फ़िल्म मिली
निर्माता-बोनी कपूर
निर्देशक- मुथुकुट्टी जेवियर
कलाकार-जाह्नवी कपूर, मनोज पाहवा,सनी कौशल,संजय सूरी,जैकी श्रॉफ,विक्रम कोचर,राजेश जैस और अन्य
प्लेटफार्म-सिनेमाघर
रेटिंग- दो
साउथ का कंटेंट भारतीय दर्शकों की इनदिनों पहली पसंद बन चुका है. सैटेलाइट चैनलों के बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म्स इसके प्रचार-प्रसार में अहम भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन हिंदी सिनेमा अभी भी साउथ की फिल्मों का रीमेक बनाकर पैसे कमाने की जद्दोजहद में जुटा नज़र आ रहा है. यह हाई टाइम है, हिंदी फिल्मों के मेकर्स को यह बात समझनी होगी कि जब साउथ की फिल्में सबटाइटल्स के साथ मौजूद हैं, तो दर्शकों को उसी कहानी का कट कॉपी पेस्ट हिंदी भाषा में दिखाने की ज़रूरत क्या है.अगर आप उसमें कुछ बदलाव नहीं कर पाते हैं,यही जाह्नवी कपूर की फ़िल्म मिली के साथ हुआ है.मिली,2019 में रिलीज हुई मलयालम फ़िल्म हेलेन का कट कॉपी पेस्ट है.फ़िल्म के निर्देशक भी ओरिजिनल फ़िल्म के मुथुकुट्टी ही हैं.
फ़िल्म की कहानी 24 वर्षीय मिली(जाह्नवी कपूर) की है. जो एक फ़ूड जॉइंट्स में पार्ट टाइम काम करती है. उसका सपना नर्स बनकर कनाडा जाना है ताकि वह अपने पिता और अपने लिए एक अच्छी ज़िन्दगी बना सके.उसका एक प्रेमी समीर(सनी कौशल) भी है.जो थोड़ा गैर जिम्मेदार है.जिसकी वजह से मिली एक परेशानी में पड़ जाती है और वह परेशानी किस तरह से एक बड़ी मुसीबत को ले आती है. जहां मिली को ज़िन्दगी और मौत के संघर्ष से गुजरना पड़ता है. क्या मिली मौत को मात दे पाएगी.यही फ़िल्म की कहानी है. फ़िल्म की कहानी एक सर्वाइवल ड्रामा पर नहीं है,बल्कि समाज की सोच पर भी चोट करती है.समाज एक महिला को किस तरह से देखता है.अगर वह देर रात अपने बॉयफ्रेंड के साथ बाइक पर दिख जाती है खासकर अगर उसका बॉयफ्रेंड दूसरे धर्म का है.21 सदी में भी लोगों की सोच बदली नहीं है.
फ़िल्म की कहानी ओरिजिनल की कट कॉपी पेस्ट है.साउथ से कहानी सिर्फ उत्तराखंड पहुंची है और उसमे कुछ बदलाव नहीं किया गया है. हेलेन की तरह मिली को भी नर्सिंग जॉब के ज़रिए ही विदेश जाना है.मेकर्स को यह बात समझनी चाहिए थी कि साउथ में नर्सिंग जॉब युवा लड़कियों की पहली पसंद है ,उत्तराखंड की नहीं.कहने का मतलब ये है कि अगर फ़िल्म के इस छोटे से पहलू में भी कट कॉपी पेस्ट को फॉलो किया गया है,तो फ़िल्म की मूल कहानी और सिचुएशन में क्या बदलाव होंगे. समीर का किरदार दूसरे धर्म का है,इस पर फ़िल्म में कुछ कहा ही नहीं गया है. दर्शकों को खुद समझना होगा.शायद विवाद से बचने के लिए ऐसा किया गया हो.
कुलमिलाकर मिली की डीप फ्रीजर में बचकर निकलने की कहानी हेलेन जैसी ही है और वह अगर आपने देख ली है,तो फ़िल्म का थ्रिलर,इमोशन और ड्रामा आपको अपील नहीं कर पाता है.आपको पता होता है कि इस सीन के बाद क्या होगा.
अभिनय की बात करें तो जाह्नवी कपूर हिंदी सिनेमा की उन चुनिंदा अभिनेत्रियों में से हैं.जो एक के बाद एक शीर्षक भूमिका में नज़र आ रही हैं.किरदारों को लेकर उनकी मेहनत दिखती है.इस फ़िल्म में भी उनकी कोशिश अच्छी है,लेकिन फ़िल्म में उनका लहजा गुडलक जैरी की याद दिलाता है. मनोज पाहवा अपने किरदार में रचे बसे नज़र आते हैं.उनकी और जाह्नवी की पिता पुत्री वाली केमिस्ट्री अच्छी है.सनी कौशल के लिए फ़िल्म में कुछ खास नहीं था.विक्रम कोचर अपनी भूमिका में ज़रूर याद रह जाते हैं. जैकी श्रॉफ मेहमान भूमिका में नज़र आए हैं.बाकी के कलाकारों ने भी अपने किरदारों के साथ बखूबी न्याय किया है.
फ़िल्म की कहानी में तकनीकी पक्ष की अहम भूमिका है.जिसे बखूबी निभाया गया है.बर्फ में ठंडी और सुन्न पड़ती जा रही एक लड़की को मेकअप के ज़रिए दर्शाया गया है.गौरतलब है कि ओरिजिनल फ़िल्म को दो नेशनल अवार्ड मिले थे.एक निर्देशक मुथुकुट्टी जेवियर को और दूसरा फ़िल्म के मेकअप डिपार्टमेंट. फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफी भी अच्छी बन पड़ी है.
फ़िल्म के गीत संगीत से जावेद अख्तर और ए आर रहमान का नाम जुड़ा है,लेकिन गीत संगीत पूरी तरह निराश करता है.
अगर आपने ओरिजिनल फ़िल्म नहीं देखी है,तो ही इस इस थ्रिलर फिल्म का इमोशन और ड्रामा आपको एंगेज और एंटरटेन करेगा.