प्रखंड क्षेत्र के पहाड़ पर बसे तालझारी पंचायत अंतर्गत विराजपुर गांव में कल्याण विभाग द्वारा स्वीकृत बिरसा आवास चार वर्ष बाद पूर्ण नहीं हुये हैं. इसमें दो बिचौलिये के नाम सामने आ रहे हैं, जिस पर लाभुकों द्वारा राशि गबन करने का आरोप लगाया जा रहा है. अधूरे आवास की लाभुक कोमली पहाड़िन, मार्टा पहाड़िन, बमड़ा पहाड़िया, बार्नी पहाड़िया, बमड़ी पहाड़िन, मैसा पहाड़िन, देवी पहाड़िन, चांदी पहाड़िन, चमरा पहाड़िया ने बताया कि विगत करीब चार वर्ष पूर्व गांव के करीब 20 लोगों का बिरसा आवास स्वीकृत हुए थे. इस बीच बरहेट बरमसिया के दो बिचौलिये (पिता-पुत्र) हमारे गांव पहुंचे तथा हमारा आवास बनाने की बात कहने लगे. इस पर हम सभी राजी हो गये लेकिन उन दोनों बिचौलिये ने मिलकर आवास निर्माण में घटिया ईंट एवं बालू की जगह डस्ट का इस्तेमाल किया गया था. आधा कार्य करने के पश्चात उन दोनों ने सभी लाभुकों को चार चक्का वाहन से सीएसपी ले जाकर उनके खाते से पैसे की निकासी कर ली. इसके बाद जब हमलोगों ने उनसे कई बार आवास कार्य पूर्ण करने को कहा तो दोनों टाल-मटोल करने लगे और अंततः गांव आना-जाना छोड़ दिया. लाभुकों ने बताया कि हमलोगों में से दो-तीन लोगों ने ही किसी तरह पैसे का जुगाड़ कर अधूरे आवास को पूरा किया है. इधर, मामले में बिचौलिये का पक्ष रखने के लिये संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो पाया.
लाभुकों ने बताया कि वे दोनों बिचौलिये हमें गाड़ी से बांसकोला, तालझारी, इमलीचौक, रांगा, बोरना के रास्ते तलबड़िया ले गये. जहां एक सीएसपी में उन लोगों का बारी-बारी से अंगूठा लगवाकर सारा पैसा रख लिया एवं जल्द ही आवास कार्य पूरा करने का वादा कर हमें वापस घर भेज दिया. लाभुकों का कहना है कि हमारे गांव से 6 किलोमीटर की दूरी पर एक सीएसपी है लेकिन हमें 20 किलोमीटर दूर पैसा निकलवाया. बताते चलें कि पतना प्रखंड के कई ऐसे आदिम जनजाति गांव हैं, जहां बिचौलिया हावी हैं तथा ग्रामीणों को भरोसा दिलाकर या तो कार्य अधूरा छोड़ देते हैं या निर्माण कार्य में निम्न गुणवत्ता के सामग्रियों का इस्तेमाल करते हैं. वहीं, ग्रामीणों ने झारखंड सरकार से जांच कर कार्रवाई का मांग किया है.