चक्रधरपुर, शीन अनवर. हर साल 28 मई को पूरी दुनिया में माहवारी स्वच्छता दिवस मनाया जाता है. इस अवसर पर चक्रधरपुर रेलवे अस्पताल की डॉक्टर नंदिनी षण्ड ने लड़कियों और महिलाओं को पीरियड के समय स्वच्छता का विशेष ध्यान रखने के लिए कुछ तरीके बताए हैं.
एक बार के मासिक धर्म में निकलता है 10-80 ml ब्लड
डॉ नंदिनी ने कहा कि मासिक धर्म होना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. छोटी बच्चियों को माहवारी 10 से 16 साल की उम्र में शुरू होती है. आमतौर पर यह 2 से 7 दिनों तक रहता है. पूरे मासिक धर्म में लगभग 10 से 80 मिली लीटर रक्त निकलता है. ऐसे समय में स्वच्छता पर विशेष ध्यान रखना जरूरी है. स्वच्छता दिवस का मुख्य उद्देश्य महिलाओं और किशोरियों को सुरक्षित और स्वच्छ मासिक धर्म का अनुपालन करने के लिए जागरुक करना है.
कपड़े के बजाए सिनैटरी पैड का करें इस्तेमाल
डॉ नंदिनी ने बताया कि पीरियड्स के दौरान स्वच्छता को बनाये रखने के लिए कपड़े के बजाए सिनैटरी पैड का इस्तेमाल करना चाहिए. कभी-कभी या किसी किसी को शुरुआत में अधिक रक्तश्राव हो सकता है. उन्हें हर दो तीन घंटे में पैड बदलना पड़ता है. रात के समय उपयोग किये जाने वाले पैड अधिक लंबे और चौड़े होने चाहिए. ताकि नींद खराब ना हो और दाग लगने की संभावना नहीं रहे.
वजाइना नहीं रखा साफ तो लकड़ी हो सकती है बांझ
डॉ नंदिनी ने बताया कि रक्त एक कल्चर मीडिया है. वह बहुत सारे बैक्टीरिया को अपनी ओर आकर्षित करता है. जो रक्त में मिल जाता है. पीरियड्स के समय रक्त वजाइना से निकलता है, जिससे जलन, इरिटेशन, फंगल इंफेक्शन होता है. इसलिए समय पर पैड बदलना जरूरी है. इन दिनों अपनी सेहत और स्वच्छता पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. पीरियड के समय में अपने प्राईवेट पार्टस की साफ-सफाई अन्य दिनों से ज्यादा करने की जरूरत है. साफ सफाई के अभाव में खुजली, जलन की समस्या हो सकती है. इन दिनों वजाइना से पीले या हरे रंग का बदबूदार पानी निकल सकता है और पेट में दर्द भी हो सकता है. अगर इंफेक्शन लंबे समय तक और बार-बार हो तो लकड़ी बांझ भी हो सकती है. इन चीजों से बचने के लिए वजाइना को साफ रखना जरूरी है.
नैपकिन से हर साल 9000 टन कचड़ा होता है जमा, ऐसे रखें पर्यावरण को साफ
माहवारी स्वच्छता दिवस पर डॉ नंदिनी कहती हैं कि पीरियड के समय इकोफ्रेंडली नैपकीन का इस्तेमाल करें. इससे प्लास्टिक के इस्तेमाल से बचेंगे. अधिकतर नैपकीन 90 प्रतिशत क्रूड ऑयल प्लास्टिक से बने होते हैं, जो नष्ट नहीं होता. हैरत की बात यह है कि हर साल 9000 टन कचड़ा इस्तेमाल किया हुआ नैपकिन से जमा होता है, जो जमीन में सड़ता या गलता नहीं है. इसे जलाने पर हानिकारक गैस बनती है. लंबे समय तक पड़े रहने पर इसमें किटाणु हो जाते हैं, जिससे कचरा उठाने वाले संक्रमित हो सकते है. इस पैड को अगर टॉयलेट या नाली में फेंका जाए तो पाइप जाम रह जाएगा. इसे नष्ट करने के लिए वेंडिंग मशीन के साथ इनसिनेरेटर का प्रयोग करें. इसे अच्छे तरीके से जला कर नष्ट भी कर सकते हैं. जहां मशीन उपलब्ध नहीं है, वहां घर से दूर गड्ढा में इसे जमा करें और फिर मिट्टी तेल डाल कर जला दें.
Also Read: Menstrual Hygiene Day: पीरियड लीव हर महिला का अधिकार, जानिए क्या कहते हैं डॉक्टर्स