सरकार ने पिछले नौ साल के दौरान वाहन क्षेत्र के समक्ष आ रहे मुद्दों को हल करने के लिए कई कदम उठाए हैं और अब उद्योग की जिम्मेदारी है कि वह उसी के अनुरूप पहल करे. देश की प्रमुख कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) के चेयरमैन आर सी भार्गव ने यह बात कही है.
भार्गव ने पीटीआई-भाषा से कहा कि तेजी से बढ़ने और विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने के लिए भारतीय उद्योग को खुद को देखना होगा. उसे यह देखना होगा कि कुल दक्षता, उत्पादकता और लागत नियंत्रण में सुधार के लिए और क्या किया जा सकता है.
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले नौ-10 वर्षों में सरकार जो कर रही है, उससे भारतीय उद्योग के लिए बड़ा अवसर पैदा हुआ है. ऐसे में अतीत में उद्योग के रास्ते में आने वाली कई समस्याओं का समाधान किया गया है.’’ हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है.
उनसे पूछा गया था कि भारत की जी-20 की अध्यक्षता की वजह से जो अवसर मिला है, उसका लाभ उठाने के लिए उद्योग को क्या करना चाहिए. भार्गव ने आगे कहा, ‘‘मुझे लगता है कि भारतीय उद्योग को अब यह स्वीकार करने की जरूरत है कि वह तेजी से आने नहीं बढ़ने और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी नहीं बनने के लिए हमेशा सरकार को दोष नहीं दे सकता. भारतीय उद्योग को भी खुद पर गौर करना होगा और देखना होगा कि वह अपनी कुल दक्षता, उत्पादकता और लागत नियंत्रण में सुधार के लिए वह क्या कर सकता है.’’
उन्होंने कहा कि सरकार क्या कर सकती है, उसकी एक सीमा है. उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय उद्योग को सरकार ने जो किया है उसके अनुरूप कदम उठाने की जरूरत है, क्योंकि हम सिर्फ सरकार के भरोसे आगे नहीं बढ़ सकते. सरकार कितना कर सकती है. वह हमारे कारखाने नहीं चला सकती.’’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने हाल में कई पहल की हैं. इनमें कारोबार सुगमता को आगे बढ़ाना, ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना और कॉरपोरेट कर की दर में कटौती जैसे कदम शामिल हैं.