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मीराबाई चानू साथ रखती हैं देश की मिट्टी, खाती हैं विदेश में भी गांव का चावल, रोचक है वेटलिफ्टर बनने की कहानी

टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020 ) के दूसरे दिन मीराबाई चानू (Mirabai Chanu ) ने इतिहास रच डाला है. उन्होंने 21 साल बाद भारत को वेटलिफ्टिंग में रजत पदक दिलाया. मीराबाई ने 49 किलो वर्ग में रजत पदक जीता.

टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020 ) के दूसरे दिन मीराबाई चानू (Mirabai Chanu ) ने इतिहास रच डाला है. उन्होंने 21 साल बाद भारत को वेटलिफ्टिंग में रजत पदक दिलाया. मीराबाई ने 49 किलो वर्ग में रजत पदक जीता.

इसके साथ ही उन्होंने कर्णम मल्लेश्वरी के रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया है. मल्लेश्वरी ने 2000 सिडनी ओलंपिक में भारत को पहली बार वेटलिफ्टिंग में पदक दिलाया था. मल्लेश्वरी कांस्य पदक जीता था. मणिपुर की 26 साल की वेटलिफ्टर मीराबाई ने कुल 202 किग्रा (87 किग्रा + 115 किग्रा) वजन उठाकर इतिहास रच डाला.

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मीराबाई हमेशा साथ रखती हैं देश की मिट्टी, खाती हैं विदेश में भी गांव का चावल

मीराबाई की एक बात इस समय लोगों को काफी भावुक कर रही है. जिसमें बताया जाता है कि उन्हें अपने देश की मिट्टी और गांव के चावल से इतना लगाव है कि वो जहां भी दौरे पर जाती हैं, हमेशा अपने साथ देश की मिट्टी रखती हैं. इसके साथ विदेश में भी अपने गांव का ही चावल खाती हैं. बताया जाता है कि चाहे पार्टी हो या कुछ और आयोजन, सभी में वो अपने गांव का चावल ही खाती हैं. यह बात उनके अपने देश और गांव के प्रति सम्मान और प्रेम को ही बताता है.

काफी रोचक है मीराबाई चानू का विटलिफ्टर बनने की कहानी

मीराबाई चानू का वेटलिफ्टर बनने की कहानी भी काफी रोचक है. बताया जाता है कि चानू वेटलिफ्टर नहीं बल्कि एक ऑर्चर बनना चाहती थी. लेकिन एक वीडियो ने उनकी जिंदगी ही बदल कर रख दी. बताया जाता है कि मीराबाई जब 12 साल की थीं उसी समय उन्होंने साई के सेंटर में नामांकन कराने के लिए पहुंची. वहां वो ऑर्चरी में नामांकन कराना चाहती थीं, लेकिन वहां किसी के नहीं मिलने से उन्हें काफी निराशा हुई.

एक दिन उन्होंने दिग्गज वेटलिफ्टर कुंजारानी देवी का वीडियो देखा और फिर ऐसा प्रभावित हुई कि फिर वेटलिफ्टिंग को ही अपना करियर चुन लिया. मीराबाई का कोचिंग सेंटर उनके घर से 20 किलोमीटर दूर था, लेकिन उसके बावजूद वो एक दिन भी ट्रेनिंग से दूर नहीं होती थीं. बताया जाता है चाहे बारिश हो या तूफान मीराबाई हमेशा ट्रेनिंग के लिए सेंटर पहुंच जाती थी.

गौरतलब है कि मीराबाई 2016 ओलंपिक में हार गयीं थीं, जिससे बाद निराशा में खेल तक छोड़ने का फैसला कर चुकी थीं. चानू विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण, राष्ट्रमंडल खेलों में (2014 में रजत और 2018 में स्वर्ण) दो पदक और एशियाई चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीत चुकी हैं.

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