प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को पूरा करने के लिए भारतीय पुलिस को आधुनिक और विश्वस्तरीय बनाने का आह्वान किया है. जयपुर में आयोजित देश भर के पुलिस महानिदेशक और महानिरीक्षकों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस को डंडे की जगह डाटा के साथ काम करना चाहिए. उल्लेखनीय है कि तीन नये कानूनों में तकनीक के इस्तेमाल पर बहुत जोर दिया गया है. इनमें शिकायत दर्ज करने, जांच करने, आरोप पत्र तैयार करने, सुनवाई पूरी करने और फैसला देने के लिए समय सीमा निर्धारित की गयी है तथा हर स्तर पर डिजिटल तकनीक के उपयोग का निर्देश है. इससे शिकायतकर्ताओं और पीड़ितों को जानकारी मिलने में आसानी होगी तथा कानून व्यवस्था और अदालतों पर लोगों का भरोसा बढ़ाने में मदद मिलेगी. प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी रेखांकित किया है कि इन कानूनों को नागरिक, सम्मान और न्याय को सर्वप्रथम रखने की भावना से लाया गया है. पुलिस कानून व्यवस्था की केंद्रीय धुरी है, इसलिए उसकी दक्षता पर इन कानूनों की कामयाबी का दारोमदार होगा. आज जब विश्व में भारत का महत्व बढ़ रहा है और आर्थिक विकास तेज गति से आगे बढ़ रहा है, तो शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए सक्षम पुलिस तंत्र का होना आवश्यक है. नये कानूनों को लागू करने की तिथि की घोषणा नहीं हुई है. ऐसे में अभी से लेकर लागू होने तक के अंतराल का सदुपयोग कानूनी प्रावधानों तथा प्रक्रियाओं के बारे में पुलिसकर्मियों को शिक्षित-प्रशिक्षित करने में किया जाना चाहिए. हालांकि पुलिस तंत्र में डिजिटल संसाधन बढ़ाये जा रहे हैं, लेकिन इसकी गति बढ़ाने की जरूरत है. एक ओर जहां साइबर अपराध बढ़ते जा रहे हैं, वहीं अपराधी अधिक से अधिक डिजिटल तकनीक का सहारा लेने लगे हैं. इसलिए पुलिस व्यवस्था का तकनीक से जुड़ाव बढ़ाना आवश्यक हो गया है. डाटा संग्रहण और विश्लेषण के सहयोग से निगरानी के काम तथा अपराधों की रोकथाम में बड़ी मदद मिल सकती है. देश में ही अनेक मामलों को सुलझाने में तकनीक की भूमिका रही है. जनता की निगाह में पुलिस की छवि को बेहतर बनाने की जरूरत पर भी प्रधानमंत्री मोदी ने जोर दिया है. कई बार लोग पुलिस के व्यवहार को लेकर सशंकित होने के कारण शिकायत दर्ज कराने के लिए थाना जाने में हिचकते हैं. पुलिसकर्मियों पर मारपीट करने, रिश्वत लेने, अपराधियों का साथ देने, जांच में लापरवाही करने आदि के आरोप अक्सर सामने आते हैं. संसाधन और प्रशिक्षण के साथ-साथ पुलिस बल को संवेदनशील बनाने पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए. पुलिस के काम के दो मुख्य हिस्से हैं- निगरानी करना और जांच करना. इन कामों को ठीक से करने के लिए समुचित संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती भी की जानी चाहिए.
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पुलिस को संदेश
डाटा संग्रहण और विश्लेषण के सहयोग से निगरानी के काम तथा अपराधों की रोकथाम में बड़ी मदद मिल सकती है.
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