मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह विवाद मामले में पक्षकार का दावा है कि केशव देव का मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी. पक्षकार यह दावा आगरा स्थित पुरातत्व विभाग कार्यालय ASI की तरफ से RTI के जवाब में दिए गए अभिलेख के आधार पर किया है. अभिलेख के अनुसार अंग्रेजों के शासन के दौरान 1920 में इलाहाबाद से प्रकाशित गजट में यूपी के विभिन्न जिलों के 39 स्मारकों की सूची है, जिसमें 37 नंबर पर कटरा केशव देव भूमि पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि का उल्लेख है. मैनपुरी के अजय प्रताप सिंह ने मंदिर के बारे में सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी मांगी थी. पत्र संख्या ALSOI/R/E 23/00003 दाखिल किया गया था. इस जन सूचना अधिकार में जानकारी मांगी गई कि कटरा केशव देव का हिस्सा जो नजूल किरायेदारों के कब्जे में नहीं हैं और जिस पर पहले केशव देव का मंदिर था उसे ध्वस्त कर जमीन पर मस्जिद के लिए किया गया था. इस स्मारक की पूरी सूचना उपलब्ध कराई जाए. आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा मांगी गई सूचना का 3 फरवरी 2023 को जवाब देते हुए अभिलेख जारी किया गया.
जारी किए गए पत्र में 1920 में ब्रिटिश शासन के द्वारा जारी किए गए गजट की कॉपी दी. ब्रिटिश शासन के अधीन जन कार्य विभाग के बिल्डिंग और सड़क सेक्शन के द्वारा 1920 में इलाहाबाद से प्रकाशित कराए गए गजट में दर्ज उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के 39 स्मारकों की सूची उपलब्ध कराई. इस सूची में 37 नंबर पर कटरा केशव देव भूमि पर श्री कृष्ण जन्मभूमि का उल्लेख है. जवाब में दिए गए पत्र में लिखा है कि कटरा केशव देव पर पहले केशव देव का मंदिर था, जिसे ध्वस्त कर दिया गया था और उस जगह का उपयोग मस्जिद के लिए किया गया था. आरटीआई के जवाब में मिले इस पत्र को तलाश कर लाए श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि पहले भी तथ्य और सबूत मंदिर की गवाही दे रहे थे अब यह पत्र और महत्वपूर्ण साबित होगा. इस पत्र को 22 फरवरी को हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश किया जाएगा. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाए गए स्टे के जवाब में दाखिल करेंगे.