योंकि सीएनजी प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होती है.

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हर साल 1.5 करोड़ टन बायोगैस बनाएगा भारत

सीबीजी जैविक स्रोतों से प्राप्त किया जाता है, इसलिए डीकंपोजिशन के बाद तैयार हुए वेस्ट उत्पाद का उपयोग कृषि उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है. साल 2020 में तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि देश में 2023 तक 5,000 डीकंपोजिशन प्लांट्स से करीब 1.5 करोड़ टन बायोगैस का उत्पादन किया जाएगा. इसके लिए सरकार ने लगभग 200 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई है. इस कदम से भारत को ईंधन के आयत में कटौती करने में मदद मिलेगी. फिलहाल, भारत अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में सीएनजी का आयात करता है.

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भारत में ही बनाई गई है वैगनआर सीबीजी

सबसे बड़ी बात यह है कि सीबीजी से चलने वाली जिस वैगनआर कार को सुजुकी ने जापान मोबिलिटी शो में प्रदर्शित किया है, उस कार को भारत में ही विकसित किया गया है. मारुति सुजुकी साल 2022 से ही वैगनआर कार के सीबीजी एडिशन पर काम कर रही है. मारुति सुजुकी इंडिया ने दिसंबर 2022 में फ्लेक्स-फ्यूल वैगनआर प्रोटोटाइप को पेश किया था, जो ई20 फ्यूल पर चल सकती थी. मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आरसी भार्गव का कहना है कि केवल इलेक्ट्रिक वाहनों पर निर्भर रहने के बजाय हाइब्रिड टेक्नोलॉजी, सीबीजी और सीएनजी के इस्तेमाल से देश में कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद मिलेगी.

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